नई दिल्ली : 1962 फरारी 250 जीटीओ स्पोर्ट्स कार सोमवार को न्यूयॉर्क में नीलाम हो गई. नीलामी में इस कार को इतने पैसे मिले कि यह दुनिया की दूसरी सबसे महंगी कार बन गई. चमकदार लाल रोडस्टर पिछले 38 साल से एक अमेरिकी नागरिक के पास थी. मीडिया से बातचीत करते हुए ऑक्शन हाउस के अधिकारियों ने बताया कि नीलामी के दौरान 1962 फेरारी 250 जीटीओ स्पोर्ट्स कार की बोली मर्सिडीज 300 एसएलआर उहलेनहॉट कूपे से थोड़ी अधिक थी, जिसे 2022 में 135 मिलियन यूरो में नीलाम किया गया था. 1962 फेरारी 250 जीटीओ स्पोर्ट्स कार की विनिमय दर 144 मिलियन डॉलर होगी.
बोली लगाने वाले की नहीं हो सकी पहचान
मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि ऑक्शन हाउस की सहायक कंपनी आरएम सोथबी ने नीलामी के दौरान बोली लगने के 1962 फरारी 250 जीटीओ स्पोर्ट्स कार अपेक्षित 60 मिलियन डॉलर से कम कीमत पर बिक्री के लिए उपलब्ध हो गई. आरएम सोबथी ने बताया कि इस महंगी कार की बोली किसने लगाई, उसकी अभी पहचान नहीं की जा सकी है.
36 मॉडल ही हुई थी तैयार
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, 1962 फरारी 250 जीटीओ कार के शौकीनों के बीच सालों तक खासमखास रही है. साल 1982 में एक फ्रेंच कार संग्रहकर्ता ने 250 जीटीओ के मालिकों को एक साथ लाया था. इस कार के केवल 36 मॉडल ही तैयार किए गए थे. इस लिहाज से देखें, तो ये कारें शुरू से ही काफी स्पेशल थीं. इससे भी खास बात यह है कि इतने साल गुजर जाने के बाद भी ये 36 मॉडल अभी चल रही हैं. इन 36 कारों के मालिकों का एक स्पेशल क्लब है.
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क्या है खासियत
फरारी की 1962 मॉडल की इस कार में चेसिस 3765 लगा है. इसके अलावा, इसमें 390 एचपी पावर जेनरेट करने चार-लीटर का 2,953 सीसी वाला वी-12 इंजन लगा है, जो जर्मन नर्बुर्गरिंग सर्किट पर 1,000 किमी की रेंज देता है. इस इंजन में दो सिलेंडर लगे होते हैं. यह इंजन 7500 आरपीएम पर 296 एचपी की पावर और 5500 आरपीएम पर 294 एनएम का टॉर्क जेनरेट करता है. 5 स्पीड डॉग लेग मैनुअल गियरबॉक्स से युक्त यह कार सिर्फ 6.1 सेकंड में 0 से 100 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार पकड़ सकती है. अधिकतम रफ्तार की बात की जाए तो ये कार 280 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है. साइज की बात की जाए, तो इस कार का व्हील बेस 2400 मिमी, वजन 880 किलो, 2 दरवाजे, लंबाई 4325 मिमी, चौड़ाई 1600 मिमी और ऊंचाई 1210 मिमी है.
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अमेरिकी कार कलेक्टर पर 38 साल रही 250 जीटीओ
आरएम सोथबी के अनुसार, इटैलियन मेनलैंड और सिसिली में कई वर्षों की प्रतिस्पर्धा के बाद कार को 1960 के दशक के अंत में अमेरिका में निर्यात कर बेचा गया था. इसके बाद 250 जीटीओ में कुछ बदलाव करने के लिए साल 1985 में ओहियो के कार कलेक्टर के हाथों से बेच दिया गया था. उस कार कलेक्टर पास करीब 38 साल रहने के बाद सोमवार को इसे नीलाम कर दिया गया.
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