दीपों के उत्सव दीपावली का हर किसी को इंतजार रहता है. इस बार की दीपावली भी खास रही. लोगों ने अपने घरों में घी के दीये जला. लक्ष्मी-गणेश की पूजा की और अपने लिए, अपने परिवार के लिए सुख एवं समृद्धि की कामना की. घर को बिजली की लड़ियों से जरूर सजाया गया था, लेकिन रांची में घर में लोगों ने दीपावली पर मिट्टी से बने दीये ही जलाए.
दीपावली का इंतजार बच्चों को सबसे ज्यादा होता है. नए कपड़े, अच्छे-अच्छे पकवान और मिठाइयां जो खाने को मिलतीं हैं. इन सबके अलावा घर को दीये से सजाना. घर के बाहर रंगोली बनाना और शाम को पूजा खत्म होने के बाद फुलझड़ियां और पटाखे चलाना. बच्चे खूब मस्ती करते हैं. इस बार भी दीपों के साथ बच्चों के चेहरे पर वैसी ही खुशी दिखी.
दीपावली एक तरह से स्वच्छता का भी त्योहार है. लोग घरों में कई दिन पहले से साफ-सफाई करना शुरू कर देते हैं. घर को नए तरीके से सजाने के बारे में सोचने लगते हैं. पहले फूलों से घर सजाए जाते थे, लेकिन अब आर्टिफिशियल फूलों से सजावट होती है. बिजली की लड़ियां लोग घरों में और घर के बाहर लगाते हैं. पूरा अपर बाजार सजावट के ऐसे सामानों से पटा था और लोगों ने अपनी पसंद के मुताबिक, उसकी खरीदारी की और अपने घर को सजाया.
Also Read: झारखंड में दिवाली का बाजार सजा, कलर बटरफ्लाई से लेकर हेलीकॉप्टर पटाखों की जमकर हो रही बिक्रीदीपावली के त्योहार में घरौंदे का अपना अलग महत्व है. कुंवारी लड़कियां घरौंदे में लक्ष्मी-गणेश की पूजा करतीं हैं. पहले लोग खुद खरौंदा बनाते थे. अब कई सालों से बाजार में रेडीमेड घरौंदा आ गए हैं. इनको खरीदकर बच्चियां अपने मन मुताबिक सजाती हैं और शाम को पूजा करतीं हैं.
दीपावली के अवसर पर शहर के मंदिरों में विशेष तौर पर दीये जलाये जाते हैं. इस बार भी रांची के मंदिरों में दिवाली के दिन दीये जलाए गए. रांची के लक्ष्मीनारायण मंदिर में पुरोहित ने विशेष रूप से दीया जलाये और मंदिर को दीयों से सजाया.
राजधानी रांची में लोग अपने घरों को दिवाली से पहले ही लड़ियों से सजा देते हैं. चारों ओर मकानों पर रंग-बिरंगे बल्ब जलते दिख जाते हैं. ये बल्ब छठ महापर्व तक जलते हैं. तब तक अपनी रांची रोशनी में नहाई रहती है. ड्रोन से लिए गए चित्र में रंग-बिरंगी रोशनी में नहाई रांची अद्भुत नजारा देख सबको खुशी होती है.
Also Read: झारखंड में इस दिवाली प्रदूषण हुआ दोगुणा, राजधानी रांची के इन इलाकों में ऐसी थी स्थितिछोटी-छोटी बच्चियों को दीपावली पर दीप से दीप जलाना और रंगों एवं फूलों से रंगोली बनाना खूब पसंद आता है. रांची की दो बच्चियां अपने घर की सजावट में लगी हैं. एक बच्ची थाल में सजे दीये को जला रही है, तो दूसरी फूलों से रंगोली बनाने की तैयारी कर रही है.
दीपोत्सव एक ऐसा त्योहार है, जिसमें परिवार के हर उम्र के लोग व्यस्त रहते हैं. राजनीतिक दलों के नेता भी इससे नहीं बचते. इस बार चूंकि अयोध्या में दीया जलाने का विश्व रिकॉर्ड बना है. रांची में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेताओं ने भी दीये से जय श्रीराम लिखकर दीपावली का त्योहार मनाया.
दीपावली की खरीदारी यूं तो लोग धनतेरस के पहले से ही कर देते हैं, लेकिन दीपावली के दिन भी बाजार में कम भीड़ नहीं होती. शाम को लोग बाजार में निकलते हैं, पूरी सड़क जाम हो जाती है. कार और बाइक की कौन कहे, लोगों का चलना भी मुश्किल हो जाता है.
Also Read: दिवाली के बाद झारखंड में मनेगा सोहराय व बांदना पर्व, आदिवासी बहुल गांव दे रहे स्वच्छता का संदेश, PICSदीपावली के दिन लोग लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हैं, लेकिन बंगाली समुदाय के लोगों में काली पूजा का विधान है. पश्चिम बंगाल में तो दीपावली को काली पूजा के नाम से ही जाना जाता है. रांची में भी बड़ी संख्या में बंगाल के लोग रहते हैं. वे बड़ी धूम-धाम से रांची में काली पूजा का आयोजन करते हैं. इसके लिए बाकायदा सड़क को भी सजाया जाता है. तोड़णद्वार बनाए जाते हैं.