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कार्तिक पूर्णिमा को लेकर बांसी धाम सज-धज कर तैयार, जानें क्यों कहा जाता है सौ बार काशी, एक बार बांसी

कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों तक बांसी नहान मेला का आयोजन नहीं हुआ. मेला लगने की जानकारी के अभाव में दूर दराज से श्रद्धालु नहीं आये थे.

इजरायल अंसारी, बांसी धाम

सौ बार काशी, एक बार बांसी. यहां स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं. कार्तिक पूर्णिमा को लगनेवाले वाले बांसी धाम मेले की तैयारी जोरों पर है. दोनों राज्यों के अधिकारी-कर्मचारी घाटों समेत पूरे परिसर की साफ-सफाई, रंग-रोगन में जुटे हैं. घाटों को सजाया गया है. सोमवार को श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगायेंगे.

पं भरत उपाध्याय ने बताया कि सौ बार काशी नदी में स्नान कर लीजिए, लेकिन एक बार बांसी नदी में स्नान करने के बाद सारे पाप धूल जाते हैं. इस नदी की यह मान्यता है. भगवान श्रीराम और माता सीता ने बांसी नदी में स्नान किया था. देश विदेश, बिहार व उत्तरप्रदेश के लोगों की यहां उमड़ती है भीड़. धनहा थाना क्षेत्र के बिहार-यूपी की सीमा की लाइफलाइन बांसी नदी पर लगने वाला प्रसिद्ध ऐतिहासिक बांसी नहान मेले की तैयारी जोर-शोर से चल रही है. 27 नवंबर को सुबह कार्तिक पूर्णिमा के दिन बिहार-यूपी व नेपाल से पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालु बांसी नदी में आस्था की डुबकी लगायेंगे. इस वर्ष बांसी धाम नहान मेला भव्य लग रहा है.  कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों तक बांसी नहान मेला का आयोजन नहीं हुआ.  मेला लगने की जानकारी के अभाव में दूर दराज से श्रद्धालु नहीं आये थे.  इस वर्ष भव्य मेला लगने की उम्मीद जतायी जा रही है. बांसी के बिहार व यूपी सीमा के व्यवसायियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है.

बोले बिहार व यूपी के व्यवसायी

बांसी के बिहार व यूपी सीमा के व्यवसायी नागेंद्र गुप्ता, विनोद गुप्ता, प्रमोद गुप्ता, भोला गुप्ता, प्रदीप ठाकुर आदि ने बताया कि इस वर्ष ऐतिहासिक बांसी नहान मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है. दो वर्ष कोरोना महामारी के चलते मेला का आयोजन नहीं हो सका था.  पिछले वर्ष मेला का आयोजन हुआ. लेकिन अधिक संख्या में श्रद्धालु नहीं पहुंच सके.  इस वर्ष मेला आयोजन को लेकर जोर शोर से प्रचार प्रसार भी कराया गया है. इससे लाखों की संख्या में बिहार,यूपी व नेपाल से इस ऐतिहासिक कार्तिक पूर्णिमा नहान मेले में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचेंगे.  यूपी के गोरखपुर, देवरिया, पडरौना सहित अन्य जगहों से व्यवसायी अपनी दुकान लेकर पहुंच रहे हैं.  स्थानीय दुकानदारों को भी इस मेले के आयोजन से काफी मुनाफा होने की संभावना है.

भगवान श्रीराम ने बांसी नदी में किया था स्नान

लोक धारणा है कि भगवान श्रीराम सीता माता से ब्याह रचाने के बाद इसी रास्ते अयोध्या के लिए निकले थे. बिहार-यूपी की सीमा बांसी में रात्रि विश्राम किए थे. उनके साथ विभिन्न राज्यों के राजा-महाराजा भी बांसी के बिहार व यूपी के सीमा के गांवों में रात्रि विश्राम किए थे.  सुबह में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीराम ने सीता माता के साथ बांसी नदी में स्नान किया था.  उन्होंने स्नान के बाद कहा था कि इस नदी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भक्त मन से आस्था की डुबकी लगाएगा उसकी मांग पूरी होगी. उसी समय से बांसी धाम को रामधाम भी कहा जाने लगा.

जनकपुर से बांसी तक पहुंची थी सीता माता की सहेलियां

बताया जाता है कि भगवान श्रीराम व माता सीता को अयोध्या के लिए प्रस्थान के दौरान सीता माता को बिहार-यूपी की सीमा तक पहुंचाने के लिए सैकड़ों सहेलियां बांसी तक पहुंची थीं. सुबह सीता माता के साथ उनकी सहेलियां भी बांसी नदी में स्नान करने के बाद जनकपुर वापस लौट गई थीं. सभी बरातियों ने स्नान किया था. बांसी नदी दो राज्यों के बीच सदियों से बहती आ रही है.

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