भागलपुर पुलिस केंद्र के परिवहन कोषांग प्रभारी अभिषेक कुमार( 28 वर्ष) का शव मंगलवार को जिले के एससी-एसटी थाना और महिला थाना भवन के दूसरे तल्ले पर पंखे से लटका मिला. संदेहास्पद स्थिति में हुई इस मौत को फांसी लगा कर आत्महत्या करना बताया जा रहा है. जबकि परिजनों ने विभाग के अर्जुन नाम के एक मुंशी और दो चालक पर हत्या का आरोप लगाया है. मृतक के पिता परमानंद सिंह, भाई विवेक कुमार व अन्य परिजनों के पहुंचने के बाद पुलिस ने शव को देर रात पोस्टमार्टम के लिए भेजा. पोस्टमार्टम के लिए एक दंडाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की गयी थी जबकि पोस्टमार्टम की पूरी प्रक्रिया का वीडियोग्राफी कराने का निर्देश दिया गया था. वहीं पोस्टमार्टम के बाद एमटी प्रभारी का शव गया जिला स्थित चेरकी थाना क्षेत्र में उनके पैतृक गांव जमड़ी पहुंचा. अभिषेक कुमार का शव गांव पहुंचते ही लोग आक्रोशित हो गए और लोगों ने शव के साथ गया-चेरकी मुख्य सड़क मार्ग के वारलेस गांव के समीप सड़क जाम कर दिया. सड़क पर आगजनी कर प्रदर्शन किया और मामले की जांच करके दोषियों को सजा देने की मांग की. बता दें कि पुलिस अभिषेक की मौत की गुत्थी सुलझाएगी. परिजनों ने सहकर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जबकि एक डायरी भी पुलिस के हाथ लगा है जो जांच में मददगार साबित हो सकती है.
वर्ष 2019 बैच के सार्जेंट अभिषेक महज 28 वर्ष उम्र के थे. मिडिल क्लास फैमली का एक लड़का जिसके पिता दिल्ली में कमाते थे और मां आज भी बीमार है. उस लड़के ने बेहद कम उम्र में ही सरकारी नौकरी हासिल की. सार्जेंट बना और वर्ष 2022 में उन्होंने भागलपुर जिला पुलिस बल में योगदान दिया था. उन्हें परिवहन कोषांग प्रभारी बनाया गया था. अपने कच्चे के मकान को अभिषेक ने पक्के का बनाया. पिता दिल्ली से बिहार अपने गांव आ गए. बेटा अब अधिकारी बन चुका था. अभिषेक ने गांव में एक मंदिर भी बनवाया था. बेहद साकारात्मक रहने वाले एक सफल लड़के का शव फंदे से लटकता हुआ मिलता है और मौत की वजह अब पहेली बनी हुई है.
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पुलिस ने घटना स्थल से तीन मोबाइल और एक डायरी बरामद किया है. जिसमें एक मोबाइल में सिम कार्ड नहीं लगा था. इधर मामले की जांच को लेकर सिटी एसपी के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया गया है. घटना सुबह 10.30 से 11 बजे के बीच की बतायी जा रही है. पुलिस अधिकारी ने किसी कार्य से परिवहन शाखा प्रभारी से संपर्क करना चाह रहे थे. पता चला कि वे न तो कार्यालय पहुंचे हैं और न ही किसी का फोन रिसीव कर रहे हैं. फिर पुलिसकर्मियों को उनके कमरे पर भेजा गया तो उनका दरवाजा अंदर से बंद पाया गया. सूचना एसएसपी आनंद कुमार को दी गयी. इसके बाद स्थानीय पुलिस ने दरवाजा तोड़ कर कमरे में प्रवेश किया तो अभिषेक कुमार पंखे से झूलते पाये गये. अभिषेक ने सीलिंग केवल के सहारे फांसी लगायी थी. उनके बेड पर एक प्लास्टिक की कुर्सी लुढ़की मिली. जिससे प्रतीत हो रहा था कि बेड पर कुर्सी रखा गया. फिर कुर्सी पर चढ़ कर अभिषेक ने फंदा तैयार किया. अपने पांव से कुर्सी को झटका दे कर हटा दिया. इसके बाद वे फंदे से झूल गये.
