लोक आस्था के महापर्व छठ की धूम अब प्रदेश की सीमाओं को लांघते हुए सात समंदर पार भी पहुंच चुकी है. बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश से जुड़े लोग विदेशों में भी उसी रीति रिवाज के साथ छठ करते हैं, जैसे उनके प्रदेशों में होती है. इस वर्ष भी इन राज्यों के प्रवासी अमेरिका, दुबई, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा सहित कई अन्य देशों में भी पूरी आस्था के साथ छठ मनाने की तैयारी में जुटे हैं. दुबई में छठ पर्व मनाने वाले लोगों ने बताया कि अब यहां भी छठ के लिए दौरा और सूप मिलने लगा है. सात समंदर पार छठ की छटा बिखरने वाले लोगों का कहना है कि अपनी संस्कृति को जीवंत रखने के उद्देश्य से ही यहां छठ करते हैं.
दुबई में रहने वाले नवीन चंद्र पिछले सात वर्षों से दुबई में ही छठ कर रहे हैं. आरा के रहने वाले नवीन ने बताया कि नौकरी और बच्चों की पढ़ाई की वजह से चाहकर भी घर लौटने का अवसर नहीं मिला. दुबई में बिहारियों का एक समूह है, जिससे जुड़कर लोग त्योहार की खुशियां बांटते हैं. नवीन ने बताया कि पहले सूप, नारियल, दौरा बाहर से मंगवाना पड़ता था. लेकिन, इस बार छठ से जुड़ी सभी सामग्री दुबई में भी मिलने लगी है. हालांकि, त्योहार की जो खुशी अपने बिहार में मिलती है, वह यहां नहीं मिलती है.
छठ पर्व पर घर की याद तो हर बार आती है. घर की यादों को ताजा करने के लिए विदेश में भी छठ पर्व करती हूं. पिछले तीन सालों से दुबई में ही त्योहार सेलिब्रेट कर रही हूं. ये बातें दुबई में रहने वाली पूनम पांडेय ने कही. पूनम ने बताया कि पहले केन्या में पति का जॉब था, तो वहां भी छठ करती थी. उन्होंने बताया कि दुबई में छठ मनाने वालों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है. हालांकि, बिहार में छठ पर्व की तैयारी 10 दिन पहले से ही शुरू हो जाती थी, यहां ऐसा नहीं है. विदेश में भी पूरे विधान के साथ पूजा अर्चना होती है, मगर घर का एहसास कहीं पीछे छूट जाता है.
अमेरिका में नौकरी करते हुए कब यहां बस गये, इसका पता ही नहीं चला. पिछले नौ वर्षों से सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में काम कर रहा हूं. अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर में रहने वाले तरुण कैलाश बताते हैं कि पिछले नौ वर्षों से अमेरिका में ही छठ पर्व मना रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी स्वाति पांडेय छठ व्रत रखती हैं. स्वाति यहां संगीत शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं. संगीत से लगाव होने के कारण उन्होंने यू-ट्यूब पर भी अपनी अलग पहचान स्थापित की है. तरुण ने बताया कि नौ वर्षों के दौरान हर बार छठ पर्व पर घर की याद ताजा हो जाती है. समय के अभाव और काम की बंदिशों की वजह से घर नहीं जा पाते.