ढाई आखर प्रेम पदयात्रा के दूसरे दिन अहमद बद्र ने कहा कि पोथी पढ़कर कोई भी व्यक्ति एटम बम बनाना तो सीख सकता है, लेकिन वह प्रेम करना नहीं सीख सकता. राष्ट्रीय सांस्कृतिक पदयात्रा राजाबासा से महुलिया के लिए निकली है, जिसमें संस्कृतिकर्मी भाग ले रहे हैं. ये लोग शनिवार (नौ दिसंबर) को राजाबासा गांव पहुंचे. यहां दुलाल चंद्र हांसदा, सिद्धो मुर्मू ने जत्थे का स्वागत किया. इस यात्रा के साथ चल रहे छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार निसार अली के नेतृत्व में एक नाटक की प्रस्तुति दी गई. जमशेदपुर लिटिल इप्टा के बाल कलाकारों ने ‘ढाई आखर प्रेम साधो’ जनगीत गाए. घाटशिला इप्टा ने संताली गीत प्रस्तुत किए. वहीं, स्थानीय आदिवासी महिलाओं सोमवारी हेम्ब्रम, रायमनी टुडू और चंपा मुर्मू ने पारंपरिक गीत से लोगों का मन मोह लिया. शैलेंद्र ने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया. कहा कि घृणा सबसे पहले खुद को मारती है. इसके बाद वह दूसरे को मारती है. बिजू टोप्पो ने बताया कि बरेली के गार्गी सिंह और अंजना भी आज जत्थे में शामिल हुए. जनगीत गाते हुए, ग्रामीणों से संवाद करते हुए यात्रा खड़ियाडीह पहुंची. यहां प्राचीन वीणापाणी क्लब में कलाकारों का भव्य स्वागत किया गया. यहां संगीत की शिक्षा ले रहीं छात्राओं भारती, ममता, झूमा, जानकी ने स्वागत गीत गाए. लिटिल इप्टा जमशेदपुर और घाटशिला के बाल कलाकारों ने मिलकर ‘डारा डिरी डा’ की प्रस्तुति दी.
‘दमादम मस्त कलंदर’ गीत पर झूमे लोग
निसार अली ने अपनी टीम के सदस्यों देवनारायण साहू, जुगनू राम, हर्ष सेन और ऊर्जावान ने ‘दमादम मस्त कलंदर’ गीत गाकर सबको झूमने के लिए मजबूर कर दिया. उन्होंने ‘नाचा गम्मत लोक कला’ के बारे में भी गांव के लोगों को बताया. मनोरंज महतो ने झूमर गान सुनाया. दुलाल चंद्र हांसदा ने जाहेर थान के बारे में बताया. परवेज आलम, अली इमाम खान और शेखर मल्लिक ने भी संबोधित किया. उन्होंने यात्रा के उद्देश्य के बारे में लोगों को जानकारी दी. यात्रा यहां से बड़बिल गांव पहुंची.
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प्रेम की शुरुआत घर और आसपास से होती है : अहमद बद्र
बड़बिल गांव में अहमद बद्र ने कहा कि प्रेम की शुरुआत अपने घर और आसपास से शुरू होती है. प्रेम सीखने और सिखाने की जरूरत है. ज्योति मल्लिक ने ग्रामीणों से आग्रह किया कि वे ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा में शामिल हों. ग्रामीणों ने इसे मान लिया. ज्योति ने गांव की महिलाओं से भी संवाद किया. महिलाओं ने उनके साथ अपना दुख-दर्द भी साझा किया. महुलिया आंचलिक मैदान गालूडीह में लिटल इप्टा जमशेदपुर के बच्चों ने ‘पढ़के हम तो इंकलाब लायेंगे’ गीत गाया. इसके बाद ‘ढाई आखर प्रेम के पढ़ले जरा, दोस्ती का एहतराम कर ले जरा’ गीत ने भी लोगों का मन मोहा.
कल जादूगोड़ा के रास्ते बढ़ेगी ‘ढाई आखर प्रेम’ पदयात्रा
ढाई आखर प्रेम का जत्था शनिवार की रात को यहीं पर विश्राम करेगा. 10 दिसंबर को जादूगोड़ा होते हुए यह यात्रा आगे बढ़ेगी. इस जत्थे में अर्पिता, प्रशांत श्रीवास्तव, उपेंद्र, शैलेंद्र, भोला, संजू, रवि, शशि, अनुभव, बीजू टोप्पो, डीएनएस आनंद, अहमद्र बद्र, अंजना, वर्षा, सुजल, करण, रौशनी, सयेंद्र, रवींद्र चौबे, अंकुर, शादाब, हीरा मानिकपुरी, डॉ शमीम, मृदुला मिश्रा, प्रो बीएन प्रसाद, परवेज आलम, मल्लिका, स्नेहज, गीता, मानव, मनोरंजन महतो, दुलाल चंद्र हांसदा, डीडी लोहरा, ज्योति मल्लिक, शेखर मल्लिक के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे भी शामिल थे.
विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय की कर्मस्थली से हुई यात्रा की शुरुआत
बता दें कि ख्यातिलब्ध उपन्यासकार विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय की कर्मभूमि घाटशिला से यात्रा की शुरुआत हुई. यात्रा शुरू करने से पहले रंगारंग कार्यक्रम हुआ. इससे पहले विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख ने ‘गांव छोड़ब नाहीं…’ गीत की प्रस्तुति दी और कहा कि जीवन के लिए प्रेम जरूरी है. वहीं, लोकप्रिय कथाकार रणेंद्र ने कहा कि वर्तमान समय में सिर्फ मानव से ही प्रेम नहीं, बल्कि तमाम प्राणी जगत और वनस्पति से भी प्रेम करने की आवश्यकता है. तभी हमारा जीवन खुशहाल हो सकता है. प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव मिथिलेश एवं अन्य साथियों ने भी आयोजन समिति के साथ अपनी एकजुटता जाहिर की.