आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी आम लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिए हैं. लेकिन गाजियाबाद में देश का पहला हैरान करने वाला मामला सामने आया है. यहां साइबर अपराधियों ने उगाही के लिए रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी की ही आवाज और चेहरा इस्तेमाल कर वीडियो बनाया. फिर वीडियो की मदद से अपराधियों ने बुजुर्ग के साथ ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. पुलिस ने बुधवार को बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद फौरन मुकदमा दर्ज कर लिया. क्लर्क के तौर पर काम करने वाले कविनगर थाना क्षेत्र के गोविंदपुरम में रहने वाले 74 वर्षीय अरविंद शर्मा ने हाल ही में पहला मोबाइल फोन खरीदकर फेसबुक अकाउंट बनाया. 4 नवंबर को जालसाजों ने फेसबुक पर वीडियो कॉल के जरिए उनसे संपर्क साधा. फोन उठाने पर दूसरी तरफ नग्र महिला दिखाई दी. उन्होंने फौरन फोन को कट कर दिया. एक घंटे बाद शर्मा को व्हाट्सएप पर दूसरी वीडियो कॉल आई. इस बार एक वर्दीधारी उन्हें धमकी दे रहा था. पीड़ित शख्स की बेटी मोनिका ने शिकायत में बताया कि पुलिस की वर्दी में नजर आ रहे शख्स ने पिता को पैसों का भुगतान नहीं करने पर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी. उसने ये भी चेतावनी दी कि पिता का महिलाओं से बात करने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा. डरे हुए बुजुर्ग ने दामन को दाग से बचाने के लिए जालसाजों को बार-बार पैसे का भुगतान किया.
जालसाजों की मांग पूरी करने के लिए पिता ने कंपनी से कर्ज भी लिया. बेटी ने बताया कि साइबर अपराधियों की वसूली से तंग आकर पिता खुदकुशी की सोचने लगे. 74 हजार रुपये का भुगतान करने के बाद पिता का धैर्य जवाब दे गया. आखिरकार शर्मा ने परिजनों को वारदात के बारे में बताया. परिजनों ने आईपीएस अधिकारी का पता लगाने के लिए गूगल पर सर्च किया. पता चला कि वीडियो में पूर्व एडीजी प्रेम प्रकाश थे. परिजनों को यूपी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी की धमकी और उगाही पर यकीन नहीं हुआ. उन्होंने पुलिस को मामले की जानकारी दी. कविनगर एसीपी अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया कि शिकायत मिलने के बाद मंगलवार को वरिष्ठ नागरिक से संपर्क साधा गया. मामले का भंडाफोड़ करने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है.
किसी रियल वीडियो में दूसरे के चेहरे को फिट कर देने को डीपफेक नाम दिया गया है, जिसे आप लोग यकीन मान लें. डीपफेक से वीडियो और फोटो को बनाया जाता है. इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का सहारा लिया जाता है. इसमें वीडियो और ऑडियो को टेक्नोलॉजी और सॉफ्टवेयर की मदद बनाया जाता है. इसी डीपफेक से वीडियो बनाया जाता है. साधारण शब्दों में समझें, तो इस टेक्नोलॉजी कोडर और डिकोडर टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है. डिकोडर सबसे पहले किसी इंसान के चेहरे को हावभाव और बनावट की गहन जांच करता है. इसके बाद किसी फर्जी फेस पर इसे लगाया जाता है, जिससे हुबहू फर्जी वीडियो और फोटो को बनाया जा सकता है. हालांकि इसे बनाने में काफी टेक्नोलॉजी की जरूरत होती है, ऐसे में आमल लोग डीपफेक वीडियो नहीं बना सकते हैं. लेकिन इन दिनों डीपफेक बनाने से जुड़े ऐप मार्केट में मौजूद हैं, जिनकी मदद से आसानी से डीफफेक वीडियो को बनाया जा सकता है.
-
डीपफेक वीडियो को फेशियल एक्सप्रेशन से पहचाना जा सकता है.
-
फोटो और वीडियो के आईब्रो, लिप्स को देखकर और उसके मूवमेंट से भी पहचान की जा सकती है.
-
अगर आप ऑनलाइन कुछ भी शेयर कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि क्या शेयर कर रहे हैं और कौन इसे एक्सेस कर पा रहे हैं.
-
यानी कि अगर आप सोशल मीडिया पर अपनी पिक्चर और वीडियो शेयर करते हैं तो आपको ध्यान रखना है कि आप इसको सीमित मात्रा में शेयर करें और हो सकें तो अपनी प्रोफाइल प्राइवेट रखें.
-
अगर फिर भी आप शेयर कर रहे हैं तो आपको हाई प्राइवेसी सेटिंग्स का उपयोग करने का ध्यान रखें.
-
पासवर्ड हमेशा से स्ट्रॉग रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि आपके सभी ऑनलाइन अकाउंट को सुरक्षित रहता है। इससे छवियों और वीडियो दोनों को सुरक्षित रखा जा सकता है.
-
इसके अलावा आपको समय-समय पर अपने पासवर्ड को बदलते रहना भी जरूरी है.
-
आज कल स्कैमर्स आपके डेटा और ऑनलाइन अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए आप एंटीवायरस का इस्तेमाल कर सकते हैं.
-
ये इसलिए जरूरी है कि साइबर अपराधी आपका रॉ डेटा इकट्ठा करते हैं और इसका उपयोग बाद में डीपफेक वीडियो बनाने के लिए किया जा सकता है.
-
इसके अलावा आप फिंगरप्रिंट और वॉटरमार्क का इस्तेमाल कर सकते हैं , जिससे इमेज और वीडियो को फिंगरप्रिंट या वॉटरमार्क का उपयोग इसे सिक्योर रख सकते हैं.