बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से एक बड़ी ही हैरान करने वाली घटना सामने आई है. यहां एक महिला ने परिवार नियोजन का ऑपरेशन कराया. लेकिन इसके बाद भी महिला बच्चे को जन्म देती रही. वो भी एक नहीं बल्कि उसने दो बच्चे को जन्म दे दिया और अब तीसरा बच्चा उसके गर्भ में पल रहा है. बात ये थोड़ी अजीब जरूर है, पर सच है. हैरान कर देने वाला यह मामला गायघाट क्षेत्र के केवटसा का बताया गया है.
जांच के आदेश
बार-बार गर्भवती हों एक एबाद महिला इस बात की शिकायत लेकर सदर अस्पताल के सीएस कार्यालय में सोमवार को पहुंची. जहां से महिला और उसके पति को आश्वासन दिया कि इसकी जांच संबंधित पीएचसी प्रभारी को करने के लिए कहा जायेगा.
2015 में पहली बार कराया था बंध्याकरण
पीड़ित महिला जूली देवी और उनके पति नीरज कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें पहले से चार बच्चे हैं. जिसके बाद उन्होंने वर्ष 2015 में गायघाट पीएचसी में अपनी पत्नी का बंध्याकरण कराया. बंध्याकरण के तीन साल बाद 2018 में उनकी पत्नी गर्भवती हो गई. जिसके बाद उन्होंने पीएचसी प्रभारी, सीएस और जिलाधिकारी से गुहार लगाई. इसके बाद जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सीएस को मामले की जांच कर उक्त महिला को मुआवजा देने को कहा.
2020 में फिर गर्भवती हुई महिला
नीरज कुमार ने बाते कि इस निर्देश के बाद एक बार फिर से उसकी पत्नी का बंध्याकरण स्वास्थ्य विभाग की ओर से किया गया. लेकिन इसके बाद फिर 2020 में उसकी पत्नी फिर से गर्भवती हो गयी. उसने फिर से पीएचसी प्रभारी को इसकी जानकारी दी. पीएचसी प्रभारी ने उसकी पत्नी को तीन इंजेक्शन देने की बात कही और कहा कि अब वह गर्भवती नहीं होगी. इस दौरान सिविल सर्जन ने उसे छह हजार रुपये मुआवजा के तौर पर दिया उसकी पत्नी ने दोनों बच्चों का जन्म दे दिया. नीरज कुमार ने बताया कि दो बार बंध्याकरण और तीन इंजेक्शन देने के बाद उसकी पत्नी वर्ष 2023 में एक बार फिर गर्भवती हो गयी है.
कार्रवाई की मांग कर रहा परिवार
जूली देवी के पति नीरज कुमार बेरोजगार है. वह दिहाड़ी का काम करता है. उसके पहले ही चार बच्चे थे. जिसका लालन पालन नहीं हो पा रहा था. इसके बाद दो और बच्चे पैदा हो गये. एक गर्भ में पल रहा है. कुल सात बच्चे का पालन पोषण और उसकी पढ़ाई कैसे होगी यही चिंता सता रही है. उसने कहा कहा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से उसके सात बच्चे हुए है. उसका पालन पोषण और संबंधित चिकित्सक पर कार्रवाई हो.
क्या है नियम
महिला की नसबंदी के बाद गर्भवती होने पर 90 दिनों के भीतर स्वास्थ्य विभाग को सूचना दिए जाने पर 30 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है. ऐसे मामलों में जिले में अब तक दो लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है.
Also Read: गया-राजगीर के बाद अब नवादा में हर घर पहुंचेगा गंगाजल, सीएम नीतीश कुमार इस दिन करेंगे उद्घाटन
बोले चिकित्सक..
नसबंदी में प्रयुक्त बैंड कभी-कभार अपने आप खुल जाती है. जिस कारण गर्भ ठहर जाता है. इस बात का उल्लेख सहमति पत्र में भी किया जाता है. नसबंदी के बाद गर्भवती होने पर 90 दिन के भीतर सूचना स्वास्थ्य विभाग को देना जरूरी है. इसके बाद गर्भपात की प्रक्रिया की जाती है.