पटना/ जमुई. राजधानी पटना समेत राज्य के कई जिलों में बुधवार सुबह से हो रही बूंदाबांदी से ठंड में इजाफा हुआ है. लोग गर्म कपड़े निकालने लगे हैं. बताते चलें कि दिन भर आसमान में बादल रहने और बूंदाबांदी से बाजार की सड़क भी खाली-खाली रही. इस वजह से जिले का अधिकतम तापमान 24 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. मौसम विभाग की मानें तो गुरुवार को तापमान में और गिरावट आयेगी व ठंड में वृद्धि होगी. बुधवार को पूरे दिन आसमान काले बादलों से ढका रहा. भगवान सूर्य का दर्शन लोगों को नहीं हो पाया. लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.
इस पानी से लगभग सभी फसलों को फायदा
बताया जाता है कि इस पानी से लगभग सभी फसलों को फायदा होगा. हालांकि देर से गेहूं बोने वालों किसानों के लिए नुकसानदेह होगा. इस समय बरसात जल से फसलों को मुख्य पोषक तत्व नाइट्रोजन मिलता है. गन्ना, गेहूं, आलू, चना, सरसों, मटर आदि सभी रबी फसलों के लिए वर्षा जल अमृत के समान है. इसे लेकर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि वर्षा के पानी के साथ प्रकृति में मौजूद लगभग पांच फीसदी नाइट्रोजन का स्थिरीकरण भौतिक प्रक्रिया द्वारा होता है. इससे प्राकृतिक रूप से सभी फसलों को पानी के साथ नाइट्रोजन उपलब्ध हो जाता है. इसलिए वर्षा जल संचय जल को अधिक फायदेमंद माना जाता है.
देर से गेहूं बुआई करने वाले किसानों को होगी परेशानी
कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि यह बूंदाबांदी कुछ किसानों के लिए जरूर चिंतित करने वाली है. इसमें वे किसान शामिल हैं, जिन्होंने अभी तक गेहूं की बुआई नहीं की है. खेत खाली करने में देर या खेत तैयार कर चुके किसान द्वारा देर से गेहूं की बुआई करने से उसका उत्पादन व गुणवत्ता दोनों प्रभावित होगी. किसानों को ऐसी प्रजाति का चुनाव करना चाहिए, जो देर से बुआई करने पर अच्छा उत्पादन हो सके.
ठंड बढ़ने से पाला लगने का है भय
बारिश होने से ठंड बढ़ेगी. ठंड बढ़ने से आलू की फसल को पाला लगने का भय बना रहता है. इसमें आलू की फसल झुलस जाती है. आलू में विकास नहीं हो पाता है. इस कारण पैदावार कम हो जाती है. हालांकि बुधवार की बूंदाबांदी से फसलों पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा. पर वर्षा अधिक हुई, तो फसलों पर बुरे प्रभाव की आशंका है.
तापमान नहीं गिरा तो 15% तक गेहूं की खेती को होगा नुकसान
गेहूं की बुआई का आदर्श समय अंतिम दौर में चल रहा है. लेकिन, बिहार में अभी इसके लिए अनुकूल मौसम नहीं हुआ है. गेहूं के लिए दोपहर में लगभग 22 डिग्री सेल्सियस के आसपास तापमान होना चाहिए. मगर, बिहार का औसतन तापमान वर्तमान में 30 से 32 डिग्री सेल्सियस रह रहा है. मौसम की यह स्थिति लगातार जारी रही तो 10 से 15 फीसदी उपज प्रभावित होगी. गेहूं का अंकुरण कम होगा. किसानों को 100 की जगह 120 बीज डालने पड़ेेंगे. इससे उनको आर्थिक चोट पहुंचेगी. गेहूं की बालियां पतली होंगी. पतली बालियों को मार्च में पछुवा हवा से काफी नुकसान होगा.
तापमान नहीं गिरा तो दस में आठ बीज ही होंगे कारगर
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के पौधा रोग विभाग के कनीय वैज्ञानिक डॉ सीएस आजाद ने बताया कि तापमान नहीं गिरा तो बीज से पौधा बनने की क्रिया कम होगी. दस में सात से आठ बीज ही कारगर निकलेंगे. कहा कि इस समय तक सुबह में कुहासा होनी चाहिए थी, जो कि नहीं हो रही. गेहूं का समय भी अब शिफ्ट हो रहा है. अब यह दिसंबर के पहले सप्ताह तक हो जाये तो भी ठीक है. क्योंकि, देर से बुआई होने पर मार्च में पछुआ हवा चलेगी. इससे गेहूं की खेती को काफी नुकसान होगा.
खेती से पहले जमीन में नमी जरूरी
डॉ आजाद ने बताया कि खेती से पहले जमीन में नमी जरूरी है. जिस खेत में धान के बाद गेहूं की खेती होनी है, वहां समस्या नहीं होगी. खाली खेत में नमी की जरूरत है. लगभग 60 से 65 फीसदी तक नमी होनी चाहिए. नमी नहीं होने पर लाइन में खेती कर ऊपर से पानी डालना जरूरी है. तापमान नहीं गिरा तो होगा नुकसान.
बीज की संख्या बढ़ा दें किसान
डॉ आजाद ने बताया कि तापमान की स्थिति पहले से पता हो गयी है. इस कारण नुकसान को कम किया जा सकता है. जहां सौ बीज डालना है, वहां किसान 120 बीज डालें. तैयार खेत को किसान खाली नहीं छोड़ें. इससे जमीन की नमी चली जाती है.
फलों को अभी नुकसान नहीं: डॉ फिजा अहमद
बिहार कृषि विश्वविद्यालय के बीज निदेशक डॉ फिजा अहमद ने बताया कि मौसम की वर्तमान परिस्थिति में फिलहाल फलों को नुकसान नहीं है. मौसम में तब्दीली हो रही है.