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बिहार में अब शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को मिलेगी चाइल्ड केयर लीव, शिक्षा विभाग को भेजा गया प्रस्ताव

बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद ने इस मामले में अपनी सहमति हाल ही में दी है. राजभवन ने यह सहमति मांगी थी. चूंकि '' चाइल्ड केयर लीव '' की सुविधा देने का संबंध वित्तीय प्रावधानों से जुड़ा है. लिहाजा इसका प्रस्ताव अब शिक्षा विभाग की सहमति के लिए भेजा गया है.

राजदेव पांडेय, पटना. राज्य के अन्य सरकारी कर्मचारियों की भांति बिहार के विश्वविद्यालयों/अंगीभूत कॉलेजों / संबद्ध और स्वशासित कॉलेजों के हजारों शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को ” चाइल्ड केयर लीव ” देने की तैयारी है. बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद ने इस मामले में अपनी सहमति हाल ही में दी है. राजभवन ने यह सहमति मांगी थी. चूंकि ” चाइल्ड केयर लीव ” की सुविधा देने का संबंध वित्तीय प्रावधानों से जुड़ा है. लिहाजा इसका प्रस्ताव अब शिक्षा विभाग की सहमति के लिए भेजा गया है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग जल्दी ही इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे देगा.

महिलाओं को पूरी सर्विस में मिलेगा कुल दो साल का अवकाश

आधिकारिक जानकारी के मुताबिक ” चाइल्ड केयर लीव ” में राज्य सरकार के कर्मचारियों में महिलाओं को पूरी सर्विस में कुल दो साल की और पुरुष को पंद्रह दिन की छुट्टी दी जाती है. यह सुविधा राज्य सरकार के सभी कर्मचारियों को दी जा रही है, लेकिन उच्च शिक्षण संस्थानों विशेषकर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को अभी तक यह सुविधा प्राप्त नहीं है. दरअसल बिहार राजभवन चाहता है कि यह सुविधा विश्वविद्यालयों में भी दी जानी चाहिए. फिलहाल इस मामले में शिक्षा विभाग का वित्तीय अनुमोदन मिलना बाकी है.

सभी विश्वविद्यालयों ने दे दी है सहमति

इस मामले में विभिन्न विश्वविद्यालयों ने सहमति दे दी है. जिसमें पटना विश्वविद्यालय भी शामिल है. दरअसल ” चाइल्ड केयर लीव” देने के लिए विश्वविद्यालयों के सेवा शर्तों संबंधी एक्ट में भी संशोधन किया जायेगा. इस मामले में प्रस्ताव तैयार करने के लिए पटना विश्वविद्यालय , पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपतियों की एक समिति बनायी गयी थी. जिसकी रिपोर्ट पहले से राजभवन को दी जा चुकी है. फिलहाल बिहार उच्चतर शिक्षा परिषद की स्क्रीनिंग कमेटी ने शिक्षा विभाग को अपनी सहमति देकर प्रस्ताव आगे बढ़ा दिया है.

क्या कहते हैं अधिकारी

बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष डॉ कामेश्वर झा ने कहा कि राज्य के विश्वविद्यालयों के सभी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को चाइल्ड केयर लीव के प्रस्ताव पर सहमति दी गयी है. सहमति का आधार ह्यूमन राइट और वेलफेयर से जुड़ा है. दरअसल देखा जा रहा था कि बच्चों की देखरेख के लिए विश्वविद्यरालयों की कई महिला शिक्षकों एवं कर्मचारियों को त्यागपत्र तक देना पड़ता था. पुरुष कर्मचारियों को मेडिकल लीव लेना पड़ता है. चूंकि यह सहूलियत राज्य के अन्य कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों को दी जा रही है, इसलिए यह सुविधा विश्वविद्यालयों को भी दी जानी जरूरी है. अब यह प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है.

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महिला कर्मचारियों के लिए क्या है नियम?

विभिन्न पदों पर नियुक्त महिला कर्मचारी अवकाश नियम, 1972 के नियम 43-C के तहत चाइल्ड केयर लीव के लिए पात्र होती हैं.

  • 1. 18 वर्ष की आयु तक दो सबसे बड़े जीवित बच्चों की देखभाल के लिए पूरी सेवा के दौरान अधिकतम 730 दिनों की चाइल्ड केयर लीव का लाभ उठा सकती है.

  • 2. दिव्यांग बच्चे के मामले में कोई आयु सीमा नहीं है.

  • 3. एक कैलेंडर वर्ष में तीन से अधिक फेज के लिए नहीं.

  • 4. इन नियमों के तहत,एकल महिला कर्मचारी के मामले में, सीसीएल को एक कैलेंडर वर्ष में तीन के बजाय छह बार तक बढ़ाया जा सकता है.

मैटरनिटी लीव का क्या है प्रावधान?

केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी गर्भावस्था के दौरान 180 दिनों तक मातृत्व अवकाश की पात्र होंगी. वहीं गर्भपात के मामले में कर्मचारी की पूरी सेवा के दौरान 45 ​​दिनों के अवकाश की हकदार होंगी.

पुरुष कर्मचारियों के लिए क्या है नियम

पुरुष कर्मचारी भी अपनी पत्नी के प्रसव के बाद रिकवर होने तक दो से अधिक बच्चों के लिए 15 दिनों तक के पटेर्निटी लीव के हकदार हैं. साथ ही एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के मामले में एक पुरुष कर्मचारी दो से अधिक जीवित बच्चों के लिए इस छुट्टी का लाभ उठा सकते है.

प्रोबेशन पीरियड में क्या है नियम?

अवकाश नियम, 1972 के नियम 43-C (3) के अनुसार, सीसीएल आमतौर पर प्रोबेशन पीरियड के दौरान प्रदान नहीं की जाएगी. अत्यंत कठिन स्थितियों को छोड़कर जहां छुट्टी मंजूरी देने वाला प्राधिकारी प्रोबेशनर की सीसीएल की आवश्यकता के बारे में संतुष्ट है, बशर्ते कि वह अवधि जिसके लिए ऐसी छुट्टी है स्वीकृत न्यूनतम है. नियम 43-सी के अनुसार, अधिकार के रूप में सीसीएल की मांग नहीं की जा सकती है और किसी भी परिस्थिति में कोई भी कर्मचारी पूर्व अनुमोदन के बिना सीसीएल पर आगे नहीं बढ़ सकता है.

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