Surya Grahan 2024: सूर्य ग्रहण 2024 में कब लगेगा और कुल कितने सूर्य ग्रहण लगेंगे, यह जानना हर कोई चाह रहा है कि सूर्य ग्रहण विश्व में कहां-कहां पर रहेगी. वे पूर्ण सूर्य ग्रहण होंगे अथवा आंशिक सूर्य ग्रहण होंगे, सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब लगेगा तथा सूर्य ग्रहण का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व क्या होगा. सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव रहेगा. सूर्य ग्रहण में किस तिथि, किस दिन, किस दिनांक को कितने बजे से कितने बजे तक लगेगा. सूर्य ग्रहण सौर मंडल में होने वाली एक विशेष घटना है, जिसे खगोलीय घटना के रूप में जाना जाता है. यह आकाश मंडल में सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की स्थिति के कारण लगते हैं.
सूर्य ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है, इसको हिंदू धर्म में विशेष रूप से मान्यता प्रदान की गई है. वैसे तो यह खगोलीय घटना है, लेकिन इसका ज्योतिषीय और आध्यात्मिक महत्व भी है तथा धार्मिक रूप से भी इसे महत्वपूर्ण घटना ही माना जाता है. वैदिक ज्योतिष के अंतर्गत सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, इसलिए जब कभी भी सूर्य ग्रहण की घटना होती है, तब पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों पर इसका कुछ ना कुछ प्रभाव अवश्य पड़ता है. सूर्य ग्रहण की अवधि के दौरान पृथ्वी पर जो पशु पक्षी रहते हैं, वे कुछ समय के लिए विचित्र व्यवहार करने लगते हैं और कुछ हैरान हो जाते हैं, इस घटना के दौरान प्रकृति में कुछ अलग सा वातावरण प्रतीत होने लगता है. यदि सूर्य ग्रहण की बात करें तो यह घटना जब आकाश मंडल में होती है तो देखने में बहुत ही अद्भुत नजारा होता है.
जब भी प्रकृति में सूर्य ग्रहण की घटना होती है तो यह सदैव हमारे लिए नई उत्सुकता लेकर आती है. क्योंकि हर व्यक्ति यह जानना चाहता है कि सूर्य ग्रहण की घटना जो अब होने वाली है, वह किस रूप में हमारे सामने आएगी. सूर्य ग्रहण कई प्रकार के होते है.
वर्ष 2024 में कितने सूर्य ग्रहण लगेंगे
साल 2024 में कुल दो सूर्य ग्रहण दिखाई देने वाले हैं, जिनमें से पहला ग्रहण खग्रास सूर्य ग्रहण यानी की पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा और दूसरा सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण या वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा. साल 2024 में पहला सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्यग्रहण लगेगा. यह सूर्य ग्रहण चैत्र मास कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि दिन सोमवार को लगेगा. 8 अप्रैल 2024 रात्रि 09 बजकर 12 मिनट पर शुरू होगा और रात 02 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा. यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. साल 2024 में लगने वाला पहला सूर्य ग्रहण पश्चिमी यूरोप पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक मेक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र और आयरलैंड में दिखाई देगा.
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यह वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण होगा जो की खग्रास यानी कि पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, लेकिन भारत में दृश्यमान न होने के कारण इसका भारत में कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं होगा और न ही इसका सूतक काल प्रभावी माना जाएगा. वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल 2024 दिन सोमवार की रात 09 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ होगा और मंगलवार 9 अप्रैल 2024 की मध्यरात्रि 02 बजकर 22 मिनट तक लगेगा. यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण यानी कि खग्रास सूर्य ग्रहण होगा. यह मीन राशि और रेवती नक्षत्र के अंतर्गत आकार लेगा. मीन देवगुरु बृहस्पति की राशि है, जो कि सूर्य की मित्र राशि है. इस दिन सूर्य के साथ चंद्रमा, शुक्र और राहु एक साथ स्थित होंगे. चंद्रमा से द्वादश भाव में शनि और मंगल स्थित होंगे तथा बुध और बृहस्पति द्वितीय भाव में स्थित होंगे. विशेष रूप से रेवती नक्षत्र और मीन राशि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों और इनसे संबंधित राष्ट्रों यानी कि देशों के लिए यह सूर्य ग्रहण सर्वाधिक प्रभावशाली रहने वाला है.
