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Happy Old Age: जिंदगी की दूसरी पारी में स्मार्ट गैजेट्स कैसे बन रहे अकेलेपन के मजेदार साथी? आइए जानें

Smart Gadgets and Old Age - बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि हमारे जमाने में गैजेट्स नहीं होते थे. सगे-संबंधियों-मित्रों से मिलने-जुलने, मनोरंजन के साधन और तरीके भी बिल्कुल अलग होते थे, लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है. समय के साथ गैजेट्स हमारी जिंदगी को कितना सरल और आसान बना रहे हैं, यह अनुभव तब होता है, जब...

Smart Gadgets Use In Old Age : बुढ़ापा एक अवस्था है, जिस पड़ाव पर इंसान शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से कमजोर व लाचार हो जाता है. दूसरों का सहारा लेना या दूसरों पर निर्भर रहना उसकी मजबूरी बन जाती है. ऐसी अवस्था में उसे अपनों के सहारे की बेहद जरूरत होती है, लेकिन आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में घर-परिवार में बुजुर्गों के लिए किसी के पास स्पेस नहीं है.

यह भी लेकिन सच है कि बुजुर्गों ने बदलते हालात से समझौता कर लिया है. अपनी जिंदगी की जंग को लड़ने के लिए कमर कस ली है. अब वे लाचारी, बेबसी, अकेलेपन का रोना नहीं रोते. उन्होंने मान लिया है कि सारी जिंदगी की जंग जब अकेले ही लड़ी है, तो अब अकेले क्यों नहीं? मौजूदा हालात में ही कुछ मंत्र अपनाकर उन्होंने सुकून ढूंढ़ लिया है, खुद की अलग दुनिया बना ली है. इनमें स्मार्ट गैजेट्स उनके लिए बड़ा हथियार बने हैं. आइए जानें कैसे-

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अकेलेपन का मजेदार साथी बन सकते हैं स्मार्ट गैजेट्स

बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि हमारे जमाने में गैजेट्स नहीं होते थे. सगे-संबंधियों, मित्रों से मिलने-जुलने का अपना तरीका होता था. मनोरंजन के साधन और तरीके भी बिल्कुल अलग होते थे, लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है. अब हम 21वीं शताब्दी में रह रहे हैं. समय के साथ गैजेट्स हमारी जिंदगी को कितना सरल और आसान बनाते जा रहे हैं, यह अनुभव तब होता है, जब हम इसका उपयोग करने लगते हैं.

सोशल मीडिया के जरिये मीलों दूर बैठे अपने मित्रों से, रिश्तेदारों का हालचाल जान सकते हैं, घर बैठे मनपसंद खाना ऑर्डर कर सकते हैं, या किसी भी जरूरत की चीज के लिए दूसरे पर आश्रित न होकर खुद ऑनलाइन मंगा सकते हैं. गैजेट्स का उपयोग करने से झिझकिए मत, उनका उपयोग करना बेहद आसान है. अपने नाती-पोते से, बेटे-बहू, किसी से भी इनका उपयोग करना सीख सकते हैं. आज के नाती-पोते कहानियां नहीं सुनते. इसी बहाने वे आपके साथ जुड़ेंगे और मनोरंजन-मस्ती करेंगे. इस तरह ये आपका अकेलापन दूर करने में मजेदार साथी बन सकते हैं.

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गैजेट्स के सहारे मजे से कट रही है जिंदगी

67 वर्षीय सुनील सिन्हा के कमर व घुटने में दर्द रहता है. चलना- फिरना भी तकलीफदेह है. पढ़ने-लिखने में रुचि रखने वाले सिन्हा जी अब अपना सारा वक्त कंप्यूटर पर पढ़ने-लिखने में बिताते हैं. अपने अनुभवों को लिखते हैं, लोगों की प्रतिक्रियाएं पढ़ कर खुश होते हैं. सोशल साइट्स और व्हाट्सएप के जरिये अपने डॉक्टर, सगे-संबंधियों, मित्रों और नाती-पोतों के संपर्क में रहते हैं. कहते हैं कि आज कंप्यूटर, स्मार्टफोन ही मेरे मित्र हैं. इन्हीं गैजेट्स के सहारे मेरी जिंदगी मजे से कट रही है.

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