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हाईकोर्ट ने बिहार में चल रही सड़क परियोजनाओं की रफ्तार पर जतायी नाराजगी, दिया ये आदेश

हाजीपुर-छपरा एनएच के निर्माण में हो रही देरी और पटना-गया-डोभी एनएच निर्माण मामले में चल रही अलग-अलग सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्माण कंपनियों से सख्त लहजे में तलब किया है. राज्य की दोनों सड़क परियोजनाएं बेहद धीमी रफ्तार से चल रही है.

पटना. पटना हाईकोर्ट ने बिहार में चल रही सड़क परियोजनाओं की मंथर गति पर नाराजगी जतायी है. हाजीपुर-छपरा एनएच के निर्माण में हो रही देरी और पटना-गया-डोभी एनएच निर्माण मामले में चल रही अलग-अलग सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने निर्माण कंपनियों से सख्त लहजे में तलब किया है. राज्य की दोनों सड़क परियोजनाएं बेहद धीमी रफ्तार से चल रही है. हाजीपुर छपरा एनएच का हाल तो ऐसा है कि इस परियोजना के तहत गंडक पर बननेवाले पुल का निर्माण वर्षों से बंद पड़ा है. अदालत ने अगली तारीख को निर्माण कंपनी को पूरे दस्तावेज के साथ तलब किया है.

अगली सुनवाई पर पेश करें प्रगति रिपोर्ट कोर्ट

हाजीपुर-छपरा एनएच के निर्माण में हो रही देरी पर पटना हाइकोर्ट ने निर्माण कंपनी को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई पर प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें. कोर्ट ने कहा कि गंडक नदी पर बनने वाले पुल के बारे में भी पूरी जानकारी उपलब्ध करायें. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति राजीव रॉय की खंडपीठ ने सत्यम शिवम सुंदरम की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर कोर्ट को बताया गया कि निर्माण कंपनी काम के प्रति काफी सुस्त है. काम की रफ्तार काफी धीमी है. गंडक नदी पर बनने वाले पुल का निर्माण लगभग बंद है.

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अंजानपीर के समीप ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया गया

वहीं, निर्माण कंपनी की ओर से कोर्ट को बताया गया कि पुल पर एक स्पैन को चढ़ाने और इसे सेट करने में 21 दिनों का समय लगता है. इस पर कोर्ट ने कहा कि पिछले तीन माह में कितने स्पैन चढ़ाये गये, इसकी पूरी जानकारी दें. निर्माण कंपनी ने हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया है कि अंजानपीर के समीप ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया गया है. जबकि सच्चाई यह है कि एक लेन पुल का निर्माण किया गया है और उस पर हल्के वाहन आने-जाने की अनुमति दी गयी है. कोर्ट ने निर्माण कंपनी को हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट करने का आदेश देते हुए अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की.

सड़क निर्माण रोके जाने पर जतायी थी नाराजगी

उम्मीद की जा रही है कि अगली सुनवाई में निर्माण कंपनियों को अदालत की ओर से सख्त निर्देश दी जा सकती है. पिछले दिनों ही पटना हाईकोर्ट ने मुआवजे को लेकर काफी दिनों से सड़क निर्माण को रोक देने पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि अगर अधिग्रहण हो चुका है तो वहां सड़क का निर्माण चालू रखा जाये, मुआवजे का निपटारा दस्तावेज के आधार पर होता रहेगा. इसके लिए निर्माण कार्य रोकना सही नहीं है.

जहानाबाद जिले के डीएम को निर्देश दिया था

सड़क निर्माण से जुड़ा एक अन्य मामला चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में प्रतिज्ञान संस्था द्वारा दायर लोकहित याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी. कोर्ट ने एनएचएआइ को कहा कि वह 19 जनवरी, 2024 तक इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करे. इसके पहले कोर्ट ने गया और जहानाबाद जिले के डीएम को निर्देश दिया था कि वे सड़क निर्माण में आ रही बाधाओं को दूर करें.

डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर

इससे पूर्व एनएचएआइ ने हलफनामा दायर कर धनराशि व्यय किये जाने का ब्योरा डेडिकेटेड फ्रंट कॉरिडोर (डीएफसी) के अधिकारियों को दिया था. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मनीष कुमार ने कोर्ट को बताया कि सड़क निर्माण का 85 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, लेकिन लिंक रोड नहीं बनने के कारण वहां लोगों का आवागमन नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि जितनी दूर तक सड़क निर्माण कार्य हो चुका है, उतनी दूर तक आवागमन की व्यवस्था कर दी जाये.

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