Onion Price Hike: केंद्र सरकार के द्वारा बढ़ती खाद्य महंगाई को काबू में करने के लिए हर स्तर पर एक्शन लिया जा रहा है. केंद्र सरकार ने घरेलू बाजार में चावल और प्याज की उपलब्धता को बनाए रखने के लिए निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसके साथ ही, उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने जानकारी दी है कि केंद्र ने चालू वित्त वर्ष के लिए रसोई के मुख्य खाद्य पदार्थ का बफर स्टॉक बनाने के लिए 5.10 लाख टन प्याज की खरीद की है. चालू वित्त वर्ष के लिए कुल 7 लाख टन प्याज में से अब तक 5.10 लाख टन की खरीद की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि शेष राशि – दो लाख टन – भी जल्द ही खरीदी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस बीच, घरेलू उपभोक्ताओं को सस्ती कीमतों पर प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है – जो इस साल 8 दिसंबर से लागू हुआ. विभाग ने एक बयान में कहा है कि सरकार ने खरीफ फसलों के आगमन में देरी, निर्यात की गई प्याज की मात्रा और तुर्की, मिस्र और ईरान जैसे प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं द्वारा लगाए गए व्यापार और गैर-व्यापार प्रतिबंधों जैसी वैश्विक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया. सरकार मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत किसानों से लगातार प्याज खरीद रही है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े.
किसान पर नहीं पड़ेगा प्रभाव
उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि जनवरी तक प्याज की कीमतें मौजूदा औसत कीमत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम से घटकर 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे आ जाएंगी. सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की खुदरा बिक्री कीमत 80 रुपये प्रति किलोग्राम को पार करने और मंडियों में कीमतें 60 रुपये प्रति किलोग्राम के आसपास रहने के बाद पिछले हफ्ते अगले साल मार्च तक प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. यह पूछे जाने पर कि प्याज की कीमतें 40 रुपये प्रति किलोग्राम से नीचे कब तक आने की उम्मीद है. इसके जवाब में कहा कि बहुत जल्द… जनवरी में. उन्होंने ‘डेलॉयट ग्रोथ विद इम्पैक्ट गवर्नमेंट समिट’ के मौके पर कहा कि किसी ने कहा है कि कीमत 100 रुपये प्रति किलोग्राम को छू जाएगी. हमने कहा कि यह कभी भी 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगी. आज सुबह अखिल भारतीय औसत 57.02 रुपये प्रति किलोग्राम रहा और यह 60 रुपये प्रति किलोग्राम को पार नहीं करेगा.
कुछ व्यापारी कीमत में अंतर उठा रहे थे फायदा
रोहित कुमार सिंह ने कहा कि निर्यात प्रतिबंध से किसानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह व्यापारियों का एक छोटा समूह है जो भारतीय तथा बांग्लादेश के बाजारों में कीमतों के बीच अंतर का फायदा उठा रहा है. जो व्यापारी अलग-अलग कीमतों का फायदा उठा रहे थे, उन्हें नुकसान होगा. लेकिन इससे फायदा भारतीय उपभोक्ताओं को होगा. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में प्याज की मुद्रास्फीति जुलाई से दोहरे अंक में रही है, जो अक्टूबर में चार साल के उच्चतम स्तर 42.1 प्रतिशत पर पहुंच गई. इस वित्त वर्ष में एक अप्रैल से चार अगस्त के बीच देश से 9.75 लाख टन प्याज का निर्यात किया गया. मूल्य के लिहाज से शीर्ष तीन आयातक देश बांग्लादेश, मलेशिया और संयुक्त अरब अमीरात हैं. सरकार ने कीमतों पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं. इस साल 28 अक्टूबर से 31 दिसंबर तक प्याज के निर्यात पर 800 अमेरिकी डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) लगाया गया है. साथ ही अगस्त में भारत ने प्याज पर 31 दिसंबर तक 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था. अक्टूबर में सब्जियों की थोक मूल्य मुद्रास्फीति शून्य से नीचे 21.04 प्रतिशत तक कम हो गई. हालांकि प्याज की वार्षिक मूल्य वृद्धि दर इस महीने 62.60 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही.
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