Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर इंडिया गठबंधन के बीच सीट शेयरिंग का मसला भंवर से निकल नहीं पाया है. राष्ट्रीय स्तर पर अपने को लीडर मान कर चल रही कांग्रेस सहयोगी दलों के साथ तालमेल में सम्मानजनक सीटें चाहती है. पार्टी अपने हाइ प्रोफाइल करीब आधा दर्जन नेताओं को चुनाव लड़ाना चाहती है. लेकिन, उनके लिए सीटों की गुंजाइश बन नहीं पा रही. तारिक अनवर, मीरा कुमार,डाॅ अशोक कुमार, रंजीता रंजन,उदय सिंह और शत्रुघ्न सिन्हा पिछली दफा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में खड़े थे. इनमें शत्रुघ्न सिन्हा ने तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लोकसभा पहुंच चुके हैं, पर बाकी के सभी नेताओं की नजर पार्टी की ओर टिकी है.
पिछली बार 2019 में कांग्रेस का समझौता बिहार में राजद की प्रमुखता वाली महागठबंधन से रहा था. इसमें उसे नौ सीटें मिली थीं. नौ सीटों में कांग्रेस को जीत महज एक किशनगंज की सीट पर मिली, जबकि उसके छह उम्मीदवार जदयू के साथ मुकाबले में दूसरे नंबर पर रहे. जदयू अपनी इस सीटिंग सीट को किसी भी सूरत में छोड़ना नहीं चाह रहा, जबकि इन सीटों पर कांग्रेस के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है.
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कटिहार, मुंगेर, सुपौल, किशनगंज, पूर्णिया और वाल्मीकिनगर ऐसी सीटें हैं , जहां पहले नंबर पर जदयू रहा और दूसरे नंबर पर कांग्रेस रही. इस बार बिहार के कांग्रेसी नेताओं ने सीट बंटवारे पर चुपी साध रखी है. माना जा रहा है कि आखिरी वक्त पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की ओर से जो भी फैसला होगा,पार्टी उसे मान कर चलेगी. कांग्रेस में कटिहार की सीट महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यहां गांधी परिवार के करीबी तारिक अनवर चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं. पिछली दफा 2019 में तारिक जदयू के दुलालचंद गोस्वामी से करीब साठ हजार मतों से पराजित हो गये. कांग्रेस की नजर इस सीट पर भी होगी.
सुपौल की सीट पर रंजीता रंजन चुनाव जीतती रही हैं. 2019 में इस सीट से जदयू के दिलेश्वर कामत को जीत मिली.कांग्रेस ने रंजीता रंजन को राज्यसभा से संसद भेजने की व्यवस्था की. इस बार भी रंजीता रंजन के समर्थकों को उम्मीद है कि पार्टी उन्हें यहां से उम्मीदवार बना सकती है, लेकिन यह आसान नहीं दिखता. जदयू के लिए यह सीट प्रतिष्ठा से जुड़ी है.यहां अतिपिछड़ी जाति के दिनेश्वर कामत सांसद हैं.
किशनगंज कांग्रेस की सीटिंग सीट है. बिहार से पार्टी के एकमात्र सांसद मो. जावेद इसी सीट पर निर्वाचित हुए हैं. किशनगंज में जदयू करीब तीस हजार मतों के अंतर से दूसरे नंबर पर रहा था, जबकि तीसरे नंबर पर यहां एआइएमआइएम रही. इसी प्रकार कांग्रेस को सीटों के समझौते में पूर्णिया की सीट भी मिली थी. पार्टी ने यहां भाजपा से आये उदय कुमार सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया था. उदय सिंह को करीब 3.69लाख वोट मिले और वे दूसरे नंबर पर रहे.
बता दें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इंडिया के घटक दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत की. बुधवार को इंडिया गठबंधन की बैठक के बाद राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री की यह दूसरी बातचीत है. जल्द ही बिहार में इंडिया के घटक दलों के बीच सीटों का बंटवारा हो जायेगा.साथ ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी तय किये जायेंगे. घटक दलों के नेता साझा चुनाव प्रचार में भी जायेंगे. दोनों नेताओं की यह बातचीत गुरुवार को हुई है. वहीं राहुल गांधी से बातचीत होने के बाद शुक्रवार को राजद नेता सह बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बातचीत की. उन्होंने सीएम हाउस जाकर नीतीश कुमार से मुलाकात की है.
गौरतलब है कि बिहार का सियासी समीकरण इस बार बदला है. जदयू ने एनडीए से खुद को अलग कर लिया और इस बार लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों का एक अलग गठबंधन इंडिया बना है. हाल में ही इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक दिल्ली में संपन्न हुई है. अब सीट शेयरिंग पर मंथन चल रहा है. बिहार में जदयू-राजद-कांग्रेस व वामदलों के बीच सीटों का बंटवारा होना है. इस बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने इंडिया गठबंधन की मीटिंग के बाद कहा कि इंडिया गठबंधन में ऑल इज वेल है. बैठक बेहद सकारात्मक रही है. उन्होंने कहा कि 15 -20 दिनों में सीट बंटवारे पर फैसला हो जायेगा. वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी कहा है कि जल्द ही सीट बंटवारे पर सबकुछ फाइनल हो जाएगा.