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हरनौत बाजार में बननेवाले एलिवेटेड रोड के निर्माण पर लगी रोक खत्म, बख्तियारपुर रजौली एनएच का रास्ता साफ

हाइकोर्ट ने बख्तियारपुर रजौली एनएच मार्ग पर हरनौत बाजार में बनने वाले एलिवेटेड रोड के निर्माण में लगे रोक को हटाते हुए इस सड़क मार्ग का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का आदेश दिया. कोर्ट का कहना था कि लोक कल्याण कार्य को देखते हुए रोक लगाना सही नहीं है.

पटना. हाइकोर्ट ने बख्तियारपुर रजौली एनएच मार्ग पर हरनौत बाजार में बनने वाले एलिवेटेड रोड के निर्माण में लगे रोक को हटाते हुए इस सड़क मार्ग का निर्माण कार्य जल्द पूरा करने का आदेश दिया. गुरुवार को न्यायमूर्ति संदीप कुमार की एकलपीठ ने विनय कुमार सिन्हा की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह निर्देश दिया. कोर्ट का कहना था कि लोक कल्याण कार्य को देखते हुए रोक लगाना सही नहीं है. इस केस में जमीन मुआवजा को लेकर उत्पन्न विवाद के कारण निर्माण कार्य पर रोक लगाने से लोक कल्याण कार्य गत वर्ष तीन मार्च से बंद पड़ा हुआ है. वही एनएच की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ केएन सिंह और अधिवक्ता मौर्या विजय चंद्र ने कोर्ट को बताया कि खतियान में जमीन केशरेहिन्द के नाम से दर्ज हैं जिस कारण जमीन का मुआवजा को लेकर विवाद हैं.

तीन मार्च 2022 से बंद है निर्माण कार्य

इस केस में जमीन मुआवजा को लेकर उत्पन्न विवाद के कारण निर्माण कार्य पर रोक लगाने से लोक कल्याण कार्य गत वर्ष तीन मार्च से बंद पड़ा हुआ है. वहीं एनएच की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल डॉ केएन सिंह और अधिवक्ता मौर्या विजय चंद्र ने कोर्ट को बताया कि खतियान में जमीन केशरे हिन्द के नाम से जमीन दर्ज है. इस कारण जमीन का मुआवजे को लेकर विवाद हैं, जबकि आवेदक की ओर से कोर्ट को बताया कि 1943 में पटना डिस्ट्रिक्ट बोर्ड ने इस जमीन को बाबू उमा नाथ सिंह के साथ रजिस्टर्ड डीड से बदलेन किया था. 1944 में बाबू उमा नाथ सिंह ने इस जमीन को आवेदक के वंशज को रजिस्टर्ड डीड से बेच दिया. तब से जमीन पर उनका दखल कब्जा चला आ रहा है. यही नहीं वर्ष 1955 में बाढ़ एसडीओ ने अतिक्रमण को लेकर इन्हें नोटिस दिया था.

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1956 में अतिक्रमण विवाद समाप्त कर दिया गया

आवेदक के पिता की ओर से आपत्ति जबाब दिये जाने के बाद 1956 में अतिक्रमण विवाद समाप्त कर दिया गया. अब जमीन को सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित किये जाने के बाद मुआवजा देने में मालिकाना हक को लेकर विवाद किया जा रहा है. यही नहीं वर्ष 1955 में बाढ़ एसडीओ ने अतिक्रमण को लेकर इन्हें नोटिस दिया था. आवेदक के पिता की ओर से आपत्ति जबाब दिये जाने के बाद 1956 में अतिक्रमण विवाद समाप्त कर दिया गया. अब जमीन को सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहित किये जाने के बाद मुआवजा देने में मालिकाना हक को लेकर विवाद किया जा रहा है.

पटना हाईकोर्ट ने लगी रोक हटाई

कोर्ट ने सभी पक्षों की ओर से पेश दलील को सुनने के बाद लगी रोक को हटाने का आदेश दिया. कोर्ट का कहना था कि लोक कल्याण कार्य को देखते हुए रोक लगाना सही नहीं है. इस मामले पर जवाब आने के बाद सुनवाई होगी. इधर, निर्माण कम्पनी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एक माह के भीतर निर्माण कार्य पूरा कर लिया जायेगा. अब मुआवजे को लेकर अगली सुनवाई होगी.

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