दीपावली का पर्व समाप्त होने के बाद अब चार दिनों तक चलने वाली छठ महापर्व की तैयारी शुरू हो गई है. सूर्य भगवान, उषा, प्रकृति, जल, वायु आदि को समर्पित छठ पूजा आते ही हर किसी की जुबान पर छठी मईया के गीत आने लगे हैं. छठ को लेकर घाटों और तालाबों की सफाई ने भी जोड़ पकड़ना शुरू कर दिया है. पूजा के दौरान इस्तेमाल होने वाले पूजन सामग्री जैसे मिट्टी का चूल्हा, सूप आदि की दुकाने भी सजने लगी हैं.
शुरू हो गई छठ पूजा की तैयारी
दीपोत्सव समाप्त होते ही हर तरफ छठ पूजा की तैयारियां शुरू हो गई हैं. माहौल भक्तिमय हो गया है. जितनी श्रद्धा से लोग इस त्योहार को मनाते हैं, उतने ही प्यार से इसके गीत को भी सुनते हैं. सोमवार से छठ व्रती गोईठा ठोकने, मिट्टी के चुल्हा बनाने के जुट गई हैं. इसके साथ ही घर आंगन गली और मुहल्ले में छठ गीत गूंजने लगे हैं. घर-घर में पर्व को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. आस्था के इस महापर्व में छठ के लोकगीत प्राणरस की तरह होते हैं. ये सिर्फ गीत नहीं बल्कि इस पूजा में शास्त्र और मंत्र की भूमिका भी निभाते हैं. छठ पूजा करने वाले इन गीतों के बिना इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते हैं .
36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं व्रती
इस महापर्व का शुभारंभ पहले दिन नहाय खाय के साथ शुक्रवार को होगा. इस त्योहार में व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. इसमें हर दिन का अपना खास महत्व है. इस पूरी अवधि में व्रती महिलाएं छठी मइया को प्रसन्न करने के लिए छठ के गीत गाती हैं. इस साल 17 नवंबर से लोक आस्था का महापर्व कार्तिक छठ शुरु होगा. चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत के दूसरे दिन 18 नवम्बर को खरना ( लोहंडा/नवहंडा) का व्रत किया जायेगा. 19 नवंबर को निर्जला उपवास बाद डूबते भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा और 20 नवम्बर को उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारन किया जायेगा.
सजने लगी दुकानें
छठ को लेकर सड़क के किनारे ढाका, टोकरी, सुपली तथा अन्य पूजन सामग्रियों की दुकानें खुलने लगी है, लेकिन इस बार सड़क किनारे सजने वाली दुकानों में पूजन सामग्रियों की कीमतें गत वर्ष की अपेक्षा अधिक है. अभी से ही इन दुकानों पर लोग सामग्रियों की कीमत जानने के लिए पहुंचने लगे हैं. साथ ही इन सामनों की खरीद का काम भी शुरू हो गया है.
बजने लगे गाने, बनने लगा माहौल
चौक चौराहों पर लोक गायिका शारदा सिन्हा और देवी के छठ गीतों के कैसेट बजने लगे हैं. इस वजह माहौल भक्तिमय बन गया है. इसके अलावा यात्री बसों, ट्रकों, ट्रैक्टरों के अलावा निजी गाड़ियों में छठ गीतों के कैसेट बजने लगे हैं. पान की गुमटियों भी कैसेट बजाये जा रहे हैं.
पटना में घाट किनारे बन रहे वाहनों के लिए पार्किंग स्पेस
छठ को देखते हुए पटना के विभिन्न में पार्किंग की उचित व्यवस्था की जा रही है, ताकि श्रद्धालुओं को घाट तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो. जिला प्रशासन के निर्णय के अनुसार जेपी गंगा पथ के नीचे आठ पार्किंग स्थल की व्यवस्था की जा रही है. इसके अलावा पार्किंग क्षेत्र में लाइटिंग की व्यवस्था के साथ वॉच टावर भी बनाये जा रहे हैं. साथ ही पार्किंग स्थल के चारों ओर बांस से बैरिकेडिंग की जा रही है. सभी घाटों पर बड़े-बड़े अक्षरों में घाट का नाम लिखकर बोर्ड लगाये गये हैं. इसके साथ ही मरीन ड्राइव में भी घाट के नाम का बोर्ड भी लगाया गया है. इस साल गंगा नदी में जल स्तर भी कम हो रहा है और घाट भी ठीक है, जिसके चलते अधिक लोगों के पहुंचने की संभावना है.
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घाट नंबर 93 पर 50 हजार लोगों के पहुंचने की संभावना
बता दें कि, घाट नंबर 93 के पास 90 x 90 मीटर की दो पार्किंग बनायी जा रही हैं. व्रती गंगा पथ के अंडरपास से घाट के किनारे तक पहुंच सकेंगे. यहां करीब 50 हजार लोगों के पहुंचने की संभावना है. घाट नंबर 88 के पास 90 x 90 मीटर की पार्किंग बनायी जा रही है. अशोक राजपथ से घाट की दूरी 750 मीटर है. घाट नंबर 83 के पास 90 x 90 मीटर की पार्किंग बनायी जा रही है. पहलवान घाट और बांस घाट के पास 90 x 90 मीटर की दो पार्किंग बनायी जा रही हैं. गंगा पथ के नीचे बांस घाट अंडरपास से घाट किनारे पहुंचा जा सकेगा. कुर्जी घाट के पास 90 x 90 मीटर की पार्किंग बनायी जा रही है.
वहीं, कलेक्ट्रेट घाट के पास बन रही पार्किंग इनमें सबसे बड़ी होगी. यहां बन रही पार्किंग का आकार 600 मीटर लंबा और 400 मीटर चौड़ा होगा. जेपी गंगा पथ से घाट की दूरी करीब 1300 मीटर होगी. यहां करीब एक हजार वाहनों को खड़ा करने की क्षमता होगी. पार्किंग को समतल करने का काम तेजी से चल रहा है. पार्किंग के अलावा घाटों पर शौचालय, पेयजल, चेंजिंम रूम, कंट्रोल रूम आदि की व्यवस्था की जा रही है.
पटना के कुछ प्रमुख छठ घाट
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लॉ कॉलेज घाट
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काली घाट
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एनआइटी घाट
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पटना कॉलेज घाट
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कलेक्ट्रेट घाट
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कंगन घाट
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कुर्जी घाट
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छठ पूजा का कार्यक्रम
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नहाय खाय – 17 नवम्बर
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खरना ( लोहंडा) – 18 नवम्बर
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अस्ताचलगामी भगवान को अर्घ्य दान – 19 नवम्बर
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उदयगामी भगवान सूर्य को अर्घ्य दान – 20 नवम्बर