प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है, इस बार रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा. धार्मिक मान्यता है कि प्रदोष व्रत करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है.
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 दिसंबर को प्रातः काल 07 बजकर 13 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 11 दिसंबर को सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर समाप्त होगी.
10 दिसंबर को प्रदोष काल शाम 05 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगा और संध्याकाल 08 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगा, इस समय में साधक भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर सकते हैं.
इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लें.
स्नान करने के बाद साफ-स्वच्छ वस्त्र पहन लें.
इसके बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
अगर संभव है तो व्रत करें.
भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें.
भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें.
इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें.
पूजा के समय शिव चालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें.
इसके बाद भगवान शिव को भोग लगाएं.
पूजा के अंत में आरती जरूर करें.
प्रदोष व्रत की पूजा सामग्री में आक के फूल, धूप, दीप, रोली, मिठाई, पुष्प, अक्षत, 5 प्रकार के मौसमी फल, दही, घी, गुड़, शक्कर, गन्ने का रस, गाय का दूध, शहद, चंदन, बेलपत्र, अक्षत, गुलाल, अबीर, धतूरा, भांग, जनेऊ, कलावा, कपूर, अगरबत्ती, दीपक आदि होते हैं.