बिहार के नगरपालिका और शहर से सटे प्लानिंग एरिया (आयोजना क्षेत्रों) में प्लॉटिंग के द्वारा जमीन की खरीद-बिक्री या 25 डिसमिल से कम क्षेत्रफल वाले भूखंड की खरीद-बिक्री के समय जमीन के सामने कम से कम 20 फुट चौड़ी सड़क छोड़ना अनिवार्य होगा. रजिस्ट्री दस्तावेज में इस रास्ते का उल्लेख करते हुए ही निबंधन की प्रक्रिया पूरी की जायेगी. इस संबंध में नगर विकास एवं आवास विभाग ने मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग के सचिव को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में विभाग ने इसका अनुपालन कराने का आग्रह करते हुए कहा है कि यदि किसी कारणवश ऐसा किया जाना संभव नहीं हो तो संबंधित डीएम की लिखित अनुमति या अनापत्ति के बाद ही रजिस्ट्री की अनुमति दी जाये.
ले-आउट की स्वीकृति बगैर हो रही भूखंडों की खरीद-बिक्री
विभाग ने अपने लिखे पत्र के माध्यम से बताया कि नगर विकास एवं आवास विभाग ने नए नगरपालिका क्षेत्रों अथवा कम विकसित आयोजना क्षेत्रों के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में ले-आउट की स्वीकृति कराये बिना प्लॉटिंग के आधार पर भूखंडों की हो रही खरीद-बिक्री को देखते हुए यह कदम उठाया है.
बिल्डिंग बायलॉज में सड़क निर्माण के प्रावधान का नहीं हो रहा पालन
विभाग ने बताया कि जांच में यह भी पाया गया है कि कई क्षेत्रों में अलग-अलग प्लॉट की बिक्री बिना पहुंच पथ अथवा बिना न्यूनतम आवश्यकता से कम चौड़ी सड़क छोड़े बिना की जा रही है. बिल्डिंग बायलॉज में सड़कों की लंबाई के आधार पर न्यूनतम चौड़ाई का प्रावधान किया गया है, जिसमें सड़क की न्यूनतम चौड़ाई नौ मीटर है. एक एकड़ से कम क्षेत्रफल वाले भूखंडों के विभाजन के कम में कम से कम छह मीटर चौड़ी सड़क रखे जाने का प्रावधान किया गया है.
सभी 261 नगर निकाय और 43 आयोजना क्षेत्रों में होगा लागू
नगर विकास एवं आवास विभाग का यह अनुरोध लागू होने पर सभी 261 नगर निकाय और 43 आयोजना क्षेत्रों (प्लानिंग एरिया) में बिना 20 फुट चौड़ी सड़क छोड़े प्लॉटिंग एवं गैर कृषि उपयोग के लिए जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो सकेगी. शहरी क्षेत्रों में बिहार बिल्डिंग बायलॉज पहले से ही प्रभावी है, जबकि आयोजना क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाले ग्रामीण इलाकों में भी बिल्डिंग बायलॉज प्रभावी हो जाता है.
सुनियोजित विकास को लेकर मास्टर प्लान हो रहा तैयार
राज्य सरकार सभी जिला मुख्यालय के शहरों, एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों तथा कुछ अन्य महत्वपूर्ण शहरों के सुनियोजित विकास को लेकर मास्टर प्लान तैयार कर रही है. गठित 43 आयोजना क्षेत्रों में से पटना महानगर क्षेत्र प्राधिकार का गठन नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में किया गया है, जबकि शेष आयोजना क्षेत्र प्राधिकार का गठन संबंधित डीएम की अध्यक्षता में किया गया है. बिहार शहरी आयोजना तथा विकास नियमावली के तहत आयोजना क्षेत्र के तहत भूमि की खरीद-बिक्री या भूमि के उपयोग में परिवर्तन पर भी सरकार के द्वारा पाबंदी लगाये जाने का प्रावधान है.
Also Read: बिहार में अब जमीन संबंधी मामलों में रुकेगी धोखाधड़ी, जमाबंदी में बदलाव को लेकर SMS से मिलेगा अलर्ट
अब 2041 तक का तैयार होगा पटना मास्टर प्लान
नगर विकास एवं आवास विभाग ने पटना मास्टर प्लान 2031 को अपडेट करते हुए अब 2041 तक की अवधि के लिए मास्टर प्लान (महायोजना) तैयार किये जाने के पटना महानगर क्षेत्र प्राधिकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. प्राधिकार ने यह निर्णय वर्तमान पटना मास्टर प्लान 2031 के कार्यान्वयन में आ रही व्यावहारिक एवं तकनीकी कठिनाइयों के समाधान को ध्यान में रखते हुए लिया है. अपडेट मास्टर प्लान में जमीन का वर्गीकरण दस प्रकार से होगा. इसमें आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक, संस्थात्मक, पब्लिक यूज बिल्डिंग, ट्रांसपोर्ट व यूटिलिटिज, कृषि, ग्रीन बेल्ट, स्पेशल एरिया और मिक्स्ड लैंड यूज शामिल है.
Also Read: बिहार में अब तय समय पर होंगे ऑनलाइन दाखिल खारिज, नहीं चलेगा कागजात की कमी का बहाना