रांची : इंटिग्रेटड चेक पोस्ट के निर्माण से जुड़े मामले में कॉमर्शियल कोर्ट,रांची के आदेश पर मंगलवार को झारखंड परिवहन विभाग के मुख्यालय की संपत्ति को अटैच कर लिया गया. यह कार्यालय धुर्वा थाना क्षेत्र के एफएफपी बिल्डिंग में स्थित है. किसी सरकारी विभाग की संपत्ति को अटैच करने की यह संभवतः पहली घटना है. यह जानकारी मेसर्स केएस सॉफ्टनेट लिमिटेड कंपनी के वकील वैभव गहलोत ने दी. उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश से नाजिर जीशान इकबाल के नेतृत्व में चार सदस्यीय टीम मंगलवार को परिवहन मुख्यालय पहुंची. इसके बाद परिवहन सचिव कृपानंद झा सहित अन्य अधिकारी के दफ्तर और अन्य दफ्तरों में मौजूद कम्प्यूटर, फर्नीचर सहित अन्य सामान की सूची तैयार कर उसको जब्त करने की कार्रवाई की.
अब जब्त सभी सामान के मूल्य का आकलन कर उसे बेचने की प्रक्रिया शुरू होगी. यह कमेटी कोर्ट को रिपोर्ट सौंपेगीं. अधिवक्ता ने बताया कि यह मामला वर्ष 2004 का है. झारखंड सरकार की तरफ से बॉर्डर एरिया में इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट बनाने के लिए टेंडर निकाला गया था. टेंडर के नियमावली के अनुसार, कुल नौ चेक पोस्ट बनाने थे और यह चेक पोस्ट बनाने की जिम्मेदारी मेसर्स केएस सॉफ्टनेट कंपनी को दी गयी थी. हालांकि पांच पोस्ट बनाने की जबावदेही कंपनी को दी गयी थी. लेकिन अलग-अलग विभागों से क्लीयरेंस नहीं लिया गया. फिर जमीन अधिग्रहण और अन्य बातों को लेकर 12 अप्रैल 2013 को सरकार ने प्रोजेक्ट का काम रोक दिया. लेकिन प्रोजेक्ट ड्रॉप होने के बाद कंपनी ने राज्य सरकार से अपने खर्च किये गये पैसे की मांग की. राज्य सरकार ने वर्ष 2017 में कंपनी को 11 करोड़ रुपये लौटाने की बात स्वीकारी थी.
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लेकिन पांच साल बीत जाने के बावजूद भी राज्य सरकार ने कंपनी को पैसा नहीं लौटाया. फिर कंपनी हाइकोर्ट गयी. कोर्ट के आदेश पर जस्टिस अमरेश्वर सहाय को आर्बिट्रेटर नियुक्त किया. आर्बिट्रेटर ने कंपनी को 10 करोड़ छह लाख 71 हजार 702 रुपये 15 प्रतिशत इंटरेस्ट के साथ झारखंड सरकार को भुगतान का आदेश दिया. लेकिन भुगतान नहीं होने पर कंपनी द्वारा कॉमर्शियल कोर्ट रांची में काउंटर केस दायर किया गया. इसमें 13 जुलाई 2023 को राज्य परिवहन विभाग के मुख्यालय कार्यालय को अटैच करने संबंधी आदेश दिया गया था. इसी आदेश के तहत मंगलवार को कार्रवाई की गयी. इस मामले में विभाग विधि परामर्श ले रहा है.