राष्ट्रपति जो बाइडन और शी जिनपिंग अमेरिका-चीन संबंधों को स्थिर करने की उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहे हैं. इस बीच दोनों देशों के नेताओं ने एक साल में पहली बार आमने-सामने मुलाकात की. बातचीत को लेकर जो खबर सामने आ रही है उसके अनुसार दोनों देशों ने कई महत्वपूर्ण बातों पर सहमत हुए है. इसके बाद ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन और अमेरिका के संबंध अब नरम हो सकते हैं. इस बैठक के बाद जो बाइडन ने मीडिया से बात की और कहा कि बातचीत को लेकर सबसे बड़ी सहमति ये बनी है कि हम दोनों एक दूसरे को फोन करते रहेंगे और एक दूसरे का फोन उठाएंगे. यानी हम आगे बातचीत करते रहेंगे.
जो बाइडन और शी जिनपिंग ने एक साथ चार घंटे बिताए
राष्ट्रपति जो बाइडन और शी जिनपिंग ने एक साथ चार घंटे बिताए. इस दौरान दोनों नेताओं ने साथ में लंच किया और गार्डेन में टहलते नजर आए. ऐसा करके दोनों नेता दुनिया को ये दिखाना चाह रहे हैं भले ही उनमें global economic competitors है लेकिन उनके रिश्ते ठीक बने हुए है. वे दिखाना चाह रहे हैं कि अमेरिका और चीन आर्थिक प्रतिद्वंद्वी होने के बावजूद वैश्विक प्रभावों के साथ जीत-हार की स्पर्धा में नहीं हैं. यदि आपको याद हो तो दोनों नेताओं ने एक साल पहले बातचीत की थी. दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंध तब और बिगड़ गए जब अमेरिका ने चीन के एक जासूसी गुब्बारे पर निशाना साधा था और उसे मार गिराया था.
दोनों देश डायरेक्ट बातचीत को लेकर समहत हुए
बैठक के बाद जो बाइडन ने कहा कि दोनों देश अब डायरेक्ट बातचीत को लेकर समहत हुए है. हम वापस खुले रूप में बात करेंगे. एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं यह मुलाकात ऐसे वक्त हुई जब अमेरिका और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध सबसे खराब दौर में चल रहा है. हालांकि, शी जिनपिंग से मिलने के बाद बाइडन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें उन्होंने चीनी राष्ट्रपति को तानाशाह कहकर बुलाया है. दरअसल, बाइडन से पूछा गया कि क्या राष्ट्रपति अब भी शी को तानाशाह कहकर संबोधित करेंगे जैसा कि वह पहले कहते नजर आ चुके हैं. इस पर बाइडन ने बिना किसी देरी के कहा कि शी इस मायने में तानाशाह हैं कि वह कम्युनिस्ट देश चलाते हैं…चीन की सरकार हमसे बिल्कुल अलग है…
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इससे पहले, शी का स्वागत करते हुए बाइडन ने कहा था, ‘मैं और शी एक-दूसरे को वर्षों से जानते हैं…अमेरिका और चीन को अपने लोगों को ध्यान में रखते हुए मिलकर काम करने की जरूरत है. इसमें जलवायु परिवर्तन, नशीले पदार्थों की तस्करी को रोकना और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के मुद्दे शामिल हैं…