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सरकारी स्कूल का माहौल बदला है, तस्वीर नहीं बदली, सहरसा में बैठने के लिए बोरा-चट्टी लाने को विवश हैं बच्चे

अपर मुख्य सचिव के के पाठक के योगदान के बाद से शिक्षा विभाग में सुधार का अभियान छिड़ा है. इसको लेकर लगातार प्रयास जारी है. विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति, शिक्षकों की उपस्थिति को सुदृढ़ करने का कार्य लगातार जारी है. शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर शिक्षकों को नियुक्ति तक की गयी है.

सहरसा. शिक्षा में सुधार को लेकर शिक्षा विभाग संकल्पित है एवं इसके लिए पिछले छह महीनों से लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. अपर मुख्य सचिव के के पाठक के योगदान के बाद से शिक्षा विभाग में सुधार का अभियान छिड़ा है. इसको लेकर लगातार प्रयास जारी है. विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति, शिक्षकों की उपस्थिति को सुदृढ़ करने का कार्य लगातार जारी है. शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए बड़े स्तर पर शिक्षकों को नियुक्ति तक की गयी है. साथ ही बड़े पैमाने पर नये शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालय में पदस्थापित किया गया है. लेकिन बच्चों के अनुपात के अनुसार अब भी शिक्षकों की कमी है. इन सब के बावजूद आज भी जिले के सैकड़ों विद्यालय ऐसे हैं, जहां इंफ्रास्ट्रक्चर की घोर कमी है. भवनहीन विद्यालय की संख्या भी जिले में कम नहीं है. इन विद्यालयों में बच्चों के बैठने के लिए बेंच, डेक्स तक की कमी है. वहीं शिक्षकों के बैठने तक के लिए कुर्सियों का अभाव है. आज भी बच्चे वर्षों पूर्व की तरह घर से विद्यालय में बैठने के लिए बोरा चट्टी लाया करते हैं. इसके बाद जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं. यह हाल प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित विद्यालयों तक में है. ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी संख्या काफी अधिक है, जो गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा में आज भी बड़ा बाधा है.

प्री फैब्रिकेटेड वर्ग कक्ष के निर्माण में आ रही है दिक्कतें

विभाग द्वारा छतदार भवन में प्री फैब्रिकेटेड वर्ग कक्ष के निर्माण की स्वीकृति दी है. लेकिन इसके साथ यह शर्त रखी गयी है कि यह पूर्व के छतदार भवन के उपर ही निर्माण होगा. जिससे यह पूरी तरह संभव नहीं हो पा रहा है. अधिकांश विद्यालयों में भवन ही नहीं है, तो फिर इसके निर्माण की बात ही संभव नहीं है. कही जर्जर भवन हैं तो उसपर निर्माण ही संभव नहीं है. ऐसे में यह विद्यालय कक्षा का निर्माण संभव नहीं हो पा रहा है. जबतक अपर मुख्य सचिव ने विद्यालय के सभी शिक्षकों को लगातार कक्षा संचालन का निर्देश जारी किया है. जिले में शायद ही ऐसे विद्यालय हैं जहां शिक्षकों के अनुपात में वर्ग कक्ष बने हैं. चाहे वह उच्चतर माध्यमिक, माध्यमिक, प्राथमिक विद्यालय ही क्यों ना हो. ऐसे में यह निर्देश फलीभूत होना संभव नहीं दिख रहा है. आज भी बड़ी संख्या में एनपीएस विद्यालय भवनहीन हैं. प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में भी वर्ग कक्ष सहित इंफ्रास्ट्रक्चर की घोर कमी है. एक बेंच पर पांच से छह बच्चे तक बैठाये जा रहे हैं.

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जिला मुख्यालय के विद्यालयों का हाल बेहाल

जिला मुख्यालय के निकट के विद्यालय में बच्चों के बैठने तक की व्यवस्था नहीं है. जिला मुख्यालय कार्यालय के मात्र एक सौ गज की दूरी पर स्थित मध्य विद्यालय जेल कॉलोनी में बच्चों के बैठने की व्यवस्था आज भी पूर्व जमाने की तरह ही है. हालांकि बच्चे घर से बोर चट्टी नहीं लाते. लेकिन विद्यालय द्वारा उपलब्ध कराये गये दरी पर बैठकर पठन-पाठन को विवश हैं. जबकि इस विद्यालय में आये दिन किसी न किसी कार्यक्रम में वरीय अधिकारियों तक का भी आना जाना होता है. यही हाल राजकीय कन्या उच्च विद्यालय पूरब बाजार की भी है. यहां नामांकित 800 से अधिक छात्राओं के लिए मात्र दो जर्जर कमरे हैं. इनमें भेड़ बकरियों की तरह एक बेंच पर चार से छह बच्चियां बैठकर पढ़ने को विवश हैं. हाल यह है कि एक कमरे में दो शिक्षक पठान पाठन का कार्य संपादित करते हैं. इनके अलावे भी कुछ विद्यालयों में स्थिति पूर्व जमाने की तरह ही बनी हुई है.

शिक्षकों के अनुरूप शायद ही कोई विद्यालय

बीपीएससी द्वारा शिक्षकों की कमी को दूर किया गया है. लेकिन अपर मुख्य सचिव के निर्देश के आलोक में शायद ही जिले में कोई ऐसा विद्यालय है, जहां पठान-पाठन की व्यवस्था हो रही है. हाल ही में अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि विद्यालय में जितने शिक्षक हैं, वे सभी लगातार छह घंटे पठन-पाठन का कार्य संपादित करेंगे. लेकिन शायद ही कोई ऐसा विद्यालय है जहां शिक्षकों के अनुपात में कमरे हैं. ऐसे में एक कमरे में दो शिक्षक या फिर जमीन ही आसरा बसता है. इन कमी को तत्काल दूर करने की जरूरत है.

इंफ्रास्ट्रक्चर में कमी के लिए विभाग को दी गयी है जानकारी

जिला मुख्यालय को विद्यालयों के इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी की पूरी जानकारी है. इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी वाले विद्यालय एक सौ से अधिक हैं. जबकि फ्री फैब्रिकेटेड वर्ग कक्ष निर्माण के लिए 39 विद्यालयों का चयन किया गया है. जिसमें कुछ में निर्माण चल रहा है एवं कुछ के विद्यालय भवन जर्जर रहने के कारण निर्माण कार्य रुका हुआ है. इस बाबत सहायक अभियंता सर्व शिक्षा अभियान जयप्रकाश जी ने बताया कि. जिले में 115 विद्यालय भवनहीन हैं. इनमें सबसे अधिक नवसृजित प्राथमिक विद्यालयों की संख्या सबसे अधिक है. इनमें आधे से अधिक भूमिहीन हैं. जिन्हें अगल बगल में शिफ्ट कर विद्यालय संचालित किया जा रहा है. वहीं माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में भवन हैं. जहां कमी है उसे चिन्हित कर विभाग को भेजा जा रहा है. इंफ्रास्ट्रक्चर को पूरा करने की कवायद चल रही है. जहां भूमि नहीं है, वहां भूमि की व्यवस्था करते भवन का निर्माण होगा. जहां भवन नहीं है, वहां जल्द ही निर्माण कार्य शुरुआत कराने की प्रक्रिया की जायेगी.

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