रांची : झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विभागीय मंत्री जोबा मांझी ने ‘वृद्ध माता-पिता भरण-पोषण’, ‘दिव्यांगजन अधिकार’ और ‘जुबेनाइल जस्टिस रूल’ सभा के पटल पर रखा. समाज कल्याण विभाग द्वारा तैयार ‘वृद्ध माता-पिता भरण-पोषण तथा कल्याण नियम-2014’ के तहत भरण-पोषण के लिए अपील का प्रावधान किया गया है.
साथ वृद्ध नागरिकों की संपत्ति और जीवन की रक्षा के अलावा वृद्धा आश्रम के सिलसिले में उपायुक्त की जिम्मेदारियां तय कि गयी हैं. इस नियमावली में निहित प्रावधानों के आलोक में बच्चों द्वारा देख-भाल नहीं करने की स्थिति में वृद्ध इस नियम का सहारा लेकर उनसे भरण-पोषण भत्ते की वसूली कर सकेंगे. नियमावली में भरण-पोषण की अधिकतम राशि प्रति माह 10 हजार रुपये तय की गयी है.
भरण-पोषण भत्ते की वसूली के लिए वृद्ध माता-पिता को पांच रुपये फीस के साथ पीठासीन पदाधिकारी के समक्ष आवेदन देना होगा. इसके बाद पहले सरकार द्वारा नियुक्त सुलह अधिकारी द्वारा सुलह कराने की कोशिश की जायेगी. मामला नहीं सुलझने पर पीठासीन पदाधिकारी आवश्यक प्रक्रिया अपना कर भरण-पोषण भत्ता तय करेंगे. भरण-पोषण भत्ता निर्धारित करने के दौरान वृद्ध माता-पिता की संपत्ति, जो बच्चों के कब्जे में हो और बच्चों की आमदनी को ध्यान में रखा जायेगा. नियमावली में वृद्धा आश्रम, वृद्ध जनों की संपत्ति और जीव की रक्षा की जिम्मेवारी उपायुक्तों को दी गयी है.
वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक थाने में एक स्वयंसेवक समिति के गठन का प्रावधान किया जायेगा. वृद्ध नागरिकों के लिए बने इस नियम को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक राज्य परिषद के गठन का भी प्रावधान है. समाज कल्याण मंत्री इसके अध्यक्ष होंगे.
समाज कल्याण विभाग द्वारा तैयार झारखंड दिव्यांगजन अधिकार नियमावली-2018 को भी सदन के पटल पर रखा गया. इस नियमावली में दिव्यांगजनों को प्रमाण पत्र देने, नियुक्ति प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण देने, स्कूलों में नामांकन आदि का प्रावधान किया गया है.