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1975 के बाद सोनपुर मेला में फिर शुरू होगा मल्ल युद्ध, ढाई लाख की चांदी की गदा पर दावा ठोकेंगे पहलवान

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के तत्वावधान में विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेले में 15 व 16 दिसंबर को मल्ल युद्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा. इस प्रतियोगिता में अलग-अलग किलोग्राम की कुल छह श्रेणियां होंगी. सोनपुर मेला में 1975 के बाद यह पहला मौका होगा जब मल्ल युद्ध का आयोजन किया जाएगा.

विश्व प्रख्यात हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला में 15 व 16 दिसंबर को बिहार राज्य खेल प्राधिकार के तत्वावधान में मल्ल युद्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा. इस प्रतियोगिता में पुरुष और महिलाओं की कुल मिलाकर छह कैटेगरी होगी. इस प्रतियोगिता के विजेता को कैश प्राइज के साथ-साथ चांदी की गदा भी दी जाएगी. आयोजन के संदर्भ में बुधवार को बिहार सरकार के कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री जितेंद्र राय, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रण शंकरण व डीएम अमन समीर ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया. इसके साथ ही यह भी बताया गया कि सोनपुर मेला में इससे पहले मल्ल युद्ध की प्रतियोगिता 1975 में आयोजित की गई थी.

प्रतियोगिता में होगी छह कैटेगरी

महानिदेशक ने बताया कि मल्ल युद्ध की यह प्रतियोगिता दो दिनों तक चलेगी. छह कटेगरी में होने वाली इस प्रतियोगिता में से चार कैटेगरी पुरुषों की तो वहीं दो कैटेगरी महिलाओं की होगी. सभी कैटेगरी अलग-अलग किलोग्राम वर्ग की होगी. इस प्रतियोगिता के विजेता को बिहार केशरी के खिताब से नवाजा जायेगा.

विजेता को दी जाएगी चांदी की बनी हनुमान जी की गदा

प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर रहने वाले प्रतिभागी को पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये नकद दिए जाएंगे, वहीं दूसरे स्थान के प्रतिभागी को भी 75 हजार का पुरस्कार दिया जायेगा. बिहार केशरी टाइटल जीतने वाले पहलवान को करीब ढ़ाई लाख की कीमत की चांदी की बनी हनुमान जी की गदा भेट की जायेगी. इस कार्यक्रम में कुश्ती के द्रोणा चार्य अवार्डी व नयी दिल्ली के हनुमान सिंह अखाड़ा के संचालक महा सिंह राव शामिल होंगे जो खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करेंगे.

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सोनपुर मेला में आखिरी बार 1975 में हुआ था मल्ल युद्ध

महानिदेशक ने बताया कि इसके पहले 1975 में अंतिम बार सोनपुर में मल्ल युद्ध हुआ था. जिसमें बेस्ट पहलवान विश्वनाथ सिंह को बिहार केशरी का खिताब दिया गया था. उसके बाद से अब तक यह आयोजन नहीं हो सका. जबकि पिछले 100 वर्षों से छपरा, सीवान व गोपालगंज के क्षेत्र में यह इवेंट प्रमुखता से होते रहता था.

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मल्ल युद्ध क्या है?

मल्ल युद्ध वास्तव में एक प्रकार का मार्शल आर्ट है. दुनिया भर में युद्ध लड़ने की कई कलाएं हैं. कुछ केवल हाथों से लड़ी जाती हैं तो कुछ हथियारों से. ऐसे ही दो व्यक्तियों के बीच लड़े जाने वाले युद्ध की कला को द्वंद्व कला कहा जाता है. मल्ल युद्ध भी द्वंद्व युद्ध कला की श्रेणी में रखी जाती है. द्वंद्व युद्ध हथियारों के साथ या बिना हथियारों के लड़ा जा सकता है. इसके विभिन्न प्रकार हैं. जैसे भीम और दुर्योधन के बीच लड़ा गया द्वंद्व युद्ध ‘गदा’ शस्त्र से लड़ा गया था. इस द्वंद्व को ‘गदा युद्ध’ भी कहा जाता है. कुश्ती भी एक ऐसी ही द्वंद्व कला है. इसमें बिना हथियार के शारीरिक बल और बुद्धि का प्रयोग करना पड़ता है. इस कला की उत्पत्ति भी भारत में हुई. प्राचीन काल से लेकर आज तक यह कला अनेक रूपों में जीवित है.

मल्ल युद्ध का इतिहास क्या है?

मल्ल युद्ध की कला बहुत की प्राचीन मानी जाति है. इतिहासकारों के अनुसार भारत में ‘आर्य सभ्यता’ के समय से ही यह कला प्रचलित थी. महाभारत एवं रामायण में भी कई प्रकार के मल्ल युद्धों एवं योद्धाओं का वर्णन मिलता है.

स्पोर्टस हब के रूप में विकसित होगा सारण : मंत्री

इस मौके पर मंत्री जितेंद्र राय ने कहा कि सारण जिला को स्पोर्टस हब के रूप में विकसित किया जायेगा. जल्द ही जिले में नेशनल स्कूल गेम्स का आयोजन होगा. जिसके तहत फुटबॉल, एथलेटिक्स, वेटलिफ्टिंग, क्रिकेट व सेपक टाकरा के इवेंट होंगे. 25 से 29 दिसंबर के बीच अंडर-17 महिला फुटबॉल प्रतियोगिता का राष्ट्रीय स्तर का आयोजन सारण में होगा. जिसका उद्घाटन समारोह राजेंद्र स्टेडियम में जबकि फुटबॉल मैच विवि कैंपस के मैदान व मढ़ौरा थाना परिसर के पीछे के खेल मैदान में कराया जायेगा. उद्घाटन सत्र में भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री व पूर्व कप्तान वाइचुंग भुटिया को बुलाने की कोशिश की जा रही है. इस इवेंट में देश भर की 40 टीमें हिस्सा लेंगी. उन्होंने बताया कि पूरे बिहार में 4 जोन को फिलहाल खेल हब के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें सारण भी शामिल है. इस अवसर पर मुखिया संघ के अध्यक्ष मिथलेश राय उपस्थित थे.

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