अजीत साहू, घाघरा(गुमला)
गुमला में टॉयलेट (शौचालय) कथा का यह दूसरा भाग है. किस कदर शौचालय निर्माण में भ्रष्टाचार हुआ है. अगर इसकी जांच हो जाये, तो जिले के वरीय अधिकारियों के साथ मुखियाओं पर कार्रवाई तय है. आज टॉयलेट कथा में घाघरा प्रखंड की रिपोर्ट है. घाघरा प्रखंड के गांवों में आधे-अधूरे शौचालय बना कर छोड़ दिये गये हैं. मजबूरी में लोग शौचालय में लकड़ियां या कबाड़ी का समान रख रहे हैं. जबकि गांव की महिलाएं व पुरुष खुले में शौच करने को मजबूर हैं. घाघरा प्रखंड की 18 पंचायतों में 13 हजार शौचालय बनाये गये थे, परंतु, कई गांवों से शौचालय गायब है. जिन गांवों में कुछ बहुत शौचालय बने हैं, वे भी अधूरे पड़े हैं.
इससे उसका उपयोग नहीं हो रहा है. गांव के 20 प्रतिशत लोग सरकारी शौचालय को अपने खर्च पर मरम्मत कर उसका उपयोग कर रहे हैं. बंशीटोली गांव में शौचालय नहीं: जलका के बंशीटोली गांव में जाकर शौचालय के संबंध में ग्राउंड रिपोर्टिंग की गयी, तो पता चला कि गांव में कोई भी लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते हैं. कारण है कि शौचालय सही तरीके से नहीं बना है. जैसे-तैसे बनाकर शौचालय के पैसे का बंदरबांट किया गया.
ज्ञात हो कि 2016 से स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत शौचालय बनना शुरू हुआ था, जो 2018-19 तक लगभग 13 हजार शौचालय घाघरा प्रखंड की 18 पंचायतों में बनाये गये. कई गांवों में तो शौचालय बना नहीं और पैसों की निकासी कर ली गयी. फूलो देवी व बंदो देवी ने बताया कि जब शौचालय बन रहा था, तो हमलोगों ने कहा था कि शौचालय अच्छे तरीके से नहीं बन रहा है. सरकार द्वारा जो पैसा शौचालय के लिए आवंटित हुआ है. वह पैसा हम लाभुकों को दे दें, तो हमलोग अपने से काम कर और कुछ पैसा लगाकर उसे बेहतर तरीके से बनायेंगे, पर किसी अधिकारी ने हमलोगों की बात नहीं सुनी.