गया के फतेहपुर शराब कांड में आरोपी बनाए गए गया के पूर्व एसएसपी और निलंबित आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार को पटना हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. गया जिले के फतेहपुर शराब कांड में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को कोर्ट ने रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति सत्यव्रत वर्मा ने यह निर्देश आदित्य कुमार की ओर से दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. इस मामले में आदित्य कुमार की ओर से पटना हाइकोर्ट में एक अपील दायर की गयी थी.
इसी मामले को निरस्त करवाने के लिए चीफ जस्टिस के नाम पर डीजीपी को फोन करवाने का है आरोप
गौरतलब है कि इस शराब कांड मामले को खत्म करने के लिए आदित्य कुमार पर पटना हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश के नाम पर राज्य के पूर्व डीजीपी संजीव कुमार सिंघल को व्हाट्सएप कॉल करने का आरोप है. इस मामले में पूर्व डीजीपी के बयान के आधार पर आर्थिक अपराध इकाई ने पिछले साल आदित्य कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. चीफ जस्टिस के नाम पर डीजीपी को फोन करवाने के मामले में दर्ज एफआईआर में आदित्य कुमार की अग्रिम जमानत याचिका निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक खारिज हो चुकी है. वहीं, 5 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर आदित्य कुमार ने पटना की निचली अदालत में सरेंडर कर दिया. इसके बाद उन्हें 18 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. तब से वह पटना के बेउर जेल में बंद हैं.
क्या बोले आदित्य कुमार के वकील
इधर, हाइकोर्ट में आदित्य कुमार के अधिवक्ता एसडी संजय ने बताया कि पुलिस मुख्यालय से जो रिपोर्ट फतेहपुर शराब कांड की आयी है, उसमें इसे इसे मिस्टेक ऑफ लॉ कहा गया है. इसमें यह भी कहा गया है कि आदित्य कुमार के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा सौंपी गयी क्लोजर रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने भी माना है कि इस मामले में आदित्य कुमार के खिलाफ कोई केस नहीं बनता है. आदित्य कुमार के खिलाफ इस मामले में गया के फतेहपुर थाने में 28 मई 2022 को मद्यनिषेध अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. गौरतलब है कि इस मामले में आदित्य कुमार को अग्रिम जमानत मिल चुकी है.
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आठ घंटे तक आर्थिक अपराध इकाई ने की थी पूछताछ
बता दें कि दो दिन पहले आर्थिक अपराध इकाई ने आदित्य कुमार को रिमांड पर लिया था और उससे गहन पूछताछ की थी. करीब आठ घंटे तक चली इस पूछताछ के दौरान इओयू की टीम ने कई सवाल दागे थे, पर आदित्य अपने ऊपर लगे हर आरोपों से इंकार करते रहे. इओयू के अधिकारियों ने पूछताछ के दौरान आदित्य से उनका पुराना मोबाइल फोन भी मांगा. इस पर आदित्य ने कहा कि मोबाइल फोन कहीं गुम हो गया है. उन्होंने अभिषेक अग्रवाल से दोस्ती की बात खारिज करते हुए कहा कि उससे सामान्य जान-पहचान थी. आदित्य ने तत्कालीन डीजीपी को पैरवी वाला फोन कराने के सवाल पर कहा कि मैंने ऐसा नहीं किया. इससे मुझे कोई फायदा नहीं होने वाला था. अगर फायदा होता तो मेरे ऊपर चल रही विभागीय कार्रवाई खत्म हो जाती. आज भी मेरे ऊपर विभागीय कार्रवाई जारी है. मेरे विरुद्ध अभियोजन चल रहा है. मैं निलंबित हूं.