Narendra Singh Tomar : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम आज आने वाले है. राज्य के कुल 230 विधानसभा सीटों के लिए जब नतीजे आएंगे तो कुछ ऐसे प्रमुख चहरे होंगे जिन पर सबकी नजर बनी रहेगी. उन नामों में से एक नाम है केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने एक ही नहीं कई केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतारा है लेकिन, नरेंद्र सिंह तोमर को जिस विधानसभा सीट से उतारा गया है उसका इतिहास काफी पुराना है. यहां नरेंद्र सिंह तोमर के सामने कांग्रेस ने वर्तमान विधायक रविंदर सिंह तोमर को फिर से मैदान में उतारा है. सीट की अगर बात करें तो दिमनी विधानसभा सीट पर मतदान वाले दिन हिंसक झड़प भी हुई थी जिसमें दो लोग घायल हो गए थे. इस बीच आइए हम पहले जानते है इस सीट का समीकरण बताते हैं…
मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट के इतिहास पर नजर डालें तो 1980 से 2008 तक इस सीट पर बीजेपी का दबदबा रहा…लेकिन पिछले दो चुनावों से बीजेपी को कांग्रेस के हाथों मुंह की खानी पड़ी, खासकर उपचुनाव में…साल 2018 में कांग्रेस के गिर्राज दंडोतिया ने इस सीट से जीत दर्ज की थी. वहीं 2013 के चुनाव में बसपा के बलवीर सिंह दंडोतिया ने जीत का परचम लहराया था. बीजेपी ने अपने गढ़ में फिर से वापसी करने के लिए नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज नेता पर दांव खेला है.
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दिमनी में कुल 201517 मतदाता हैं.
112279 पुरुष मतदाता
89234 महिला मतदाता
अन्य 4 मतदाता
-1990- मुंशी लाल (बीजेपी)
-1993- रमेश कोरी (कांग्रेस)
-1998- मुंशी लाल (बीजेपी)
-2003- संध्या रे (बीजेपी)
-2008- शिवमंगल सिंह तोमर (बीजेपी)
-2013- बालवीर सिंह दंडोतिया (बीएसपी)
-2018- गिरीराज दंडोतिया (कांग्रेस)
-2020 (उपचुनाव)- रविंदर सिंह तोमर भिडोसा (कांग्रेस)
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नरेंद्र सिंह तोमर की बात करें तो वे गैर राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं. उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट आपातकाल का समय था, जब नरेंद्र सिंह तोमर जयप्रकाश नारायण के देशव्यापी आंदोलन में नजर आए. इस दौरान उनकी पढ़ाई छूटी और जेल गये. इसके बाद उनके जीवन में राजनीति ने कदम रखा. 1998 में नरेंद्र सिंह तोमर ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचे. बीजेपी की राजनीति में उनका कद काफी बड़ा माना जाता है ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी को उनका गढ़ वापस दिला पाने में वह सफल होते है या नहीं.