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झारखंड में जल्द बनेगी साहित्य अकादमी, किताब उत्सव के आखिरी दिन बोलीं झामुमो से राज्यसभा सांसद महुआ माजी

किताब उत्सव में वरिष्ठ साहित्यकार विद्या भूषण ने बताया कि योगेंद्र नाथ सिन्हा का लेखन हो जनजाति की जीवनशैली पर रहा. योगेंद्र नाथ सिन्हा ने 56 कहानियां आदिवासी समुदाय की पृष्ठभूमि पर लिखी. वे एक समर्पित कथाकार थे.

रांची: किताब उत्सव के आखिरी दिन पहला सत्र ‘साहित्य और राजनीति’ विषय पर केंद्रित था. झामुमो से राज्यसभा सांसद एवं साहित्यकार महुआ माजी से धर्मेन्द्र सुशांत ने उनके लेखन और राजनीतिक जीवन पर बातचीत की. महुआ माजी ने रांची में किताब उत्सव के जरिए साहित्यिक माहौल देने के लिए राजकमल प्रकाशन और टीआरआई के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे राजनीति में आयी हैं, लेकिन उनके अंदर का लेखक जिंदा है. साहित्य ने ही उन्हें राजनीति में संवेदनशीलता से काम करना सिखाया है. विकास या विध्वंस के सवाल पर उन्होंने कहा कि जंगल लूटने के लिए केंद्र सरकार ने नया फॉरेस्ट बिल पास कराया है. साहित्य अकादमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि झारखंड में जल्द साहित्य अकादमी बनायी जाएगी. महुआ माजी के हाथों आदिवासी महोसव 2023 के ट्राइबल कूजिन प्रतियोगिता के विजेताओं को नकद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया. आखिरी में क्रिसमस की बधाई दी गयी. इसके साथ ही सात दिवसीय किताब उत्सव का रविवार को समापन हो गया. इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में आदिवासी संस्कृति और साहित्य की पुस्तकों को सर्वाधिक पसंद किया गया. आपको बता दें कि राजकमल प्रकाशन समूह और डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान (टीआरआई) के संयुक्त तत्वावधान में किताब उत्सव का आयोजन किया गया था.

योगेंद्र नाथ सिन्हा के साहित्यिक जीवन पर हुई चर्चा

दोपहर से “हमारा झारखंड हमारा गौरव” सत्र में योगेंद्र नाथ सिन्हा के साहित्यिक जीवन पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई. इस सत्र के वक्ता के रूप में विद्या भूषण उपस्थित थे. वरिष्ठ साहित्यकार विद्या भूषण ने बताया कि योगेंद्र नाथ सिन्हा का लेखन मुख्यत: हो जनजाति की जीवनशैली पर रहा. योगेंद्र नाथ सिन्हा ने 56 कहानियां आदिवासी समुदाय की पृष्ठभूमि पर लिखी. वे एक समर्पित कथाकार थे.

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तीसरे सत्र में याद किए गए विरासत निर्माता

तीसरे सत्र का विषय रहा “विरासत निर्माता” जिसमें रघुनाथ मुर्मू, लाको बोदरा, पंडित आयता उरांव और प्यारा केरकेट्टा के जीवन और संघर्ष पर विशेष चर्चा की गई. इस सत्र में दूमनी माई मुर्मू, दयामनी सिंकु, प्रेमचंद उरांव और डॉ तरकेलेंग कुल्लू ने विभिन्न संस्मरणों के माध्यम से झारखंड की विरासत के निर्माताओं को याद किया.

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सात दिवसीय किताब उत्सव का समापन

किताब उत्सव का अंतिम सत्र काव्य संध्या का रहा. इसमें आदिवासी कवियों ने अपनी कविताओं का पाठ किया. इस सत्र का संयोजन वरिष्ठ आदिवासी साहित्यकार वन्दना टेटे ने किया. सात दिनों तक चले किताब उत्सव में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान लगाई गई पुस्तक प्रदर्शनी में आदिवासी संस्कृति और साहित्य की पुस्तकों को सर्वाधिक पसंद किया गया.

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