पटना. गुलाबी ठंड के कारण तापमान में गिरावट आयी है, जिसकी वजह से सबसे अधिक बच्चों का स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है. शहर के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस व पटना एम्स की ओपीडी में 20 प्रतिशत बच्चों की संख्या बढ़ गयी है. इनमें सबसे अधिक बच्चे निमोनिया से ग्रस्त हैं. इसके बाद तेज बुखार के साथ चमकी के भी बच्चे आ रहे हैं. पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग में एक सप्ताह पहले जहां रोजाना 270 से 300 के बीच बच्चे आते थे, वहीं अब 350 के आसपास आ रहे हैं. इनमें दो से तीन बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है.
ठंड के साथ डेंगू के मामले घटे
बिहार में ठंड बढ़ते ही डेंगू के मामले कम हो गये हैं. मुजफ्फरपुर समेत कई जिलों में एक भी मरीज नहीं मिले हैं. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट में डेंगू का कोई भी मरीज नहीं मिलने की पुष्टि की है. मुजफ्फरपुर जिला मलेरिया अधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि ठंड बढ़ने के साथ ही डेंगू के मामले आने बहुत कम हो गये हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार, डेंगू के मिलते-जुलते लक्षणों वाले 180 संदिग्ध लोग के साथ जांच के लिए आये. इनमें एक भी व्यक्ति में डेंगू की पुष्टि नहीं हुई.
निमोनिया के लक्षण
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– छोटे बच्चों को बुखार के साथ पसीना व कंपकंपी होने लगती है.
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– जब बच्चों को बहुत ज्यादा खांसी हो रही हो.
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– वह अस्वस्थ दिख रहे हो
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– उसे भूख न लग रही हो
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
आइजीआइएमएस की शिशु रोग विभाग की डॉ आर्या सुचिस्मिता ने बताया कि मौसम में बदलाव होने से सावधान रहने की आवश्यकता है. सुबह बच्चों को खुले में न घुमाएं. पूरी बाजू के गर्म कपड़े पहनाएं. अगर किसी बच्चे को सर्दी, जुकाम और बुखार की शिकायत है, तो तत्काल बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाएं. वहीं एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ सीएम सिंह ने बताया कि पटना एम्स में बच्चों के लिए नीकू पिकू और जनरल समेत 90 बेड उपलब्ध हैं. सोमवार को एम्स में मेननजाइटीस, डेंगू, सांस की तकलीफ समेत निमोनिया से ग्रस्त बच्चे इलाज कराने आये, इसमें निमोनिया ग्रस्त ज्यादा बच्चे हैं.
निमोनिया के खिलाफ चलाया जा रहा है जागरूकता अभियान
बच्चों में होनेवाली निमोनिया की बीमारी को लेकर राज्य में 12 नवंबर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जो फरवरी तक चलेगा. इस अभियान का नाम सांस है. इसको लेकर सभी जिलों को भी गाइडलाइन जारी की गयी है. इसके अनुसार सभी आशा और एएनएम को निर्देश दिया गया है कि कहीं भी बच्चों में निमोनिया की शिकायत मिले, तो उसको लेकर वह समुचित इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराये. चिकित्सकों को भी निमोनिया और बच्चों में सांस की तकलीफ को दूर करने के लिए लगातार प्रशिक्षण चलाया जा रहा है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अभी तक स्थिति सामान्य है. किसी भी जिले से कोई गंभीरता की रिपोर्ट मुख्यालय के पास नहीं आयी है.
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कोई भी तेज बुखार हो सकता है चमकी
पीएमसीएच शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ भूपेंद्र नारायण ने बताया कि चमकी बुखार कोई बीमारी नहीं है. कोई भी तेज बुखार चमकी हो सकता है. दिन में गर्मी व रात में ठंडी वर्तमान में इस बीमारी का कारण है. इससे प्रभावित बच्चों को अचानक तेज बुखार के साथ शरीर में चमकने जैसा हलचल होता है. यह वायरल इंसेफलाइटिस, मेनिनजाइटिस भी हो सकता है. जो ठंड के मौसम में भी होता है. ऐसे में अगर बच्चे को तेज बुखार है तो तुरंत पानी का पट्टी सिर पर दें. कपड़ा पानी में भिगो कर लगाएं.
केस 1
जगदेव पथ के रहने वाले नीरज कुमार के तीन साल के बेटे शिवांशु कुमार को तेज बुखार के साथ झटके आ रहे थे. हालत खराब हुई तो परिजन पीएमसीएच लेकर गये, जहां शिशु वार्ड में भर्ती किया गया. जांच के बाद डॉक्टरों ने चमकी बुखार बताया.
केस 2
व्रती कुमारी गया जिले की रहने वाली है. जो पीएमसीएच के शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी वार्ड में भर्ती है. दादी मुनकी देवी ने बताया कि 10 दिन से बुखार ठीक नहीं हो रहा था. पीएमसीएच में डॉक्टरों ने चमकी बुखार बताया, बेड पर भर्ती कर इलाज किया जा रहा है.
केस 3
कोइलवर का चार साल का सिद्धार्थ कुमार शिशु रोग विभाग में भर्ती है. पिता दिलीप कुमार ने कहा कि नाक जाम, खांसी व सांस लेने में तकलीफ है. डॉक्टरों ने ब्रोंकोलाइटिस बताया. हालांकि भर्ती के बाद अब उसके स्वास्थ्य में सुधार आ रहा है.
अभिभावक बरतें एहतियात
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– पुराने पर्चे पर लिखी हुई दवा न दें, भले ही बीमारी के लक्षण पहले जैसे हों, एक बार डॉक्टर से मिलकर अपडेट हो जाएं.
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– बीमारी की शुरुआत में ही इलाज कराएं, देर करने पर बीमारी बढ़ सकती है.
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– दवा दुकानदार की सलाह पर कफ सीरप न खरीदें, ये दवाएं बीमारी को कुछ दिन के लिए दबाती हैं, पूरी तरह ठीक नहीं करती.
एनएमसीएच में भी सभी बेड फुल
अरस्पताल के ओपीडी में खांसी, सर्दी, जुकाम, निमोनिया, हफनी के मरीजों की संख्या बढ़ी है. अस्पताल के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई निक्कू और पिकू इमरजेंसी विभाग मरीजों से पटा है. अस्पताल में निक्कू के 36 बेड है. इसमें 24 बेड शिशु रोग विभाग और 12 बेड एमसीएच भवन में संचालित होता है. सभी बेड फुल हैं. इसी प्रकार पिकू के नौ बेड विभाग में और पांच बेड एमसीएच में संचालित है.
पालीगंज में औसत 20 बच्चे आ रहे अस्पताल
पालीगंज अनुमंडलीय अस्पताल उपाधीक्षक आभा कुमारी ने बताया कि अस्पताल में रोजाना औसत 20 बच्चे सर्दी, खांसी व बुखार की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. गलसुआ (मंम्पस) के भी सप्ताह में एक-दो बच्चे आ रहे हैं. फिलहाल अस्पताल में कोई बच्चा एडमिट नहीं है.