सोनभद्र की दुद्धी विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक रामदुलार गोंड को नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में 25 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई है. साथ ही दस लाख रुपए जुर्माना लगाया गया. जुर्माना न देने पर दोषी विधायक को तीन वर्ष की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. इसी तरह दुष्कर्म पीड़िता को धमकाने के मामले में दो वर्ष की सजा सुनाई गई और पांच हजार रुपए जुर्माना भी लगाया गया है. जुर्माने की पूरी राशि दुष्कर्म पीड़िता को दी जाएगी. भाजपा विधायक के खिलाफ पीड़ित परिवार ने लंबी कानूनी लड़ी है. करीब नौ साल तक मामला अदालत में चला. इस दौरान 300 से अधिक तारीखें पड़ीं. आरोपी पक्ष की ओर से कई बार अदालत को गुमराह करने की भी कोशिश हुई. यहां तक की फर्जी जन्म प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर पीड़िता को बालिग साबित करने का भी प्रयास किया गया. साथ ही विवेचना के दौरान भी कई त्रुटियां बरती गईं, जिससे संदेह का लाभ आरोपी को मिल जाए. हालांकि सत्य की कसौटी पर कोई भी दलील खरी नहीं उतरी. अदालत ने सभी को खारिज करते हुए दोषी विधायक को सख्त सजा सुनाई है.
बीजेपी विधायक रामदुलार गोंड ने साल 2014 में 15 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया था. रामदुलार ने नाबालिग के साथ 6 बार दरिंदगी की. तब वह विधायक नहीं था. उसका क्षेत्र में इतना दबदबा था कि कोई उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं रखता था. विधायक के इस गंदे काम से नाबालिग गर्भवती हुई, तो विधायक ने बच्चे को मारने का भी पूरा प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुआ. विधायक को सलाखों के पीछे पहुंचाने में पीड़िता के भाई और पिता का बहुत बड़ा संघर्ष और यातनाएं झेलनी पड़ी. जिसके लिए 9 साल से वो दोनों लड़ रहे थे. जब 15 दिसंबर को बेटी को न्याय मिला, तो दोनों गले लगकर रोने लगे. फोन कर बेटी को खुशखबरी सुनाते समय उनकी आंखें नम हो गई. सजा होने की बात सुनकर पीड़िता भी भावुक हो गई.
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सोनभद्र के दुद्धी से बीजेपी विधायक रामदुलार गोंड पर 9 साल पहले दर्ज हुए केस में एमपी एमएलए कोर्ट ने तमाम सबूतों और गवाहों के आधार पर दोषी पाया था. यह पूरा मामला साल 2014 का था. विधायक पर प्रधानपति रहते हुए नाबालिग से दुष्कर्म करने का आरोप लगा था. मामले में एमपी एमएलए कोर्ट के जस्टिस एहसानुल्लाह खान ने सजा सुनाते हुए कहा कि आप लोग समाज के प्रतिनिधि होते हैं. जनता आपको चुन कर इसलिए लाती है, जिससे आप उनकी रक्षा कर सकें. मगर यहां तो आप ही उनके भक्षक बने हुए हैं. आपका कृत्य बहुत ही गंदा है. ऐसा कृत्य करके आपने समाज को बहुत गंदा संदेश दिया है. इसकी कठोर सजा आपको मिलेगी.
वहीं पीड़िता के पिता बताते हैं कि हमारे लिए ये 9 साल बहुत कठिन थे. बेटी की इज्जत चली गई थी, इस बोझ के साथ जीना आसान नहीं था. मगर जो गलत काम मेरी बेटी ने किया ही नहीं था, उसकी सजा मैं उसको क्यों देता? मैंने हमेशा उसका साथ दिया, गांव वाले-रिश्तेदार बहुत ही उल्टी-सीधी बातें बोलते थे. वे कहते थे कि जो लड़ाई लड़ रहे हो उसमें जीत नहीं पाओगे. हमारे जैसे लोगों को इंसाफ नहीं मिलता है. उसके पास पावर-पैसा सब है और हमारे पास कुछ नहीं है. कैसे उसके सामने खड़े हो पाऊंगा? मगर फिर भी हम पीछे नहीं हटे. उन्होंने आगे कहा कि एक समय तो ऐसा था जब हमारी बेटी घर से निकलने में भी डरती थी, मगर हमने उसको हिम्मत बांधी. हम उसको स्कूल-घूमने सब जगह भेजते थे.