साल का पहला खग्रास सूर्य ग्रहण चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि को सोमवार के दिन लगने वाले इस सूर्य ग्रहण के प्रभाव से विश्व पटल पर बड़े-बड़े नेताओं को उनके व्यवहार के कारण गंभीर आलोचनाओं का शिकार होना पड़ेगा. कुछ गुस्से की प्रवृत्ति रखने वाले राजनेताओं के कारण देश के बीच अशांति का माहौल बन सकता है. उनपर बार-बार आरोप लगेंगे. जो अत्यधिक अभिमानी होंगे, वह किसी भी हद तक जाने को तैयार देखेंगे, जिससे विश्व पटल पर अशांति का माहौल बढ़ सकता है. वर्तमान में सत्ता पर बैठे पदाधिकारियों को परिस्थितियों को संभालने में समस्या का सामना करना पड़ेगा, इस ग्रहण के प्रभाव से विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां, यूनानी दवाईयां, सोना, व्यावसायिक वस्तुएँ, हर्बल पदार्थ महंगे हो जाएंगे.
वर्ष 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा. यह सूर्य ग्रहण 2 अक्टूबर दिन बुधवार की रात 09 बजकर 13 मिनट से प्रारंभ होगा और गुरुवार 3 अक्टूबर 2024 की सुबह 03 बजकर 17 मिनट तक लगेगा. यह सूर्य ग्रहण कन्या राशि और हस्त नक्षत्र में लगेगा, इस दिन सूर्य के साथ चंद्रमा, बुध और केतु स्थित होंगे. उन पर देवगुरु बृहस्पति और मंगल महाराज की पूर्ण दृष्टि होगी. सूर्य से द्वितीय भाव में शुक्र तथा षष्ठ भाव में वक्री शनि विराजमान रहेंगे. यह सूर्य ग्रहण हस्त नक्षत्र और कन्या राशि में जन्मे जातकों और देशों के लिए विशेष रूप से प्रभावशाली साबित होने वाला है.
सूर्य ग्रहण लगने से 12 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है. सूतक काल वह समय होता है कि जिस अवधि में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. सूर्य ग्रहण के लिए सूतक काल सूर्य ग्रहण के स्पर्श के समय से लगभग चार प्रहर पूर्व शुरू हो जाता है यानी कि सूर्य ग्रहण के शुरू होने से लगभग बारह घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है और यह ग्रहण के मोक्ष काल यानी कि ग्रहण की समाप्ति के साथ ही समाप्त होता है. यह ध्यान देने योग्य बात है कि सूतक काल की अवधि से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से उस कार्य में शुभता समाप्त हो जाती है. हालांकि जिन स्थानों पर सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देता है, वहां पर सूर्य ग्रहण का कोई भी सूतक काल मान्य नहीं होता है और वहां के निवासी अपने सभी कार्य पूर्व की भांति संपादित कर सकते हैं.
सूर्य ग्रहण के सूतक काल और सूर्य ग्रहण की अवधि के दौरान विशेष रूप से आपको भगवान शिव जी, भगवान सूर्य देव जी अथवा किसी भी अन्य देवी देवता की मन से आराधना करनी चाहिए. अगर आप कोई गर्भवती महिला हैं या आप किसी विशेष रोग से पीड़ित व्यक्ति हैं, तब भी आपको विशेष रूप से सूर्य ग्रहण देखने से बचना चाहिए. सूर्य ग्रहण के दौरान आप सूर्य देव के विशेष मंत्र का जाप कर सकते हैं. सूर्य ग्रहण के दौरान किसी की भी निंदा करने से बचें और क्रोध न करें. अगर आप कोई साधक हैं या किसी मंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं तो सूर्य ग्रहण के दौरान उस मंत्र का निरंतर जाप करने से आपको शीघ्र ही सफलता मिल सकती है. क्योंकि ग्रहण काल में किसी भी मंत्र का जाप करने से उसका कई हजार गुना फल प्राप्त होता है.
