निर्माता – यशराज फिल्म्स
निर्देशक – मनीष शर्मा
कलाकार – सलमान खान, कैटरीना कैफ, इमरान हाशमी, रेवती, रिद्धि डोगरा, विशाल जेठवा, कुमुद मिश्रा और अन्य
प्लेटफार्म – सिनेमाघर
रेटिंग – तीन
यशराज बैनर की स्पाई यूनिवर्स की पहली फिल्म टाइगर की तीसरी कड़ी टाइगर 3 ने दस्तक दे दी है. सबकुछ होते हुए भी परदे पर वह जादू नहीं जगा पायी है, जिसकी उम्मीद थी. अच्छी एक्टिंग वाली यह फिल्म कहानी के मामले में औसत रह गयी है, जिससे स्क्रीन पर यह तीसरी कड़ी पिछली दो फिल्मों के मुकाबले कमतर हो गयी है, लेकिन मामला बोझिल भी नहीं हुआ है. कलाकारों के दमदार अभिनय, जबरदस्त एक्शन दृश्य और शाहरुख़ खान की मौजूदगी ने इस मसाला एंटरटेनमेंट को एक बार थिएटर में देखने लायक़ ज़रूर बना दिया है. फिल्म शुरू से आखिर तक आपको बांधे रखती है.
फिल्म की कहानी की शुरुआत 1999 में होती है, जिससे जोया (कैटरीना कैफ) का एक अतीत आतिश रहमान ( इमरान हाशमी ) जुड़ा है, जो उसके वर्तमान पर हावी हो रहा है. यह अतीत टाइगर और जोया को अलग – अलग रास्ते पर चलने को मजबूर कर देता है. क्या टाइगर और जोया के रास्ते फिर से एक होंगे. क्या टाइगर जोया के इस अतीत का सामना कर पाएगा. जिसने जोया और टाइगर की जिंदगी में ही नहीं बल्कि भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में भी उथल – पुथल मचा दी है।यही फिल्म की आगे की कहानी है.
स्पाई यूनिवर्स की इस दुनिया में भी भारत और पाकिस्तान की दुश्मनी ही कहानी की धुरी है, लेकिन लेखन टीम ने भारत के दिलेर रॉ एजेंट टाइगर को इस बार दुश्मन देश या कहे पडोसी मुल्क को ही बचाने की जिम्मेदारी दे दी है. आखिरकार वह टाइगर का ससुराल भी है. दुश्मनी नहीं यहां दोस्ती वाला मामला है. जो कहानी को टिपिकल स्पाई फिल्मों से अलग बनाता है. फिल्म अतीत और वर्तमान में आती जाती रहती है. फिल्म का पहला भाग स्लो है. दूसरे भाग में कहानी रफ़्तार पकड़ती है और ढ़ेर सारे ट्विस्ट एंड टर्न भी आते है, लेकिन कहानी में ऐसा कुछ नहीं होता है, जो आपकी पलकें स्क्रीन से झपकने ना दें. फिल्म के क्लाइमैक्स से उम्मीदें बहुत थी, लेकिन वह भी उम्मीद पर खरा नहीं उतर पाया है. फिल्म के अच्छे पहलुओं में शाहरुख़ खान की मौजूदगी है. जैसा कि पहले से तय था कि शाहरुख़ खान पठान के तौर पर इस फिल्म में कैमियो में दिखेंगे और उन्होने दमदार मौजूदगी दर्शायी है. यह फिल्म का सबसे पैसा वसूल सीक्वेन्स है. इसमें एक्शन के साथ – साथ ब्रोमांस की भी खास झलक देखने को मिलती है. फिल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप है. फिल्म में दो ही गीत है, एक फिल्म की शुरुआत के कुछ मिनट बाद और एक आखिर में, जो अच्छे होने के साथ – साथ कहानी की रफ़्तार में बाधा नहीं बनते है. फिल्म के संवाद पिछले दोनों फ्रेंचाइजी के मुकाबले इस बार कमज़ोर रह गए हैं. एक भी संवाद ऐसा नहीं है, जो सलमान खान के स्टार पावर के साथ न्याय नहीं कर पाया है. इसके साथ ही चुटीले संवाद की भी कमी है. फिल्म की एडिटिंग पर थोड़ा और काम करने की जरूरत थी. पाकिस्तान में डेमोक्रेसी को बहाल करने वाली इस कहानी में देशभक्ति का भी जज्बा है आखिर में पाकिस्तानी बच्चियों द्वारा जन गण मन की धुन उसी भावना से लबरेज है. फिल्म में स्पाई यूनिवर्स की तीसरी दुनिया की भी झलक ऋतिक रोशन के झलक के साथ देखने को मिली है.
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सलमान खान ने एक बार फिर अपने चित – परिचित अंदाज में इस किरदार को जिया है। टाइगर का स्वैग, स्टाइल और साहस अभी भी कायम है, एक बार फिर उन्होने अपने अभिनय के जरिये परदे पर लाया है. स्क्रीनप्ले की खामियों को वह अपनी मौजूदगी से कमतर कर देते हैं, यह कहना गलत ना होगा। कैटरीना कैफ ने भी जोया के किरदार में वही चंचलता और चपलता दिखालायी है, जो इस सीरीज की पहली फिल्म में उन्होने दिखायी थी. टॉवल वाला फाइट सीक्वेन्स हो या चेसिंग सीक्वेन्स उन्होने परदे पर अपना करिश्मा दिखाया है. इमरान हाशमी विलेन के तौर पर असरदार रहे हैं. रेवती, रिद्धि डोगरा, विशाल जेठवा, कुमुद मिश्रा सहित बाकी के किरदार अपनी सीमित भूमिकाओं में न्याय करते हैं.