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झारखंड: मुरी रेल रोको आंदोलन के छह कुड़मी आंदोलनकारियों को मिली बेल, ST का दर्जा देने की कर रहे हैं मांग

20 सितंबर 2023 को टोटेमिक कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के बैनर तले कुरमी/कुड़मी महतो समाज को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की मांग को लेकर 12 घंटे तक रेल रोको आंदोलन चलाया गया था. इसी मामले में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था.

रांची: मुरी रेल टेका (रोको) आंदोलन की अगुवाई करने वाले छह कुड़मी आंदोलनकारियों को आज शनिवार को रांची की रेलवे अदालत से जमानत मिल गयी. 20 सितंबर 2023 को टोटेमिक कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के बैनर तले कुरमी/कुड़मी महतो समाज को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की मांग को लेकर 12 घंटे तक रेल रोको आंदोलन चलाया गया था. इसकी अगुवाई समाज के अगुआ शीतल ओहदार, हरमोहन महतो, दानिसिंह महतो, सखीचंद महतो, सपन कुमार महतो, सोनालाल महतो आदि कर रहे थे. इस आंदोलन में बड़ी संख्या में कुड़मी समाज के लोग शामिल हुए थे.

छह के खिलाफ नामजद प्राथमिकी करायी गयी थी दर्ज

इस आंदोलन में मुरी आरपीएफ के द्वारा कांड संख्या (1561/2023) दर्ज की गयी थी और रेलवे एक्ट 145,146,147,174(a) लगाकर शीतल ओहदार, हरमोहन महतो, सखीचंद महतो, दानिसिंह महतो, सपन कुमार महतो, सोनालाल महतो को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. इस संदर्भ में अधिवक्ता शष्ठीरंजन महतो ने रेलवे न्यायालय में सरेंडर कम बेल फाइल करते हुए न्यायाधीश से रेल टेका पूर्व घोषित कार्यक्रम होने एवं रेलवे की संपत्ति को किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाने की वकालत करते हुए अभियुक्तों को बेल देने का आग्रह किया.

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रेलवे की अदालत से मिली जमानत

रेलवे की अदालत ने आग्रह स्वीकार करते हुए सभी आंदोनकारियों को बेल दी. बेलर के रूप में कमलेश ओहदार, अरबिंद महतो, नरेश बैठा, मनोज महतो, सुमंत कुमार महतो, विशाल महतो, खुदीराम महतो, बुद्धेश्वर महतो, अविनाश महतो, अनिल महतो, बलराम महतो, महेंद्र महतो, दिलेश्वर महतो, अघनु महतो, रविंद्र महतो, विशाल महतो, सुनील कुमार महतो, शिवलाल महतो सहित अन्य समर्थक उपस्थित रहे. आपको बता दें कि कुड़मी आंदोलन के कारण ट्रेनें प्रभावित हो गयी थीं. कई ट्रेनों के रूट बदले गए थे. बड़ी संख्या में रेल पटरी पर उतरकर आंदोलनकारियों ने रेल परिचालन प्रभावित कर दिया था. इसमें बड़ी संख्या में कुड़मी आंदोलनकारी शामिल हुए थे. ये मुख्य रूप से एसटी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. इससे पहले भी जोरदार आंदोलन कर चुके हैं.

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