बात सामने आयी कि अभिषेक कुमार से सुबह 10.30 बजे से पहले कई पुलिसकर्मियों और अधिकारियों ने संपर्क किया था. वे बिल्कुल सामान्य थे. यह बात भी सामने आयी है रात में अभिषेक कुमार ने गश्त भी किया था. कमरे में किसी भी प्रकार का सुसाइड नोट नहीं मिलने की बात पुलिस अधिकारियों द्वारा कही जा रही है. पुलिस स्तर से घटना स्थल पर एफएसएल टीम को बुला कर साक्ष्य संकलन कराया गया है. घटना सामने आने के बाद वीडियोग्राफी भी करायी गयी. एक पुलिसकर्मी ने बताया कि सुबह के समय अभिषेक किसी से मोबाइल पर बड़ी तल्खी के साथ बात करते देखे गये थे. अभिषेक के कई करीबियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से वे काम के कारण तनाव में भी रहते थे. उनका स्वभाव मिलनसार था. अभिषेक कुमार मूल रूप से गया जिले के जमड़ी थाने के चेरकी गांव के रहने वाले थे.अभिषेक के रिश्ते का एक भाई सबौर कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हैं.
अभिषेक के भाई विवेक कुमार ने मीडिया कर्मियों से बताया कि उसके भाई को विभाग के ही अर्जुन मुंशी और दो चालक परेशान किया करते थे. अर्जुन मुंशी उसके भाई का हस्ताक्षर कर रकम की निकासी कर लेता था. जब उसका भाई आपत्ति व्यक्त करता था तो उसे धमकी दी जा रही थी. विवेक ने बताया कि उसका भाई कमजोर नहीं था, वह आत्महत्या नहीं कर सकता है. मुंशी और चालकों ने मिल कर उसके भाई की हत्या कर दी है. जबकि परिजनों द्वारा हत्या का आरोप लगाये जाने पर सिटी एसपी अमित रंजन ने कहा कि सभी बिंदुओं पर पुलिस जांच कर रही है.
परिवहन शाखा प्रभारी अभिषेक कुमार के मौत की गुत्थी उसके कमरे से बरामद उसकी डायरी और तीन मोबाइल में छिपी है. मालूम हो कि पुलिस द्वारा बरामद किये गये तीन मोबाइल में से एक मोबाइल में सिम कार्ड नहीं है जबकि डायरी के आधे से अधिक पन्ने भरे पड़े हैं. अंदाजा लगाया जा रहा है कि उक्त डायरी के आधे से अधिक पन्ने भरे पड़े हैं. उक्त डायरी अभिषेक के मौत के पीछे की कहानी को उजागर करने में साहायक सिद्ध हो सकता है. जबकि पुलिस ने मोबाइल की छानबीन के लिए साइबर एक्सपर्ट को जांच में लगाया है तो मोबाइल कॉल डिटेल के सहारे भी मौत के पीछे की कहानी जानने का प्रयास किया जा रहा है.
घटना के समय कई पुलिस कर्मियों ने बताया था कि अभिषेक की सगाई हो चुकी थी. उसकी शादी होने वाली थी. पुलिस कर्मियों ने बताया कि अभिषेक के व्हाट्सएप डीपी पर पिछले एक माह से मेहंदी लगे एक लड़की के हाथ की तस्वीर है. पुलिस कर्मियों ने बताया कि शायद उक्त हाथ अभिषेक के मंगेतर की है. एक पुलिसकर्मी ने तो यहां तक बताया कि पिछले कुछ दिनों ने अभिषेक लगातार एक अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर अपने इंगेजमेंट की तस्वीर लगा रहे थे. हालांकि उसके भाई विवेक और उसके परिजनों ने स्पष्ट बताया कि अभिषेक की शादी तय नहीं हुई थी. कई रिश्ते आ रहे थे लेकिन कोई भी रिश्ता फाइनल नहीं हुआ था.
जानकारी मिली है कि सुबह अपने कमरे में अभिषेक किसी से तल्ख हो कर मोबाइल से बात कर रहे थे. इसी क्रम में एक पुलिसकर्मी उसके कमरे के पास गया तो अभिषेक ने उसे डांट भी लगा दी. पुलिस कर्मियों ने बताया कि अभिषेक काफी शांत और सहज स्वभाव के थे. इस तरह से तल्ख बातचीत करते हुए उसे किसी से नहीं देखा गया था.
घटना से पूर्व कई अधिकारियों और पुलिसकर्मियों ने अभिषेक से बात की गयी थी. इसी क्रम में 10.15 में पुलिस लाइन में तैनात डीएसपी की बात चीत भी अभिषेक के साथ हुई थी. तक तक स्थिति सामान्य होने की बात कही जा रही है. जानकारी मिली है कि अभिषेक का काम ऐसा था कि कार्यालय समय शुरू होने से पहले अधिकारी और पुलिसकर्मी लगातार उसके संपर्क में रहते थे.
भागलपुर रेंज के डीआइजी विवेकानंद ने कहा कि प्रथम दृष्टया मामला आत्महत्या का प्रतीत होता है. एफएसएल की टीम से साक्ष्य संकलन कराया गया है. छानबीन के बाद पता चलेगा कि वे किस तरह की मानसिक स्थिति से गुजर रहे थे और आत्महत्या का क्या कारण है.