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भागलपुर के साइबर थाने में बस दर्ज हो रहे केस, न तो डेडिकेटेड थानाध्यक्ष, न ही कांडों का हो रहा रेगुलर फॉलोअप

ऐसे अपराधों के लिए न तो बिहार पुलिस के पास आधारभूत संरचनाएं हैं और न ही वैसे प्रशिक्षित पुलिसकर्मी. इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए लगातार काम कर रही है. राजधानी पटना समेत बिहार के कुछ शहरों में साइबर थाना खोला गया है.

अंकित आनंद, भागलपुर. बिहार में साइबर अपराध बेहद तेजी से बढ़ रहा है. पुलिस प्रशासन के लिए यह एक नया सिरदर्द है. ऐसे अपराधों के लिए न तो बिहार पुलिस के पास आधारभूत संरचनाएं हैं और न ही वैसे प्रशिक्षित पुलिसकर्मी. इसके बावजूद पुलिस मुख्यालय साइबर अपराध पर नकेल कसने के लिए लगातार काम कर रही है. राजधानी पटना समेत बिहार के कुछ शहरों में साइबर थाना खोला गया है. बिहार पुलिस के कुछ पदाधिकारियों को खास तौर पर साइबर अपराध से निपटने के लिए लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा है. इसी क्रम में 9 जून 2023 को भागलपुर सहित राज्य के अधिकांश पुलिस जिलों में साइबर थाना का एक साथ उद्घाटन किया गया. उद्घाटन किये जाने के बाद से लेकर अब तक थाना का कार्य संभावनाओं पर टिका हुआ है. इसलिए इसे संभावनाओं का साइबर थाना भी कहा जा रहा है.

आधारभूत संरचनाओं का घोर अभाव

भागलपुर में साइबर थाना खुलने के पांच माह बाद भी यहां आधारभूत संरचनाओं का घोर अभाव है. थाना को सशक्त करने के लिए कई योजनाओं पर कार्य तो किया जा रहा है, मगर धरातल पर अब तक कुछ नहीं दिख रहा है. न तो साइबर थाने के पास डेडिकेटेड थानाध्यक्ष हैं और न ही पर्याप्त पुलिस अफसर व कर्मी. फिलहाल प्रभारी एसएचओ व दो अन्य पदाधिकारियों पर थाने के कामकाज की जिम्मेदारी है. बढ़ते साइबर अपराध के मामले को देखते हुए यह कार्यबल काफी कम है और ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की बात महज संभावनाओं पर जा सिमटी है.

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केस दर्ज करने में लग रहा है दस से पंद्रह दिन

पदाधिकारियों और कर्मचारियों के अभाव में साइबर थाने में दर्ज कांडों की मॉनिटरिंग नहीं हो पा रही है और न ही उसका लेखा जोखा रखा जा रहा है. कांड के अनुसंधानकर्ता अपने कांडों का रेगुलर फॉलोअप भी नहीं ले पा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ हर दिन साइबर थाने में कांड दर्ज करानेवालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. वहां पहुंचे पीड़ित लोगों के आवेदन पर समय से प्राथमिकी भी दर्ज नहीं हो पा रही है. ऐसे में शिकायत के बावजूद केस दर्ज करने में दस से पंद्रह दिन का वक्त लग रहा है. इन हालात की वजह से जिस उद्देश्य से थाना खोला गया था शायद ही उसकी पूर्ति हो पा रही है.

क्राइम मीटिंग में शामिल होंगे साइबर अपराध से जुड़े मामले

इस संबंध में प्रभात खबर से बातचीत करते हुए भागलपुर के सिटी एसपी अमित रंजन ने बताया कि साइबर थाने में दर्ज होने वाले कांडों को भी आगामी क्राइम मीटिंग में शामिल किया जायेगा. कांडों के निष्पादन से लेकर कांडों में होने वाली प्रगति की मॉनिटरिंग की जायेगी. पदाधिकारियों और कर्मियों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार विर्मश हुआ है. इसके लिए ऐसे पदाधिकारियों और कर्मियों को चिन्हित किया जा रहा है जो कि आइटी और कंप्यूटर/साइबर विषयों के जानकार हों. साथ ही जिन पदाधिकारियों की साइबर ट्रेनिंग पटना में चल रही है या हो चुकी है उन पदाधिकारियों से जिले के अन्य पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिलाया जायेगा.

जिले के पुलिसकर्मियों को दिया जायेगा प्रशिक्षण

सिटी एसपी ने यह भी बताया कि उनके अधीन होने वाले सभी थानों की मासिक अपराध समीक्षा बैठक में साइबर थाना को भी शामिल किया गया है. जल्द ही मुख्य क्राइम मीटिंग में भी साइबर थाने के कांडों को शामिल किया जायेगा. साइबर मामलों की जांच करने वाले अनुसंधानकर्ताओं को सख्त निर्देश दिया गया है कि वह रेगुलर कांडों का फॉलोअप करें. साइबर थाना के अधिकांश कार्य डीआइयू सेल पर ही निर्भर हैं. इसलिए डीआइयू सेल को भी सशक्त करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है.

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