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बोकारो : विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में विश्व स्तर पर डंका बजा रहे कसमार के डॉ विकास

कसमार प्रखंड के सुदूरवर्ती मुरहुल गांव निवासी डॉ विकास महतो विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अपना डंका बजा रहे हैं.

कसमार, दीपक सवाल : कसमार प्रखंड के सुदूरवर्ती मुरहुल गांव निवासी डॉ विकास महतो विज्ञान व तकनीक के क्षेत्र में विश्व स्तर पर अपना डंका बजा रहे हैं. इन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किये गये सर्वेक्षण में दुनिया भर के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में स्थान प्राप्त किया है. इस उपलक्ष्य में बीते नौ दिसंबर को आइआइटी आइएसएम धनबाद के स्थापना दिवस पर वह संस्थान के निदेशक प्रो जेके पटनायक के हाथों सम्मानित हो चुके हैं. डॉ विकास वर्तमान में आइआइटी आइएसएम में प्रोफेसर हैं. पीएचडी करने के बाद 2004 में आइएसएम धनबाद के पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विभाग में शामिल हुए थे. उसी संस्थान से पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में यूजीसी-आइएसएम, यूजीसी नयी दिल्ली, सीएसआइआर नयी दिल्ली, आरसीपीएल लिमिटेड, ऑयल इंडिया लिमिटेड और ओएनजीसी लिमिटेड द्वारा प्रायोजित आठ शोध परियोजनाएं पूरी कीं. एक साधारण कृषक परिवार में जन्मे विकास ने गांव की पगडंडियों से लेकर सफलता की इस मुकाम तक का सफर तय किया है. .

डॉ विकास के नाम दर्ज हैं अनेक उपलब्धियां

डॉ विकास के नाम अनेक उपलब्धियां दर्ज हैं. वह आइआइटी मद्रास में पेट्रोलियम विज्ञान और प्रौद्योगिकी- 2016 (आइसीपीएसटी-2016) पर आयोजित चौथे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ‘भारतीय मोमी कच्चे तेल द्वारा सामना किये जाने वाले प्रवाह आश्वासन चुनौतियों का अध्ययन’ पेपर के लिए पहला सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं. आइआइटी मद्रास में आइसीपीएसटी-2014 पर तीसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ‘ऑसिलेटरी रियोलॉजिकल माप तकनीकों का उपयोग करके इमल्शन-आधारित ड्रिलिंग तरल पदार्थों की दीर्घकालिक स्थिरता पर प्रायोगिक अध्ययन’ पेपर के लिए भी पहला सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार प्राप्त किया है. इसी तरह 6-8 दिसंबर, 2012 के दौरान आइआइटी में आयोजित ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी पर दूसरे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन और पेट्रोलियम विज्ञान और इंजीनियरिंग पर प्रथम राष्ट्रीय संगोष्ठी में ‘इंडियनवैक्सी कच्चे तेल पर प्रवाह सुधारकों के प्रभाव का अध्ययन’ पेपर के लिए दूसरा सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार प्राप्त किया है. आइआइटी मद्रास में 18-21 नवंबर 2010 के दौरान ड्रिलिंग टेक्नोलॉजी (आइसीडीटी-2010) पर आयोजित प्रथम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ‘जल आधारित ड्रिलिंग तरल पदार्थ के थेरियोलॉजिकल गुणों और निस्पंदन गुणों पर पॉलिमर के प्रभाव का अध्ययन’ पेपर के लिए भी इन्हें दूसरा सर्वश्रेष्ठ पेपर पुरस्कार प्राप्त हुआ था. इसी तरह ‘जल-आधारित तेल कुएं ड्रिलिंग तरल पदार्थ का रियोलॉजिकल अध्ययन’ नामक पेपर ने साइंस डायरेक्ट टॉप 25 हॉटेस्ट रिसर्च आर्टिकल्स में तीन बार स्थान प्राप्त किया. पहली बार जुलाई-सितंबर 2004 को 20वां स्थान, अक्टूबर-दिसंबर 2004 को 8वां स्थान और पेट्रोलियम साइंस एंड इंजीनियरिंग जर्नल में अप्रैल-जून 2005 को 9वां स्थान मिला था.

यह उपलब्धि भी है इनके नाम

2018-19 के दौरान विली प्रकाशन के जर्नल ऑफ सर्फेक्टेंट्स डिटर्जेंट में इनके एक पेपर को शीर्ष डाउनलोड किये गये पेपर के रूप में मान्यता मिली थी. इनके एक पेपर को 2018-19 के दौरान एशिया पैसिफिक जर्नल इन केमिकल इंजीनियरिंग, विले पब्लिकेशन में भी शीर्ष डाउनलोड किये गये पेपर के रूप में मान्यता दी गयी थी. वहीं, एसीएस प्रकाशनों में पेपर की समीक्षा के लिए मान्यता प्रमाण पत्र मिला है.

13 पीएचडी छात्र कर चुके हैं तैयार

डॉ विकास अब तक 13 पीएचडी छात्र तैयार कर चुके हैं तथा छह अन्य छात्र उनकी देखरेख में शोध कर रहे हैं. संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम में प्रोफेसर हरि वुथलुरु और प्रोफेसर चुन झू ली, कर्टिन विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के साथ शोध कार्य और दो पीएचडी का मार्गदर्शन भी किया है. इसके अलावा विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं और प्रतिष्ठित सम्मेलनों में इनके 120 से अधिक शोध प्रकाशित हैं. साथ ही, इन्होंने चार किताबें भी लिखी हैं और पांच पेटेंट भी दायर किये हैं. कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं के समीक्षक और संपादक बोर्ड के सदस्य भी हैं.

गांव में कर रहे शैक्षणिक विकास

मालूम हो कि डॉ विकास महतो मुरहुल निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक स्व. दीनबंधु महतो के पुत्र हैं. इस क्षेत्र में शैक्षणिक विकास में भी इस परिवार का विशेष योगदान रहा है. मुरहुल गांव में केएमएसएचएवी नामक एक उच्च विद्यालय की स्थापना और उसके संचालन में भी इस परिवार की विशेष भूमिका रही है. डॉ विकास की पत्नी रेखा महतो इस विद्यालय की प्रबंध समिति की सचिव हैं. डॉ विकास ने कहा कि तकनीकी पढ़ाई के दौरान उन्हें बीटेक में इंस्टीट्यूट मेरिट स्कॉलरशिप, एमटेक में एमएचआरडी फैलोशिप तथा पीएचइडी में सीएसआइआर फैलोशिप मिली थी, जो पढ़ाई में काफी सहायक साबित हुई थी.

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