जब हमने पुलिस से विधायक की शिकायत की थी, तो पुलिसवाले भी हम पर हंस रहे थे. मगर आज सब शांत हैं, अब कोई हम पर नहीं हंस रहा है. अब हम लोग 9 साल के बाद चैन की नींद सो पाएंगे. मेरी बेटी के साथ जो काम हुआ मैं नहीं चाहता था, वो किसी और के साथ भी हो, मैंने कसम खाई थी चाहे खुद मिट जाऊं. मगर विधायक को सजा जरूर दिलाऊंगा. आज मेरे ऊपर 20 लाख का कर्ज है, 4 बीघा जमीन बिक गई है, लेकिन फिर भी मुझे सुकून है. कम से कम ये विधायक अब किसी और बच्ची के साथ तो ऐसा गलत काम नहीं कर पाएगा.
वहीं पीड़िता के भाई ने बताया कि विधायक का घर मेरे घर से 100 मीटर की दूरी पर था. वो मेरी बहन के साथ साल 2013 से गंदा काम कर रहा था. बहन जब परेशान हो गई, तब उसने नवंबर, 2014 में हम लोगों को ये सब बताया. मेरी बहन ने मुझे बताया था कि विधायक अपने साथियों से उसे किसी न किसी काम के बहाने बुलाता है. फिर गाड़ी से कहीं दूर ले जाता है. इसके बाद गंदा काम करता है और वापस घर छुड़वा देता है. विधायक मेरी बहन को हमेशा धमकाता था. किसी को बताने पर पूरे परिवार को खत्म करने की धमकी देता था. मेरी मासूम बहन से कहता था कि तेरे भाई-बाप को मरवा दूंगा. तुझको अपने पास रख लूंगा. मेरी बहन काफी समय से उसको मना कर रही थी. वो साथ जाने से भी मना करती थी, लेकिन वो हमेशा मेरी मासूम बहन को धमका कर बुला लेता था. विधायक की काली करतूत से मेरी बहन प्रेग्नेंट हो चुकी थी. ये बात हमें केस दर्ज करवाने के 4-5 महीन बाद पता चली. तब हम बच्चा गिरवा नहीं सकते थे, मगर विधायक ने बच्चे को मारने की पूरी कोशिश की. हमने बहन की जान बचाने के लिए उसको गांव से बाहर भेज दिया.
इसी बीच हम लोग अपनी बहन के लिए शादी के लिए लड़का भी देखने लगे. रिश्तेदारों के जरिए हमें एक लड़के के बारे में जानकारी मिली. हमने उस लड़के से मिलकर सारी सच्चाई बता दी. इसके साथ ही ये भी कहा कि कोई जबरदस्ती नहीं है. जो कुछ भी हुआ है, उसमें मेरी बहन की गलती नहीं है. सही लगे तो शादी कर लें नहीं तो रहने दें. वो लड़का बहन से शादी करने के लिए तो तैयार हो गया. मगर उसने इसके बदले में ढ़ाई लाख रुपए लिए. उस समय बहन के लिए हमने पैसे दे दिए. भाई ने आगे बताया कि केस दर्ज करवाने से लेकर कोर्ट तक मामला आने में हमें मुकदमा वापस लेने के लिए बहुत धमकाया गया. हमारे साथ मारपीट हुई. घर से बिजली की लाइन हटा दी गई. यहां तक गांव के लोगों को हमसे बात करने के लिए मना कर दिया गया. गांव में कोई भी दुकानदार हमें सामान नहीं देता था. हमारे साथ चलते-फिरते गाली-गलौज किया जाता था. उसके बाद जब मामला कोर्ट पहुंच गया, तो जान से मारने की कोशिश तक की गई. मगर फिर भी हम लड़ते रहे और आज जीत कर आए हैं.