दिल्ली के कई इलाकों में रविवार को दिवाली पर पटाखों पर लगे प्रतिबंध का उल्लंघन किया गया. शाहपुर जट और हौज खास इलाके में लोगों ने पटाखे फोड़े. इलाके के पार्क में कई लोगों को पटाखे फोड़ने के लिए इकट्ठा होते देखा गया. दिवाली के दिन शाम चार बजे के बाद आतिशबाजी बढ़ गई, हालांकि यह पिछले साल की तुलना में कम थी. कुछ लोगों को छोड़कर इलाके में और उसके आसपास बहुत से लोग अपने घरों से बाहर निकलते नहीं देखे गए. पर्यावरणविद् भवरीन कंधारी ने कहा कि उनके आवासीय क्षेत्र डिफेंस कॉलोनी में भी पटाखे फोड़े जाने की सूचना मिली. उन्होंने कहा कि डिफेंस कॉलोनी थाने में भी शिकायतें दर्ज की गईं, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
भवरीन कंधारी ने कहा कि पटाखों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख आतिशबाजी के धुएं में उड़ गया. चेतावनियों और पूर्ण प्रतिबंध के बावजूद… अधिकारी एक बार फिर विफल रहे हैं. सवाल यह उठता है कि सुप्रीम कोर्ट अब क्या रुख अपनाएगा? … हम उत्सव के नाम पर अपने बच्चों को घुट-घुटकर जीने को मजबूर कर रहे हैं. शाम साढ़े बजे तक ग्रेटर कैलाश और चितरंजन पार्क इलाके में कम आतिशबाजी हुई. इलाके के लोगों ने कहा कि लग रहा है कि लोग पूजा करने के बाद पटाखे फोड़ेंगे. दक्षिणी दिल्ली के छतरपुर इलाके में शाम छह बजे से ही पटाखों की आवाजें सुनाई देने लगीं.
इलाके के कई दुकानदार प्रतिबंध का उल्लंघन करते हुए बच्चों को छोटे पटाखे बेचते दिखे. दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ कैलाश इलाके में भी कुछ लोगों ने पटाखे फोड़े. शाम साढ़े छह बजे के बाद से दूर-दराज के घरों से रुक-रुककर पटाखों की आवाजें सुनाई देने लगीं. कुछ इलाकों में कम और कुछ इलाकों में ज्यादा तीव्रता वाले पटाखे फोड़े गए. उधर, लक्ष्मी नगर के ललिता पार्क इलाके में शाम साढ़े सात बजे तक बहुत कम पटाखे फोड़े गए. स्थानीय लोगों ने कहा कि बाद में रात में आतिशबाजी बढ़ सकती है. पूर्वी दिल्ली के कई अन्य इलाकों में कम पटाखे फोड़े गए. हालांकि, इन इलाकों के निवासियों के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल आतिशबाजी न के बराबर हुई है.
सुप्रीम कोर्ट ने सात नवंबर को कहा था कि बेरियम युक्त पटाखों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश हर राज्य पर लागू होता है और यह केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं है, जो गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा है.