भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव (55) बिलासपुर से सांसद हैं. पार्टी ने उन्हें इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए लोरमी से टिकट दिया. अरुण साव को वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. वर्ष 2019 में केंद्रीय मंत्रियों की जब लिस्ट बन रही थी, तब ऐसी चर्चा थी कि अरुण साव को भी नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है. हालांकि, ऐसा नहीं हुआ. बाद में उन्हें छत्तीसगढ़ प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई. बेहद साफ-सुथरी छवि के नेता अरुण साव को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है. संघ परिवार से उनके परिवार का पुराना नाता रहा है. अरुण साव के पिता अभयराम साव जनसंघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवक थे. यही वजह रही कि वर्ष 2014 में बिलासपुर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले लखनलाल साहू की जगह अरुण साव को बीजेपी ने वर्ष 2019 में अपना उम्मीदवार बनाया. बाद में जब विष्णुदेव साय को बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाया गया, तो उनकी जगह अरुण साव को नया अध्यक्ष बनाया गया. इसकी भी बड़ी वजह यही रही कि वह संघ की पृष्ठभूमि से हैं और उनकी छवि बेदाग है. 1.66 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. उन पर कोई लोन नहीं है.
साहू समाज से आते हैं अरुण साव, जनसंघ व संघ में थे पिता
अरुण साव छत्तीसगढ़ के उस साहू समाज से ताल्लुक रखते हैं, जो राज्य में बहुसंख्यक है. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बड़े नेता भूपेश बघेल की काट के रूप में इसी समाज के नेता अरुण साव को आगे किया गया. बता दें कि अरुण साव से पहले वर्ष 2014 में लखनलाल साहू ने बिलासपुर लोकसभा सीट 1.76 मतों के अंतर से जीता था. बावजूद इसके उनका टिकट काटकर अरुण साव को पार्टी ने उम्मीदवार बनाया. अरुण साव ने राजनीति की शुरुआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सदस्य के रूप में की. छात्र जीवन में ही एबीवीपी से जुड़ गए. वर्ष 1990 से 1995 तक वह एबीवीपी की मुंगेली इकाई के अध्यक्ष रहे. बाद में राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए.
अरुण साव ने मुंगेली से स्नातक और बिलासपुर से ली लॉ की डिग्री
मुंगेली से स्नातक की पढ़ाई करने वाले अरुण साव ने कानून (लॉ) की पढ़ाई भी की है. लॉ की डिग्री उन्होंने बिलासपुर से ली. वर्ष 1996 में अरुण साव को भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवाईएम) के जिलाध्यक्ष बने. तत्कालीन विधायक अमर अग्रवाल के साथ महासचिव भी रहे. बीजेपी ने अरुण साव को इस बार लोरमी विधानसभा सीट से मैदान में उतारा. लोरमी में कांग्रेस ने थानेश्वर साहू को मैदान में उतारा है, तो जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने सागर सिंह ठाकुर को टिकट दिया है. एक और क्षेत्रीय पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने भी लोरमी में अपना उम्मीदवार दिया है. जीजीपी की ओर से संतोष कैवर्त यहां से भाग्य आजमा रहे हैं.
लोरमी विधानसभा सीट पर हो सकता है त्रिकोणीय मुकाबला
लोरमी विधानसभा सीट पर वर्ष 2018 में अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के धर्मजीत सिंह ने जीत दर्ज की थी. धर्मजीत ने बीजेपी के टोखन साहू को 25,553 मतों के अंतर से पराजित किया था. इस बार जेसीसी (जे) ने सागर सिंह ठाकुर को उतारा है, जिनके खिलाफ कोई केस नहीं है. 46 साल के सागर 1.73 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं. 27,21,290 रुपए की उनकी देनदारी भी है. वहीं, कांग्रेस के थानेश्वर साहू 57 साल के हैं. ग्रेजुएट हैं. 4.73 करोड़ रुपए से अधिक की उनकी संपत्ति है. 11.32 लाख रुपए की देनदारी भी है. थानेश्वर ने बताया है कि उनके खिलाफ पांच आपराधिक मामले दर्ज हैं.
लोरमी में 17 नवंबर को हुआ 68.25 फीसदी मतदान
लोरमी विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में 17 नवंबर को मतदान हुआ था. यहां 68.25 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. बता दें कि लोरमी विधानसभा सीट पर कुल 2,28,397 वोटर थे, जिसमें 1,16,043 पुरुष, 1,12,348 महिला और 6 थर्ड जेंडर वोटर थे. इनमें से 79,102 पुरुष, 76,768 महिला और 2 थर्ड जेंडर वोटर समेत कुल 1,55,872 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. कांग्रेस, बीजेपी और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के नेता अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की बादशाहत यहां बनी रहती है या किसी और पार्टी को यहां जीत मिलती है. मतगणना तीन दिसंबर को होगा.
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