अक्षय पांडेय के तीन भोजपुरी नवगीत प्रभात खबर के दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हुए हैं. तीन नवगीत आप यहां भी पढ़ सकते हैं.
अँखिया में सपना
सपनवाँ में चनवाँ बा
बिनु चन्दा अँगना अन्हार ए राजा !
दुख क रइनियाँ त
कउवो ले करिया हो
दिनवाँ तवेला जइसे
टिनवाँ क थरिया हो
जिनिगी बनल अलचार ए राजा !
कन्हियाँ से केतना
बिलग लागे मथवा हो
हथवा के सूझे नाहीं
अपने ई हथवा हो
पेटवो मुदइया हमार ए राजा !
तनिको ना लागे आपन
धरती-गगनवाँ हो
नदिया किनारे क
मटिया ई मनवाँ हो
अँगरत गिरत अरार ए राजा!
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हर कोना बइठल हलकानी बा
अपना घर क इहे कहानी बा।
मुँह क भरे कठौती ओन्हल
चाकी चुप, चूल्हा उदास बा
बटलोही से लड़े भगौना
गगरी क लागल पियास बा
चिरुआ भर बस बाँचल पानी बा
अपना घर क इहे कहानी बा ।
आँख उरेहे सपना पल छिन
कागा अब ना सगुन उचारे
उतरी चंदा कब आँगन में
रोज़ अमावस काजर पारे
करिखा करिखा कुल जिनगानी बा
अपना घर क इहे कहानी बा ।
बा दबाव छत क देवाल पर
कइसे खुली नया दरवाजा
खूँटी-खूँटी भूख टंगल बा
आन्हर रानी आन्हर राजा
लोकतन्त्र क लाश चुहानी बा
अपना घर क इहे कहानी बा।
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शासन ई शकुनी
सिरजे उल्टा चाल
समय कs सिपाही
निकलल अंगुलीमाल ।
कहिया ले वक्त तथागत होई
पान दूब हरदी आखत होई
होई कब दिन गुलाब
मौसम मांगे जबाब
टूटी कब नींद राजधानी कs
फिर अपना पानी पर
खड़ा बा सवाल ।
परजा अब केसे फरियाद करो
पीड़ा कs कइसे अनुबाद करो
भीतर छत कs दबाव
बाहर ठंढा अलाव
पाकत नइखे सपना जिनिगी कs
चूल्हा में घर कइलस
आग कs दलाल ।
उतरी कब सोन-किरिन आँगन में
कहिया ले चन्द्रमा उगी मन में
करिखा थूके अकास
धूर-धुआँ आस-पास
मुरचाइल हरबा कब धार धरी
खूँटा में अँटकल बा
चिरई कs दाल ।
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