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सूखनेवाला है बिहार का गला, 12 वर्षों में 539 घन मीटर प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घटी

बिहार में वर्ष 2050 तक जल की कुल अनुमानित आवश्यकता 145048 एमसीएम आंकी गयी है. इसमें कृषि क्षेत्र के लिए 104706 तथा गैर कृषि कार्य के लिए 40342 एमसीएम की आवश्यकता बतायी गयी है. जबकि बिहार में कुल 132175 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) ही जल उपलब्ध है.

मनोज कुमार, पटना. बिहार में प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता घट गयी है. वर्ष 2011 में प्रति व्यक्ति सतही जल की उपलब्धता 1594 घन मीटर थी. वर्ष 2023 में यह घटकर 1055 घन मीटर हो गयी है. 12 वर्षों में 539 घन मीटर प्रति व्यक्ति जल की उपलब्धता कम हो गयी है. संभावना जतायी जा रही है कि वर्ष 2050 तक यह घटकर 635 घन मीटर रह जायेगी.

बिहार में कुल 132175 एमसीएम जल ही उपलब्ध

बिहार में वर्ष 2050 तक जल की कुल अनुमानित आवश्यकता 145048 एमसीएम आंकी गयी है. इसमें कृषि क्षेत्र के लिए 104706 तथा गैर कृषि कार्य के लिए 40342 एमसीएम की आवश्यकता बतायी गयी है. जबकि बिहार में कुल 132175 एमसीएम (मिलियन क्यूबिक मीटर) ही जल उपलब्ध है. वहीं, वर्तमान में जलाशयों में संग्रहण क्षमता 949.77 एमसीएम ही है. चतुर्थ कृषि रोड मैप में इन आंकड़ों को रेखांकित करते हुए इस पर चिंता जाहिर की गयी है. नहर, पंप, जलाशय सिंचाई योजनाओं का निर्माण और पुनर्स्थापना कर जल प्रबंधन कर जल संकट दूर करने की योजना बनायी गयी है.

107 नयी व 1165 निर्माणाधीन योजनाएं से होगा जल प्रबंधन

जल प्रबंधन के लिए बराज, बीयर, नहर, पंप की 107 नयी योजनाएं प्रस्तावित हैं. इस पर कुल 1919617 लाख रुपये खर्च होंगे. वहीं, 1165 निर्माणधाीन योजनाएं भी कृषि रोड मैप से पूरी कर जल प्रबंधन तथा जल के स्त्रोत बनाये जायेंगे. इस पर 923692 लाख रुपये खर्च किये जायेंगे.

बाढ़ नियंत्रण व बाढ़ प्रबंधन भी होगा

जल संरक्षण के दौरान बाढ़ नियंत्रण व बाढ़ प्रबंधन कार्य भी किये जायेंगे. चतुर्थ कृषि रोड मैप के अनुसार, बिहार में कुल 94.163 लाख हेक्टेयर में से 68.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ प्रभावित है. वर्ष 2023 से 28 तक निर्माणाधीन 11 योजनाओं से 550.42 किलोमीटर तटबंधों का निर्माण किया जायेगा. इन तटबंधों के निर्माण से 19.272 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बाढ़ से सुरक्षा होगी. इस पर कुल 230400 लाख रुपये खर्च होंगे. बागमती व महानंदा बाढ़ प्रबंधन, बक्सर-कोईलवर तटबंध, अधवारा-समूह-झीम-जमूरा में तटबंधों का निर्माण किया जायेगा. गंडक-छाड़ी गंगा नदी जोड़ योजना तथा गंडक-दाहा-घाघरा नदी जोड़ योजना का विकास होगा.

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बिहार के तीन जिलों में बनेंगे गारलैंड ट्रेंच

बिहार में भूजल संरक्षण और सिंचाई सुविधाओं के विकास के लिए तीन जिलों में गारलैंड ट्रेंच बनाये जायेंगे. इसके लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग और आहर-पइन चेकडैम की मरम्मत के लिए लघु जल संसाधन विभाग ने अनुमति दे दी है. साथ ही करीब 50 से अधिक परियोजनाओं पर काम शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. इन सभी परियोजनाओं का काम जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत किया जायेगा.

नवादा व जमुई में जमा होगा बारिश का पानी

राज्य के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने गारलैंड ट्रेंच बनाने के लिए गया जिले में 2.12 करोड़, नवादा जिले में 4.73 करोड़ और जमुई जिले में 4.75 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है. वहीं, रोहतास जिले में भू-जल संरक्षण पर करीब 3.74 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है, जिसकी मंजूरी दी गई है. गारलैंड ट्रेंच का निर्माण पठारों के ठीक नीचे उसकी तलहटी में किया जायेगा, जिसमें बारिश का पानी जमा होगा. इससे भूजल स्तर बढ़ेगा और पानी का उपयोग सिंचाई सहित अन्य काम में किया जायेगा.

10 जिलों में आहर-पइन, चेकडैम की मरम्मत

राज्य के 10 जिलों में करीब 300 आहर-पइन, चेकडैम, तालाब, कुआं की मरम्मत की जायेगी. इस पर करीब 200 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है. इन 10 जिलों में पटना, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, मुंगेर, सारण, जहानाबाद, सिवान और गोपालगंज शामिल हैं.

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