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ह्यूमन राइट्स डे पर विशेष : झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग में अध्यक्ष नहीं, नौ माह से ठप है सुनवाई

राज्य मानवाधिकार आयोग में दर्ज मामलों की सुनवाई मार्च 2023 से नहीं हो पा रही है. कार्यकारी अध्यक्ष एसके सतपथी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है. आयोग में सदस्यों के दो पद स्वीकृत हैं, वह भी खाली पड़ा हुआ है.

रांची, राणा प्रताप : झारखंड में मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने व दोषियों पर कार्रवाई को लेकर गठित राज्य मानवाधिकार आयोग ठप हो गया है. आयोग में हर माह 25-30 मामले दर्ज हो रहे हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. लंबित मामलों की संख्या बढ़कर लगभग 850 से अधिक हो गयी है. वर्ष 2022-2023 में 562 मामले लंबित थे. वहीं 2023-2024 में अब तक 300 मामले दायर हो चुके हैं. यह स्थिति आयोग में अध्यक्ष व दो सदस्यों के पद खाली रहने से उत्पन्न हुई है. केस की सुनवाई ठप होने से शिकायतकर्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा है. उधर राज्य सरकार लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति गंभीर प्रतीत नहीं हो रही है. मानवाधिकारों को लेकर राज्य का सिस्टम सुस्त है.

मार्च 2023 से मामलों की सुनवाई है ठप

राज्य मानवाधिकार आयोग में दर्ज मामलों की सुनवाई मार्च 2023 से नहीं हो पा रही है. कार्यकारी अध्यक्ष एसके सतपथी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से मामलों की सुनवाई नहीं हो रही है. आयोग में सदस्यों के दो पद स्वीकृत हैं, वह भी खाली पड़ा हुआ है. हालांकि मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर आनेवाली शिकायतों को आयोग में दर्ज जरूर किया जा रहा है. उसमें केस नंबर दिया जा रहा है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो रही है.

आयोग में रह चुके हैं दो अध्यक्ष व एक कार्यकारी अध्यक्ष

मानवाधिकार आयोग में अब तक दो अध्यक्ष व एक कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके है. राजस्थान हाइकोर्ट से सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस नारायण राय को झारखंड राज्य मानवाधिकार आयोग का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. जस्टिस राय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस आरआर प्रसाद को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष की जवाबदेही सौंपी गयी थी. कार्यकाल के दौरान जस्टिस आरआर प्रसाद की मौत (कैंसर से पीड़ित थे) इलाज के दौरान हो गयी थी. बाद में आयोग के सदस्य एसके सतपथी को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था. उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद से यह पद रिक्त पड़ा हुआ है.

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झारखंड में मानव अधिकार उल्लंघन के कई मामले आये सामने

दुनिया में मानव अधिकारों की रक्षा के लिए लगातार आवाजें उठती रही हैं. 10 दिसंबर को 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के संस्मरण में दुनिया भर में मानव अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सभी व्यक्तियों के लिए मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक वैश्विक मानक के रूप में अपनाया और घोषित किया था. झारखंड में भी मानव अधिकार के उल्लंघन को लेकर कई मामले सामने आ रहे हैं.

केस स्टडी-1 : हत्या की झूठी कहानी गढ़कर छात्रों को भेजा जेल

चुटिया थाने की पुलिस ने प्रीति नामक लड़की के फर्जी अपहरण व हत्या के बाद जला देने की झूठी कहानी गढ़कर तीन निर्दोष छात्रों को जेल भेजा था. इनमें धुर्वा के तीन युवकों अजित, अमरजीत व अभिमन्यु को जेल भेज दिया गया था. 15 मई 2014 को पुलिस ने तीनों के विरुद्ध अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म व हत्या कर जलाने के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया. जब 14 जून 2014 को प्रीति जिंदा लौटी, तो सच्चाई का खुलासा हुआ. बाद में मानवाधिकार आयोग के आदेश पर युवकों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया गया.

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केस स्टडी – 2: विस्फोटक प्लांट कर इंतेजार अली को फंसाया

20 अगस्त 2015 को पैसेंजर ट्रेन में विस्फोटक प्लांट कर रांची के हिंदपीढ़ी निवासी इंतेजार अली को झूठे केस में फंसाया गया था. इसका खुलासा उस वक्त मामले में गिरफ्तार दीपू खान ने किया था. दीपू ने बताया था कि एक अफसर को प्रोन्नति दिलाने के लिए विस्फोटक बरामदगी की साजिश रची गयी थी. वर्द्धमान-हटिया पैसेंजर से लौट रहे इंतेजार अली को किता स्टेशन के पास विस्फोटक वाले बैग के साथ पकड़ा गया था. इंतजार अली 56 दिनों तक जेल में रहे. सीआइडी की जांच में यह बात सामने आयी कि आर्मी इंटेलिजेंस अफसर सूबेदार एसपी मिश्रा के कहने पर हिंदपीढ़ी के मो जाफरान ने विस्फोटक दिये थे.

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