पश्चिम बंगाल में एक तरफ जब विश्व भारती विश्वविद्यालय की पट्टिका से रवींद्रनाथ टैगोर का नाम हटाया गया तो राजभवन ने एक अभूतपूर्व फैसला लिया. राज्यपाल सीवी आनंद बोस (Governor CV Anand Bose) ने राजभवन के उत्तरी द्वार का नाम कवि रवींद्रनाथ टैगोर के नाम पर रखा. राजभवन से जारी वक्तव्य में बताया गया कि उत्तरी गेट को अब से “गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर गेट” के नाम से जाना जायेगा. राजभवन का यह उत्तरी द्वार पारंपरिक द्वार है. विशेषकर राजभवन में विशिष्ट अतिथि से लेकर आगंतुक तक सभी इसी उत्तरी द्वार से राजभवन में प्रवेश करते हैं.
राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने राजभवन में इसी गेट का नाम बदला. यूनेस्को से मान्यता मिलने के बाद विश्वभारती विश्वविद्यालय ने जो पट्टिका लगायी थी, उससे कवि रवींद्रनाथ टैगोर का नाम हटा दिया गया. इसके बाद राज्य की राजनीति से लेकर राष्ट्रीय राजनीति तक तीखी बहस शुरू हो गयी. रेक्टर के रूप में राज्यपाल ने विश्व भारती की इस भूमिका के प्रति कड़ा रुख व्यक्त किया. उन्होंने विश्व भारती की इस भूमिका पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. रिपोर्ट मांगने के अलावा उन्होंने पहले ही कहा था कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर बंगाल की संस्कृति को संरक्षित करने वाले अग्रदूतों में से एक थे. विश्व भारती द्वारा जो नयी पट्टिका लगायी जायेगी, उसमें कविगुरु का स्थान होना चाहिए.
विश्व भारती के कुलपति पहले ही बदल चुके हैं. विश्व भारती के पूर्व कुलपति विद्युत चक्रवर्ती का कार्यकाल समाप्त होने के बाद उनका कार्यकाल नहीं बढ़ाया गया. वर्तमान में मौजूदा कुलपति को यूनेस्को की विरासत मान्यता के परिणामस्वरूप कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम का उपयोग करने के लिए केंद्रीय पक्ष द्वारा पहले ही सूचित किया जा चुका है. इस बार राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने विश्व भारती के कुलपति से रिपोर्ट मांगी. राजभवन के एक बयान में कहा गया कि यूनेस्को विरासत मान्यता के लिए स्थापित की जाने वाली नयी पट्टिका की प्रगति जारी है, जिसमें कवि रवींद्रनाथ टैगोर के नाम का उपयोग किया गया है. राजभवन की ओर से जारी बयान में बताया गया कि विश्व भारती को इस पर जल्द रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया गया है.
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