Cyber Crim In Bihar: बिहार में साइबर क्राइम के मामले तेजी से बढ़े हैं. रोज ऐसे मामले सामने आते हैं जहां साइबर ठग अपना शिकार लोगों को बनाते हैं. अलग-अलग जाल बिछाकर साइबर ठग लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं और फिर उनसे रूपए ऐंठते हैं. सोशल मीडिया का भी ये शातिर जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं. फेक अकाउंट बनाकर लोगों से रुपए ऐंठने के कई मामले पहले भी सामने आए हैं. ये शातिर इतने बेखौफ होते हैं कि पुलिस का भी भय इन्हें नहीं रहता. पुलिस के बड़े अफसरों तक की फेक आइडी ये बनाते हैं और फिर पुलिसकर्मी को भी चूना लगाने की कोशिश करते हैं. दो ताजा मामले सामने हैं जहां निगरानी के डीजी का फेक अकाउंट फेसबुक पर बनाया गया. वहीं बेतिया रेंज के डीआइजी के नाम से फेक आइडी बनाकर थानेदार से ही ठगी की कोशिश की गयी.
साइबर शातिरों का एक नया कारनामा सामने आया है. सोशल मीडिया पर फेक अकाउंट बनाकर लोगों को झांसा देने और उनसे पैसे ऐंठने वाले साइबर शातिरों ने इस बार निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के महानिदेशक (डीजी) आलोक राज का ही फर्जी फेसबुक अकाउंट बना लिया. शातिर उनका फेसबुक प्रोफाइल बना ठगी का प्रयास कर रहा है. इसकी जानकारी जब खुद डीजी आलोक राज को मिली तो वो दंग रह गए. महानिदेश के लिखित बयान पर केस दर्ज कर लिया गया है. पुलिस मामले की छानबीन कर रही है. दरअसल, कुछ लोगों से जब उन्हें शिकायत मिली तब महानिदेशक ने मामले की जांच की तब पाया कि किसी शातिर ने उनका फर्जी फेसबुक प्रोफाइल बना लिया है. महानिदेशक ने इसके बाद साइबर थाना में लिखित शिकायत की है.
हाल में ही भागलपुर में साइबर ठगों ने थानेदार को ही ठगने की कोशिश की. हालांकि थानेदार समय से पहले सचेत हो गए. वे साइबर ठग के इस जाल में उलझकर ठगी का शिकार बनने से बच गए. जानकारी मिली है कि साइबर ठगों ने बेतिया रेंज के डीआइजी जयंतकांत के नाम से एक फेक आइडी बना ली है. साइबर ठगों ने एक थानेदार को ही इस आइडी से अपना शिकार बनाने की कोशिश की.
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भागलपुर के मोजाहिदपुर थाना के थानाध्यक्ष देवानांद पासवान को साइबर ठग ने डीआइजी की फेक आइडी से मैसेज किया. मैसेज में कहा गया कि एक सिपाही की तबीयत खराब हो गयी है. इसके लिए फंड की जरूरत है. मैसेज के बाद तुरंत उक्त ठग ने थानेदार को व्हाटसअप कॉल भी कर दिया. कॉल के माध्यम से एक अनजान व्यक्ति ने फोन कर फंड इकट्ठा करने की बात कही. लेकिन बात करने के अंदाज से थानेदार ने भांप लिया कि जरूर कुछ गड़बड़ है. इसके बाद थानेदार ने खुद डीआइजी जयंतकांत से बात की. जिसके बाद पता चला कि वह साइबर ठगी का शिकार होते-होते बच गये. थानेदार ने डीआइजी को उनके फेक आइडी के बारे में भी बताया. थानेदार ने कहा कि मामले में कार्रवाई की जा रही है.