बरेली : उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग को चीरकर 17 दिन बाद श्रमवीर बाहर आने लगे हैं.यह मजदूर दीपावली यानी 12 नवंबर से फंसे थे.वह 17 दिन तक सुरंग में फंसे रहे, यह भी रिकार्ड है.उनके बाहर आने के बाद हर कोई श्रमवीरों के हौसलों को सलाम कर रहा है.इन 41 मजदूरों ने 17 दिन में हर सेकेंड जिंदगी मौत से जंग लड़ी है.मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिका की “ऑगर” मशीन से खुदाई का कार्य किया गया, लेकिन 48 मीटर की खुदाई के बाद यह मशीन मलबे में ही फंस गई थी.इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग कर निकालने की कवायद की गई.सुरंग में फंसे यूपी के 8 मजदूर हैं.इसमें 6 श्रावस्ती, और एक लखीमपुर खीरी का है.राष्ट्रीय डेटाबेस के अनुसार देश में सबसे अधिक मजदूर यूपी के हैं. यूपी में 8.22 करोड़ मजदूर पंजीकृत हैं.यहां के प्रयागराज जिले में सबसे अधिक 22 लाख असंगठित श्रमिक पंजीकृत हैं.इसके बाद जौनपुर में 21 लाख, सीतापुर में 20 लाख, बरेली में 19 लाख, आजमगढ़ में 19 लाख, गोरखपुर में 18 लाख, लखनऊ और कानपुर नगर 15- 15 लाख, वाराणसी,और अलीगढ़ में 14- 14 लाख, मुरादाबाद में 12 लाख, मेरठ में 11 लाख, गाजियाबाद में 9 लाख और गौतम बुद्ध नगर में 5.61 लाख श्रमिक पंजीकृत हैं.यह मजदूर ही रोजी रोटी की तलाश में दूसरे प्रदेशों में जाते हैं.
यूपी में सबसे अधिक मजदुर हैं.मगर, इनको जिलों के रोजगार नहीं मिलता. यूपी में 213 रूपये की मजदूरी निर्धारित की गई है.यूपी में कृषि क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों (खेतीहर मजदूरों) की न्यूनतम मजदूरी कुछ समय पहले तय की गई थी.इसमें कृषि मजदूरों को रोजाना 213 रुपये मिलते हैं. महीने भर की मजदूरी 5538 रुपये,यानी अब कृषि के क्षेत्र में कोई भी काम करने वाले मजदूर को इससे कम भुगतान नहीं किया जा सकेगा.यह ही मजदूरी मनरेगा मजदूरों को मिलती है.मगर, इस मजदूरी से परिवार को पालना, तो दूर नमक, प्याज, मिर्च, और सब्जी मिलना भी मुश्किल है.
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यूपी में सबसे अधिक प्रवासी मजदूर हैं.यूपी के बरेली, बदायूं, मुजफ्फरपुर, बिजनौर, प्रयागराज, उन्नाव, श्रावस्ती, अंबेडकर नगर, कासगंज, मुरादाबाद, पीलीभीत, रामपुर, कौशांबी, फैजाबाद समेत 33 जिलों से दिल्ली, उत्तराखंड,पंजाब, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मुंबई आदि में मजदूरी करने जाते हैं
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद