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हजारीबाग में नदियों से अवैध बालू खनन कर रोज की कमाई 10 लाख से ज्यादा, सरकारी अधिकारियों की भी है मिलीभगत

केरेडारी प्रखंड की नदियों का बालू गर्रीखुर्द, केरेडारी मुख्यालय परिसर, हाई स्कूल केरेडारी, डम्हाबागी पनिया गढ़ा, केरेडारी के बुकरु मोड़ के समीप निर्मित कंस्ट्रक्शन कंपनी, हेंदेगिर जंगल में बालू का स्टॉक किया गया है

अरुण यादव, केरेडारी:

जिले के केरेडारी प्रखंड में अवैध बालू का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. सायल नदी, नौवाखाप नदी, पचड़ा नदी, मसुरिया नदी, बड़की नदी से बालू कारोबारी बिना रोक-टोक के दिन-रात ट्रैक्टर और हाइवा से बालू का उठाव कर तस्करी कर रहे हैं. वहीं, बड़की नदी से बालू निकालकर नदी के आसपास जंगलों में स्टॉक कर कारोबारी अंधेरे में हाइवा से बालू की ढुलाई करते हैं. पुलिस प्रशासन के नाक के नीचे हो रहे इस अवैध बालू के करोबार को कोई देखने वाला नहीं है. स्थानीय लोगों की माने तो कहते हैं कि बालू की तस्करी में बड़े-छोटे सरकारी अधिकारी की मिली भगत से हो रही है. बालू तस्कर प्रति ट्रैक्टर दो हजार से 2500 सौ रुपये, प्रति हाइवा 25 से 30 हजार रुपये की दर से केरेडारी, टंडवा में स्थापित कंपनियां समेत सिमरिया, रांची, हजारीबाग शहरों में ले जा कर बेचते हैं. बालू के स्टॉक के लिए नदियों के दोहन में दिन-रात दर्जनों ट्रैक्टर लगे रहते हैं. जबकि केरेडारी मुख्य मार्ग से ही हाइवा, ट्रैक्टर से बालू की ढुलाई होती है.

यहां है बालू का स्टॉक

केरेडारी प्रखंड की नदियों का बालू गर्रीखुर्द, केरेडारी मुख्यालय परिसर, हाई स्कूल केरेडारी, डम्हाबागी पनिया गढ़ा, केरेडारी के बुकरु मोड़ के समीप निर्मित कंस्ट्रक्शन कंपनी, हेंदेगिर जंगल में बालू का स्टॉक किया गया है. केरेडारी मुख्यालय में स्टॉक बालू को देखकर भी अधिकारी और कर्मचारी मौन धारण किए हैं. वहीं, अवैध धंधे से जुड़े तस्कर लाखों की कमाई कर व्यारे-न्यारे हो रहे हैं. बालू की अवैध ढुलाई करने और ऊंचे दाम में बिक्री से केरेडारी के ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीण विनोद महतो, सुनील महतो ने बताया कि बालू कारोबारी नदियों का बालू शहरों में पहुंचाते हैं. गांव में भी 1500 से 2000 में प्रति ट्रैक्टर बालू बेचते हैं. तस्करों के मनमानी से सरकारी आवास समेत अन्य योजनाओं के कार्य करने में भी परेशानी होती है.

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जिले की नदियों का अस्तित्व खतरे में

केरेडारी प्रखंड अब बालू तस्करी का अड्डा बन गया है. सायल नदी, नौवाखाप नदी, पचड़ा नदी, मसुरिया नदी, बड़की नदी से दिन-रात बालू का अवैध खनन से नदियों का अस्तित्व खतरे में होता जा रहा है. नदियों का इस कदर दोहन हो रहा है कि इसके अस्तित्व पर ही संकट मंडराने लगे हैं. सिर्फ पचड़ा नदी ही नहीं, बल्कि जिले के सायल नदी, नौबाखाप नदी समेत विभिन्न नदियों में भी अवैध बालू का कारोबार खूब फल फूल रहा है.

एक दिन में 10 लाख रुपये का कारोबार

स्थानीय लोगों के अनुसार एक दिन में 60 से 70 हाइवा और लगभग 100 ट्रैक्टर बालू का अवैध खनन किया जा रहा है. दिन-रात मिलाकर अनुमान के अनुसार लगभग 10 लाख रुपये का अवैध कारोबार हो रहा है. खुलेआम इन बालू लदे हाइवा का नंबर प्लेट भी खोल दिया जाता है ताकि नंबर पर कार्रवाई नहीं हो सके. बालू माफिया रोजाना सरकारी खजाने को लाखों रुपये की चपत लगा रहे हैं. इनको रोकने और टोकने वाला कोई नहीं है. स्थानीय लोग कहते हैं कि सब कुछ जिला प्रशासन को पता है, खेल मिलकर होता है.

क्या कहते हैं अधिकारी

अवैध बालू का खनन और बालू का स्टॉक होने के संबंध में केरेडारी अंचलाधिकारी राम रतन वर्णवाल ने कहा की मुझे इस संबंध में कोई जानकारी नहीं हैं. यदि कोई आवेदन देता है तो जांच कर कार्रवाई करेंगे. फिलहाल केरेडारी बालू का खनन नहीं हो रहा है. थाना प्रभारी नायल गोडविन केरकेटा ने कहा कि बालू ढुलाई पर कार्रवाई करना सीओ का काम है.

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