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रामगढ़ के कुजू क्षेत्र में लहलहाने लगी है सरसों की फसल, किसानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद

पशुओं को खिलाने के लिए खल्ली भी उपयोग में आ जाता है. खाने के व्यंजन में इस्तेमाल होने वाला सरसों एक मसाले की तरह होता है. इसका तड़का लगाने में भी उपयोग किया जाता है.

धनेश्वर प्रसाद, कुजू :

रामगढ़ जिला के कुजू व आसपास के क्षेत्र में इन दिनों सरसों की फसलें लहलहा रही है. सरसों के पौधे में लगे पीले फूल भी अब खिलने लगे हैं. पीले फूलों को देख कर ऐसा लगता है मानो खेतों ने पीली चुनरिया ओढ़ ली है. सर्दियों के इस मौसम में सरसों के पीले फूलों को देख कर किसानों के चेहरे भी खिल उठे हैं. क्षेत्र के बोगाबार, दिगवार, करमा, ओरला, मुरपा, रतवे, जमुनिया टांड़ के किसानों ने इस बार भी सरसों की खेती को बढ़ावा दिया है. करमा के किसान रोशन महतो ने कहा कि कम लागत में सरसों की अच्छी पैदावार होने की उम्मीद है. सब कुछ ठीक रहा, तो आने वाले माह में फसल पूरी तरह से तैयार हो जायेगी.

सरसों तेल के दाम में होने वाली वृद्धि के कारण अच्छी आमदनी होने की भी उम्मीद है. क्षेत्र के ज्यादातर किसान अपने खेतों में अन्य फसलों के साथ सरसों की फसल लगाने का दायरा भी बढ़ा लिया है. बाजारों में सरसों का तेल 130 रुपये लीटर से लेकर 160 रुपये लीटर तक बिक रहा है. दिगवार के किसान बिगन महतो ने कहा कि सरसों की फसल लगाने से घर – परिवार में साल भर खाने के लिए तेल मिल जाता है. पशुओं को खिलाने के लिए खल्ली भी उपयोग में आ जाता है. खाने के व्यंजन में इस्तेमाल होने वाला सरसों एक मसाले की तरह होता है. इसका तड़का लगाने में भी उपयोग किया जाता है.

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सरसों का तेल शरीर और बाल के लिए काफी लाभदायक होता है. प्राय हर घरों में सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है. इसके कारण सरसों की फसल से अच्छी पैदावार हुई, तो इस बार आमदनी भी अच्छी होगी. क्षेत्र के लोगों का भी पसंदीदा जायका बनने लगा. इन दिनों सब्जी बाजार में बथुआ, मेथी, पालक, सोया, मूली, प्याज, सरसों के साग भी बिक रहे हैं. सर्दियों के मौसम में इन दिनों बाजार में सरसों के साग की भी काफी मांग है. क्षेत्र में होने वाले सरसों की फसल की वजह से लोग अब पंजाबी जायका की तरह मक्के की रोटी के साथ सरसों के साग का स्वाद भी खूब चख रहे हैं.

मशीनों से निकाले जाते हैं तेल, बंद हो गया है कोल्हू -बैल से तेल निकालने का प्रचलन : 

बाजार में आजकल कई प्रकार के सरसों के तेल उपलब्ध हैं. इनमें आम तौर पर शुद्ध नहीं होने से स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. पहले गांव में शुद्ध सरसों का तेल बैल और कोल्हू से निकाला जाता था. अब क्षेत्र में मशीन से तेल निकाले जाते हैं. कोल्हू बैल से निकाला गया तेल शुद्ध तो होता है, पर मंहगा था. तेल भी कम निकलता था. धीरे-धीरे यह प्रचलन बंद हो गया. क्षेत्र के डटमा मोड़ में मिल चलाने वाले सुभाष सिंह ने कहा कि सरसों का तेल उनके यहां मशीन से निकाला जाता है. क्षेत्र के लोग अपना सरसों लाकर अपने सामने मशीन से सरसों का तेल निकलवा कर ले जाते हैं.

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