कोर्ट रोड स्थित सदर अस्पताल के शुरू हुए लगभग सात वर्ष हो चुके हैं. हाल के कुछ वर्षों में अस्पताल के गायनी विभाग में बड़ी संख्या में डिलीवरी हो रही है. इसके अलावा विभिन्न बीमारियों का ऑपरेशन भी शुरू हो चुका है. आठ से ज्यादा विभागों की ओपीडी संचालित है. हालांकि अभी भी अस्पताल में अल्ट्रासोनोग्राफी, विभिन्न तरह के रक्त जांच, एक्स-रे आदि की जांच के लिए मरीजों को बाहर का रुख करना पड़ता है. मरीज अस्पताल में चिकित्सीय परामर्श तो प्राप्त करते हैं, लेकिन उनका इलाज तब तक शुरू नहीं होता, जब तक चिकित्सक द्वारा लिखी गयी जांच नहीं हो जाती. सदर अस्पताल में चिकित्सीय परामर्श तो मरीजों को नि:शुल्क मिलता है, लेकिन इससे पूर्व जांच के लिए मरीजों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है.
संयुक्त सचिव ने जतायी थी नाराजगी
हाल ही में स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त सचिव विद्यानंद शर्मा ने सदर अस्पताल के निरीक्षण के दौरान मशीनों का अभाव देख सीएस से कारण पूछा था. संयुक्त सचिव को बताया गया था कि विभिन्न तरह की मशीनों के लिए अभी एस्टिमेट तैयार किया गया है. मशीनों को लेकर लापरवाही बरतने को लेकर संयुक्त सचिव ने नाराजगी भी जतायी थी.
रेडियोलॉजी के चिकित्सक मौजूद, बिना मशीन कैसे हो जांच
सदर अस्पताल में रेडियोलॉजी के चिकित्सक मौजूद हैं. मशीन नहीं होने के कारण अल्ट्रा सोनोग्राफी जांच नहीं हो पा रही है. ऐसे में अस्पताल के गायनी विभाग में भर्ती मरीजों को जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस से निजी जांच घर जाकर अपने खर्च पर अल्ट्रासाउंड करानी पड़ रही है. यही हाल पैथोलॉजी विभाग का भी है. चिकित्सक सहित तमाम मैनपावर केंद्र में मौजूद है. एक ऑटो एनालाइजर मशीन नहीं होने के कारण मरीजों का इलाज शुरू करने से पूर्व सबसे महत्वपूर्ण माना जाने वाला बायो केमिस्ट्री जांच नहीं हो पा रही है.
धूल फांक रही एक्स-रे मशीन
सदर अस्पताल में मरीजों का एक्स-रे भी नहीं होता. जबकि, अस्पताल परिसर में एक्स-रे मशीन उपलब्ध है. वर्षों से मशीन का इस्तेमाल बंद है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक्स-रे मशीन को संचालित करने के लिए चिकित्सक उपलब्ध नहीं हैं. सदर अस्पताल परिसर में एक कमरे में रखे-रखे मशीन धूल फांक रही है.
जानिए, मशीने नहीं मिलने की मुख्य वजह
ऐसे तो सदर अस्पताल के खुले सात वर्ष हो चुके हैं. पूर्व में चिकित्सक व मैनपावर का अभाव बताकर स्वास्थ्य विभाग में कई तरह की सेवाएं शुरू नहीं की. बाद में चिकित्सकों व मैनपावर की संख्या बढ़ी, लेकिन मशीन की खरीदारी की ओर किसी का ध्यान नहीं गया. गौर करने वाली बात यह है कि मशीनों की खरीदारी के लिए जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस साल रेक्विजिशन तैयार किया गया है. प्रक्रिया पाइपलाइन में है. यही वजह है कि सात वर्षों में अब तक विभिन्न तरह की जांच की सुविधा अस्पताल में शुरू नहीं हो पायी है.
मशीनों की खरीदारी के लिए रेक्विजिशन तैयार कर लिया गया है. प्रक्रिया पाइपलाइन में है. जल्द ही मशीनों की खरीदारी की प्रक्रिया पूरी कर विभिन्न जांच की सुविधा शुरू कर दी जायेगी.
डॉ चंद्रभानु प्रतापन, सीएस