UPI Payment In Hospital and Schools: आरबीआई ने एक बड़ा फैसला लिया है. अब स्कूलों में या अस्पताल में आपको बड़े पेमेंट करने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को विशिष्ट श्रेणियों के लिए एकीकृत भुगतान इंटरफेस लेनदेन की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने अपने मौद्रिक नीति वक्तव्य में कहा कि अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को किए जाने वाले भुगतान की सीमा 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोगों को राहत देते हुए शुक्रवार को अस्पतालों में इलाज और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले के लिए लोकप्रिय भुगतान मंच यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) के जरिये भुगतान की सीमा एक बार में एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दी है. इस पहल का मकसद चिकित्सा और शिक्षा के क्षेत्र में भुगतान को लेकर यूपीआई का इस्तेमाल बढ़ाना है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए शुक्रवार को कहा, ‘‘ अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए यूपीआई के जरिये भुगतान की सीमा को मौजूदा के एक लाख रुपये से बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने का निर्णय किया गया है.’’ केंद्रीय बैंक के अनुसार, इस बारे में जल्दी ही अलग से निर्देश जारी किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि कुछ श्रेणियों को छोड़कर यूपीआई के जरिये भुगतान की सीमा एक लाख रुपये निर्धारित है.
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जिन श्रेणियों को पहले से छूट है, उसमें पूंजी बाजार (संपत्ति प्रबंधन कंपनी, ब्रोकिंग, म्यूचुअल फंड आदि), क्रेडिट कार्ड भुगतान, कर्ज वापसी, ईएमआई, बीमा आदि शामिल हैं. इन मामलों में यूपीआई के जरिये भुगतान की सीमा दो लाख रुपये है. केंद्रीय बैंक ने पूर्व में खुदरा प्रत्यक्ष योजना (आरडीएस) और आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) के लिये आवेदन को लेकर यूपीआई के तहत भुगतान की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये कर दिया था. आरबीआई की खुदरा प्रत्यक्ष योजना के तहत व्यक्तिगत निवेशकों को सरकारी प्रतिभूतियों में बिना मध्यस्थों के निवेश की अनुमति है.
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आरबीआई ने रेपो दर को लगातार पांचवीं बार 6.5 प्रतिशत पर कायम रखा.
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अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों को भुगतान के लिए यूपीआई लेनदेन की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव.
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चालू वित्त वर्ष के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत किया गया.
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दिसंबर, मार्च तिमाहियों में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत, छह प्रतिशत पर रहने का अनुमान.
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2023-24 के लिए औसत खुदरा मुद्रास्फीति अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा गया.
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मुद्रास्फीति का अनुमान अनिश्चित खाद्य कीमतों से काफी प्रभावित.
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सब्जियों की कीमतों में रुक-रुक कर होने वाले झटके एक बार फिर नवंबर और दिसंबर में कुल मुद्रास्फीति को बढ़ा सकते हैं.
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रुपये में 2023 में अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तुलना में कम उतार-चढ़ाव.
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एक दिसंबर को विदेशी मुद्रा भंडार 604 अरब डॉलर था.
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केंद्रीय बैंक सतर्क और परिस्थितियों के अनुरूप कदम उठाने को तैयार.
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भारत कई अन्य देशों की तुलना में अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए बेहतर स्थिति में.
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प्रस्तावित आवर्ती भुगतान के लिए कुछ श्रेणियों में स्वत: पैसा कटने की सीमा को 15,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव.
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आरबीआई डेटा सुरक्षा, निजता को वित्तीय क्षेत्र के लिए क्लाउड सुविधा स्थापित करेगा.
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अगली मौद्रिक नीति समिति बैठक 6-8 फरवरी, 2024 को होगी.
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