रांची, राणा प्रताप: झारखंड में संचालित 1250 वित्तरहित इंटर कॉलेज, हाईस्कूल, संस्कृत स्कूल व मदरसा के शिक्षाकर्मियों ने मंगलवार को झारखंड विधानसभा के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. राज्यकर्मी का दर्जा देने, महंगाई को देखते हुए अनुदान की राशि चौगुना करने, वित्तीय वर्ष 2020-21 के बचे हुए स्कूल-कॉलेजों को अनुदान की राशि अविलंब निर्गत करने, सेवानिवृत्ति की आयु छत्तीसगढ़ की तर्ज पर 62 वर्ष करने की मांग को लेकर झारखंड वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा के तत्वावधान में महाधरना दिया गया. धरना में संस्कृत शिक्षक पीला वस्त्र पहन कर आये हुए थे, जबकि मदरसा शिक्षक टोपी पहने हुए थे. राज्य के विभिन्न जिलों से आये हजारों वित्तरहित शिक्षक व कर्मचारी महाधरना में शामिल हुए.
लंबे समय से कर रहे हैं मांग
वक्ताओं ने कहा कि शिक्षक व कर्मी पिछले 25-30 वर्षों से वित्तरहित स्कूल- इंटर कॉलेजों में पठन-पाठन का कार्य कर रहे हैं. उन्हें मानदेय दिया जाता है, लेकिन महंगाई के इस दौर में राज्य सरकार द्वारा अनियमित तरीके से दिया जानेवाला मानदेय काफी कम होता है. उससे शिक्षाकर्मियों को परिवार चलाना अत्यंत कठिन हो गया है. महंगाई को देखते हुए आठ माह पूर्व विभागीय मंत्री ने चौगुना अनुदान देने की स्वीकृति दी थी, अनुमोदन के आठ माह हो गये हैं, लेकिन अब तक संलेख कैबिनेट में नहीं भेजा गया है. मुख्यमंत्री ने विधानसभा में राज्यकर्मी का दर्जा देने का और वेतन देने का आश्वासन दिया था. आश्वासन के आलोक में शिक्षा विभाग ने कार्मिक विभाग को पत्र भी लिखा है, लेकिन कार्मिक विभाग प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा रहा है.
धरने में ये थे शामिल
धरना स्थल पर विधायक विनोद सिंह, अमित कुमार यादव, मनीष जायसवाल ने महाधरना को संबोधित किया. महाधरना की अध्यक्षता सुरेंद्र झा ने किया और संचालन अनिल तिवारी ने किया. इस अवसर पर रघुनाथ सिंह, कुंदन कुमार सिंह, देवनाथ सिंह, संजय कुमार, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, अरविंद सिंह, नरोत्तम सिंह, मनीष कुमार, अनिल तिवारी, संजय कुमार, गणेश महतो, वीरेंद्र तिवारी, मनोज सिंह, बिरसो उरांव, सोनी कुमारी, रघु विश्वकर्मा, दिलीप घोष सहित बड़ी संख्या में वित्तरहित शिक्षा कर्मी उपस्थित थे.