पटना. पत्रकार नगर थाने की पुलिस ने पश्चिम बंगाल के साइबर गिरोह के एक शातिर को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार आरोपित 23 वर्षीय प्रिंस कुमार पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले के नितुरिया थाने के परबेलिया का रहने वाला है. उसके पास से पांच लाख रुपये, सात ब्लैंक चेकबुक, 26 एटीएम कार्ड और छह मोबाइल बरामद हुए हैं. पूछताछ में प्रिंस ने बताया कि उसका गिरोह पश्चिम बंगाल में बैठकर ठगी करता है और पैसा निकासी के लिए कमीशन पर अलग-अलग राज्यों में शातिरों को भेजता है.
सभी खातों को ब्लॉक कराया गया है
सदर एएसपी स्वीटी सेहरावत ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि गिरोह में कई शातिर शामिल हैं. यह और कैश निकालने वाले थे. ठगी का पैसा जैसे ही खाता में आता है, होल्ड करने से पहले कमिशन पर काम करने वाले शातिर पैसे को निकाल कर पश्चिम बंगाल लौट जाते हैं. शातिर क्रेडिट कार्ड अपडेट, फ्रेंचाइजी दिलाने समेत अलग-अलग तरीकों से लोगों को झांसे में लेकर उनसे ठगी करते हैं. जिन-जिन खातों के बारे में जानकारी मिली है, उन सभी को ब्लॉक कराया जायेगा.
काफी देर से पैसा निकाल रहा था युवक
मिली जानकारी के अनुसार गश्ती के दौरान पत्रकार नगर में आइडीएफसी फर्स्ट बैंक की एटीएम के पास पुलिस गाड़ी लगाकर खड़ी थी. युवक बैग लेकर एटीएम में गया और पैसा निकालने लगा. आधा घंटा बाद भी जब युवक एटीएम से नहीं निकला, तो पुलिस को शक हुआ, तब तक प्रिंस पांच लाख रुपये निकाल चुका था. यह देख पुलिस ने जब उसे रोकने की कोशिश की, तो वह भागने की कोशिश करने लगा. पुलिस ने उसे पकड़ कर जब बैग की तलाशी ली, तो बड़ी संख्या में एटीएम कार्ड, कैश, चैकबुक और छह मोबाइल फोन बरामद हुआ. कड़ाई से पूछताछ के बाद उसने बताया कि वह पश्चिम बंगाल के साइबर गिरोह के लिए पैसा निकालता है. इसके लिए उसे दो से तीन प्रतिशत कमीशन मिलता है.
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रिमांड पर लेगी पुलिस, बैंक को भेजा गया डिटेल
एएसपी ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी. इसके बारे में पश्चिम बंगाल पुलिस को भी सूचना दे दी गयी है. वहीं, इसके पास से जो मोबाइल फोन बरामद हुए हैं, उनकी भी जांच की जायेगी. यही नहीं, एटीएम कार्ड और चेकबुक के बारे में बैंक से डिटेल मांगा गया है. उन्होंने बताया कि गिरोह के शातिर फर्जी दस्तावेज पर कई सारे खाते खुलवाते हैं और पश्चिम बंगाल में बैठकर ठगी करते हैं. जब पैसा खाते में आता है, तो अपने गिरोह के शातिरों में से किसी को कमिशन देकर दूसरे राज्य से पैसा निकासी करने के लिए भेज देते हैं, ताकि पुलिस को गिरोह के बीच का लिंक का पता न चल सके.