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सूर्य ग्रहण का प्रभाव गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित कर सकता है
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सूतक काल के प्रारंभ होने से लेकर सूतक काल की समाप्ति तक गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी रखनी चाहिए.
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सूर्य ग्रहण के सूतक काल से सूर्य ग्रहण की समाप्ति तक आपको किसी भी तरह की सिलाई, कटाई, बुनाई, आदि से बचना चाहिए.
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सूतक काल के दौरान आपको घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और घर में ही रहना चाहिए.
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सूतक काल के दौरान आपको सुईं, कांटा, छुरी, चाकू, तलवार या किसी भी तरह के हथियार से दूरी बनाकर रखनी चाहिए.
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सूतक काल के दौरान अपने सिर को पल्ले से ढक कर रखना चाहिए और सिर पर गेरू लगा लेना चाहिए और आपको अपने उदर पर भी गेरू लगा लेना चाहिए.
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सूतक काल की समाप्ति के तुरंत बाद आपको स्नान करके शुद्ध होकर फिर ताजा भोजन पका कर भोजन ग्रहण करना चाहिए.
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सूर्य ग्रहण के सूतक काल के दौरान न तो भोजन पकाना चाहिए और न ही भोजन ग्रहण करना चाहिए
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सूर्य ग्रहण के सूतक काल में सोना नहीं चाहिए और इस दौरान संभव हो तो शौच, आदि क्रियाओं से भी बचने का प्रयास करें.
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सूर्य ग्रहण के सूतक काल के दौरान किसी भी तरह के शारीरिक संबंध बनाने से बचें.
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सूतक काल की अवधि के दौरान न तो किसी मंदिर में प्रवेश करें और न ही किसी मूर्ति को स्पर्श करें.
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सूर्य ग्रहण के सूतक काल से सूर्य ग्रहण के मोक्ष तक आपको भगवान का भजन, कीर्तन, मनन करना चाहिए.
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आप सूतक काल के दौरान अपने इष्ट देव, अपनी कुलदेवी या किसी भी देवी-देवता अथवा ग्रह का मंत्र जाप कर सकते हैं.
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ग्रहण के मोक्ष के साथ ही आपको तुरंत स्नान करना चाहिए और घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए. आप चाहें तो किसी पवित्र नदी में स्नान भी कर सकते हैं.
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सूर्य ग्रहण के सूतक काल के तुरंत बाद जब आप स्नान आदि करके स्वच्छ हो जाएं, तभी मूर्तियों को गंगाजल से शुद्ध करके उनकी पूजा अर्चना करें.
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सूर्य ग्रहण का सूतक काल लगने से पूर्व ही आपको विभिन्न पेय और खाद्य पदार्थों जैसे कि दूध, दही, घी, अचार, आदि में तुलसी पत्र अथवा कुशा रख देनी चाहिए.
ज्योतिष शास्त्र में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिन्हें करने से जीवन की हर परेशानी दूर की जा सकती है. ये उपाय करियर, नौकरी, व्यापार, पारिवारिक कलह सहित कई अन्य कार्यों में भी सफलता दिलाते हैं. नीचे दिए गए विभिन्न समस्याओं के निवारण के लिए आप एक बार ज्योतिषीय सलाह जरूर ले सकते है. यदि आपकी कोई ज्योतिषीय, आध्यात्मिक या गूढ़ जिज्ञासा हो, तो अपनी जन्म तिथि, जन्म समय व जन्म स्थान के साथ कम शब्दों में अपना प्रश्न radheshyam.kushwaha@prabhatkhabar.in या WhatsApp No- 8109683217 पर भेजें. सब्जेक्ट लाइन में ‘प्रभात खबर डिजीटल’ जरूर लिखें. चुनिंदा सवालों के जवाब प्रभात खबर डिजीटल के धर्म सेक्शन में प्रकाशित किये जाएंगे.