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Wedding Season: दूल्हों का घोड़ी पर चढ़ने का इंतजार खत्म, इस तारीख से फिर बजेगी शहनाई, निकलेगी बारात

23 नवंबर को 5 माह के चातुर्मास की अवधि पूरी हो रही है. इसी दिन श्री हरि फिर योग निद्रा से बाहर आयेंगे. इसी के साथ पिछले पांच माह से थमी शहनाइयां गूंजने लगेंगी तथा दूल्हों का घोड़ी पर चढऩे का इंतजार भी खत्म हो जाएगा.

पटना. 23 नवंबर को 5 माह के चातुर्मास की अवधि पूरी हो रही है. इसी दिन श्री हरि फिर योग निद्रा से बाहर आयेंगे. इसी के साथ पिछले पांच माह से थमी शहनाइयां गूंजने लगेंगी तथा दूल्हों का घोड़ी पर चढऩे का इंतजार भी खत्म हो जाएगा. छठ महापर्व के बाद देवोत्थान एकादशी 23 नवंबर को मनाये जाने के साथ लग्न की शुरुआत भी उसी दिन से हो जायेगी. इस बार नवंबर से लेकर अगले वर्ष जुलाई तक 65 लग्न है. अगले वर्ष जनवरी से मार्च तक विवाह के 39 मुहूर्त हैं. इस वर्ष 29 अप्रैल से शुक्र अस्त हो रहे हैं. इस कारण मांगलिक कार्य बंद रहेंगे. शुक्र का उदय 28 जून को पश्चिम दिशा में होने के साथ मांगलिक कार्य शुरू हो जायेंगे. 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी मनायी जायेगी. इसके बाद 18 जुलाई से चातुर्मास प्रारम्भ हो जायेगा.

इस वर्ष अधिक लग्न है जो शुभदायक व मंगलकारी

वेद विद्यालय के आचार्य सुशील पाण्डेय ने बताया कि इस वर्ष अधिक लग्न है जो शुभदायक व मंगलकारी है. शादी को लेकर बैंड बाजा के साथ विवाह भवनों की बुकिंग तेज हो गई है. आंकड़ों पर गौर करें तो मोतिहारी व के अलावे हरसिद्धि ,अरेराज , चकिया, ढाका आदि में मिलाकर उतर बिहारी में सर्वाधिक विवाह भवन व रिसोर्ट मोमतिहारी व आसपास के क्षेत्रों में है जहां नेपाल व दूसरे जिला से वर-वधू पक्ष के लोग आते हैं.

लग्न की तिथियां

  • नवंबर 2023 – 23, 24, 27, 28, 29

  • दिसंबर में – 6, 7, 8, 9, 11, 15

  • जनवरी 2024 में – 16, 17, 18, 20, 21, 22, 27, 28, 29, 30, 31

  • फरवरी – 1, 2, 3, 4, 5, 6, 12, 13, 14, 17, 18, 19, 24, 25, 26, 27,29

  • मार्च – 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 11, 12

  • अप्रैल- 18, 19, 20, 21, 23, 24, 25

  • जुलाई – 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15,16

23 से 30 नवंबर तक यानी 8 दिन में विवाह के 6 शुभ मुहूर्त है. इनमें 23 नवंबर को देव उठनी एकादशी को स्वयं सिद्ध अबूझ सावा रहेगा. नवंबर में 6 और साल के अंतिम महीने दिसंबर में 7 सावे रहेंगे. 29 जून को श्रीहरि विष्णु योग निद्रा में चले गए थे तथा इसी दिन से चातुर्मास शुरू हो गए. इस बार सावन अधिक मास के कारण चातुर्मास चार की जगह पांच माह का रहा.

दिसंबर में इस दिन तक है शादी के मुहूर्त

चातुर्मास के साथ ही शहनाइयों की धूम थम गई थी.16 दिसंबर 2023 से 14 जनवरी 2024 तक धनु के सूर्य खरमास में विवाह बंद रहेंगे. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू धर्म में विवाह को एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है. सनातन धर्म में किसी भी जातक का विवाह कुंडली मिलान कर तय किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र में यह मान्यता है कि कुंडली में गुणों के मिलान के साथ-साथ शुभ मुहूर्त में विवाह करने पर वर और वधु को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म में कार्तिक माह में देवउठान एकादशी तिथि से विवाह का लग्न शुरू होता है.

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देवउठान एकादशी 2023 तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठान एकादशी मनाई जाती है. ऐसे में इस साल 23 नवंबर को देवउठान एकादशी मनाई जाएगी और 24 नवंबर को तुलसी विवाह होगा. कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को 11.03 मिनट बजे शुरू होगी और 23 नवंबर को 09.01 मिनट पर खत्म होगी.

कुंडली मिलान कर निकालते हैं विवाह मुहूर्त

सनातन धर्म में विवाह को पवित्र कर्म कांड माना गया है. ज्योतिष पंचांग देखकर और कुंडली मिलान कर विवाह मुहूर्त निकालते हैं. शास्त्रों में निहित है कि शुभ मुहूर्त में विवाह करने से वर और वधु को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. साथ ही उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है. अतः विवाह तय करते समय तिथि का विशेष ध्यान रख जाता है. वर्तमान समय में चातुर्मास चल रहा है. इस दौरान शादी-विवाह समेत अन्य शुभ कार्य करने की मनाही होती है. वहीं, कार्तिक माह में देवउठान एकादशी तिथि से विवाह का लग्न शुरू होता है.

देवोत्थान एकादशी पर शुभ कार्य

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कार्तिक मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान, देवउठान प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है. यह एकादशी दीपावली के बाद आती है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं और कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, इसीलिए इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है. कहते हैं कि देवउठान एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं. भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, इसीलिए देवोत्थान एकादशी पर श्री हरि के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य शुरू होते हैं. इस दिन तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है.

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