जमुआ, सुनील वर्मा : आम लोगों को सुरक्षा देने वाले जमुआ थाना के पुलिसकर्मी खुद ही असुरक्षित हैं. जर्जर थाना भवन ने पुलिसकर्मियों की परेशानी बढ़ा दी है. थाना भवन अंग्रेजों के समय का बना हुआ है. इसमें लगा बांस, बल्ली आदि टूटने लगे हैं. स्थिति यह है कि लोहे का खंभा पर छत टिकी हुई है. बरसात में भवन के गिरने का खतरा बढ़ जाता है. इस दौरान अनहोनी का आशंका से उनकी सांस अटकी रहती है. साथ ही दस्तावेज भीगने और नष्ट होने का डर भी बना रहता है.
2008 में बना था नया भवन
वर्ष 2008 में यहां लाखों की लागत से नया थाना भवन और गार्ड रूम की आधारशिला रखी गयी थी. भवन निर्माण में संवेदक ने काफी अनियमितता बरती. जैसे-तैसे भवन खड़ा कर दिया. यह भवन भी वर्तमान में जर्जर हो चुका है. सबसे बड़ी बात है कि नया भवन में ठीक से ना तो प्लास्टर हुआ है और ना ही खिड़की-दरवाजा लगा है. यह भवन भी अब टूट कर गिरने लगा है. दीवारों पर झाड़ियां उग रही हैं.
वरीय अधिकारी भी नहीं ले रहे सुध
जमुआ थाना का भवन को असुरक्षित है ही, यहां किसी पदाधिकारियों का आवास भी रहने लायक है. बावजूद पुलिस महकमे के वरीय पदाधिकारी पुलिसकर्मियों की सुरक्षा की सुध नहीं ले रहे हैॅं. थाना प्रभारी बिपिन कुमार ने बताया कि जर्जर थाना भवन के बारे में पूर्व के थानेदार ने वरीय पदाधिकारी को पत्राचार किया था. उन्होंने भी जिला स्तर की बैठक में वरीय अधिकारियों को जर्जर भवन की जानकारी दी है.
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